कश्मीर में मेरा पसंदीदा स्थान है वेरीनाग

punjabkesari.in Tuesday, Nov 08, 2022 - 06:08 AM (IST)

मैंने पिछले महीने धरती का स्वर्ग कहे जाने वाली कश्मीर घाटी का दौरा किया। कई वर्षों के बाद मेरी पहली शरद ऋतु यात्रा थी। मैंने तय किया था कि मैं उस जगह पर फिर से जाऊंगा जिसे मैं पूरी घाटी में सबसे खूबसूरत मानता हूं। कश्मीर आने वाले लोग 2 वर्ग में आते हैं। कुछ लोग गुलमर्ग को पसंद करते हैं और कुछ पहलगाम को। उन दोनों के पास अब उत्कृष्ट गोल्फ कोर्स है और इसीलिए यह पूरी तरह से व्यक्तिगत पसंद का मामला है कि इन दोनों में से कहां जाना है। 

पाठकों को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि मेरा पसंदीदा स्थान इन दोनों खूबसूरत रिजॉर्ट में से किसी में भी नहीं है। मेरा पसंदीदा स्थान वेरीनाग है। एक विशाल तालाब जहां से महान जेहलम नदी अपनी यात्रा शुरू करती है और फिर पाकिस्तान से होते हुए अंत में अरब सागर में समाप्त होती है। घने जंगलों और पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ यह स्थान बिल्कुल शांत, हल्का हरा और गहरा है। यही बातें इसे अद्वितीय बनाती हैं। 

पुल का पहला घेरा 8 फीट गहरा है। दूसरा 18 फीट और तीसरा भी  18 फीट गहरा है। विशाल मछलियां कुंड में निवास करती हैं लेकिन मुख्य रूप से तल पर रहती हैं और केवल शाम के समय ही सतह पर आती हैं। पुल का निर्माण मुगल सम्राट जहांगीर ने 1029 हिजरी या 1620 ईस्वी में किया था। अष्टकोणीय पुल बड़ा है जिसमें धनुषाकार खांचे हैं। इनमें से एक में शिवङ्क्षलग है जिसे घाटी में हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है।

यहां का पानी बिल्कुल शांत है और जैसे-जैसे हम इसकी परिक्रमा करते हैं वैसे-वैसे हमारा मन भी शांत होने लगता है। इस कुंड के चारों ओर परिक्रमा करना उतना ही पवित्र कार्य है जितना किसी मंदिर की परिक्रमा करना है। पुल की पश्चिमी और दक्षिणी दीवारों पर दो पत्थर के स्लैब बनाए गए हैं जिन पर फारसी में निर्माण की तारीखों की प्रशंसा की जाती है। इसका अनुवाद इस प्रकार है

: ‘‘सात राज्यों के राजा न्याय के प्रशासक, विजय के पिता, नूर-उद्-दीन जहांगीर, अकबर के पुत्र भगवान की कृपा से इस झरने में 15वें वर्ष में रुके थे। इस निर्माण का आदेश महामहिम राजा अकबर के पुत्र जहांगीर के द्वारा दिया गया था। इस निर्माण को आसमान तक पहुंचाया गया था, हवेली हमेशा के लिए, झरना वेरीनाग के साथ बनी रहे (1029 हिजरी) (7)।

पुल के नीचे एक सुंदर मुगल उद्यान है जो 400&110 मीटर क्षेत्र में है और विशाल चिनार के पेड़ों से घिरा है। कुंड में बहुत ठंडे पानी की एक धारा बहती है जो बाद में शक्तिशाली जेहलम नदी बन जाती है। ‘जहांगीर नामा’, ‘आईन-ए-अकबरी’, साथ ही प्रसिद्ध ‘राजतरंगिनी’ सहित विभिन्न ऐतिहासिक ग्रंथों में ‘वेरीनाग’ का उल्लेख मिलता है। 

इस कुंड से जुड़ी पौराणिक कथाओं का खजाना भी मिलता है जिसमें शिव और पार्वती की कहानियां भी शामिल हैं। जाहिर तौर पर वहां एक समय में एक बहुत बड़ा सांप था क्योंकि  झरने को ‘नीला नाग’ के रूप जाना जाता है जो प्राचीन परम्परा में कश्मीर में सभी नागों या झरना देवताओं का सिर माना जाता है। ‘नीलमाता’ पुराण के अनुसार कश्मीर की पूरी घाटी कभी सती सारा नामक झील थी। कहा जाता है कि यह वेरीनाग झरने के पास है जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने सबसे पहले उस स्थान पर हल मारा था जिससे सती सारा को निकाला गया था और घाटी रहने योग्य हो गई थी। यहीं पर भगवान शिव के त्रिशूल के प्रहार से पार्वती को वित्तसता नदी के रूप में पाताल लोक से प्रकाश में लाया गया था। 

मुझे यह शानदार पुल अनोखा लगता है। कश्मीर में सभी मुगल उद्यान खूबसूरती से उसके माध्यम से बहने वाले पानी के साथ डिजाइन किए गए हैं जिनमें शालीमार, निशात और चश्मे शाही शामिल हैं। इस दौरे पर मैंने कुछ नई बातें सीखीं। एक बूढ़े माली ने दावा किया कि जब मैं 1931 में पैदा हुआ था तब एक चिनार का पौधा लगाया गया था जो अब एक फलता-फूलता पेड़ बन गया है। इस पेड़ के साथ मेरी तस्वीर वायरल हो गई है। मैं कहानी के बारे में निश्चित नहीं हो सकता, पर इसने पूरी यात्रा में एक दिलचस्प आयाम जोड़ दिया है।-डा. कर्ण सिंह (पूर्व केंद्रीय मंत्री)


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