यू.पी. की ‘जूलियट’ और ‘एंटी रोमियो दस्ता’

punjabkesari.in Friday, Mar 24, 2017 - 12:02 AM (IST)

यू.पी. की जूलियटो, मैं जानता हूं तुम जूलियट नहीं हो। तुम राधा हो, अनुराधा हो, वंदना हो, पूजा हो, अर्चना हो, आरती हो, मंगला हो। यह मत सोचना कि मैं पूजा सामग्री की सूची बना रहा हूं। तुम पूजा के अलावा भी तो बहुत कुछ हो।

तुम गोंडा की हो या बहराइच की, जालौन की हो या खीरी की, मिर्जापुर की हो या जौनपुर की, मैं नहीं जानता यू.पी. में तुम कहां की हो। जहां की भी हो मगर तुम सबमें कोई खास अंतर नहीं है। तुम पर निगाह रखने वाली नजर एक ही है। तुम शीशा तोड़ सकती हो, दिल तोड़ सकती हो मगर परम्परा नहीं तोड़ सकती हो। तुम एक मां हो, बहन हो और थोड़ी-बहुत दोस्त भी। पर तुम जूलियट नहीं हो। जो तुम नहीं हो मैं उसी नाम से यह पत्र लिख रहा हूं। 

तुम्हारे यू.पी. में पार्क बहुत अच्छे हैं। पुरुष-महापुरुष, विचारक-प्रचारक, शहीद-सांसद, वन-उपवन, जीव-जंतु, देवी-देवता हर कोटे के लोगों के नाम से पार्क बने हैं। दयानंद सरस्वती उद्यान, दीनदयाल पार्क, गांधी पार्क, नेहरू पार्क, इंदिरा पार्क, लोहिया पार्क, अम्बेदकर पार्क, चंद्रशेखर आजाद पार्क, भगत सिंह पार्क। नींबू पार्क, हाथी पार्क, दिलकुशा पार्क, शिव पार्क, दुर्गा पार्क, विंध्यवासिनी पार्क, विक्टोरिया पार्क और आगरा का कुत्ता पार्क। आदर्शों और पर्यावरण को बचाने के लिए ये पार्क बनाए गए मगर इनके पेड़ों के नीचे परम्पराएं टूटने लगीं। तुमने यहां प्रेम तो किया मगर अम्बेदकर, लोहिया, गांधी, दयानंद सरस्वती के विचारों को नहीं जाना। 

आज से नहीं, 10 साल से यू.पी. के पार्कों में बैठे जोड़ों पर पुलिस और प्रेम विरोधी राजनीतिक दलों के हमले हो रहे हैं। प्रेमियों को पार्क और थाने में मुर्गा बनाने का चलन अपने हिन्दुस्तान में है, फ्रांस में नहीं। तुम्हें जब पार्कों में पीटा जा रहा था, चैनलों पर पिटते हुए दिखाया जा रहा था तब समाज इसे मौन सहमति दे रहा था। भले ही टी.वी. का एंकर पीटने वालों का विरोध कर रहा था मगर समाज उन दृश्यों को देखकर आश्वस्त हो रहा था। इसलिए अपने समाज को पहचानो। वह कब से एंटी रोमियो बना बैठा है। 

यह पूछो कि एंटी जूलियट क्यों नहीं बना। क्योंकि वह पुलिस को छूट नहीं देना चाहता कि उसकी बेटियों को कोई मारे। उन्हें थाने में बिठाया जाए। याद रखना कि मॉल के खंभों से लेकर माॄनग शो की खाली कुॢसयों पर भी पहरा होगा। तुम्हारी डायरी, तुम्हारी कविताएं, तुम्हारे सपने अब सब थानों की जद में हो सकते हैं। पता नहीं तुम कब किसके साथ पकड़ी जाओ और ये सब सबूत के तौर पर निकाले जाने लगें। तुम्हें अब हर समय साबित करना होगा कि तुम किसी रोमियो की जूलियट नहीं हो। 

मुंबई के समंदर के किनारे तमाम जोड़े छाते लेकर लहरों को गिनते रहते हैं। जमाने की तरफ पीठ किए इन जोड़ों को देखकर मुंबई भी परवाह नहीं करती है। वहां हर 5 साल में कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा की सरकार आती है। उसकी नगरपालिका में शिवसेना तो 20-25 साल से रहती ही आ रही है। फिर भी मुंबई में जोड़ों का पीछा करने वाला एंटी रोमियो दल नहीं है। अपने यू.पी. से पूछो कि मुंबई में एंटी रोमियो दस्ता क्यों नहीं है? दिल्ली में क्यों नहीं है? 

प्रेम की संभावनाएं दीवारों के पार जाती हैं। जातियां टूटने लगती हैं। प्रेम का विरोध करना सिर्फ प्रेम का विरोध करना नहीं है, इसके कारण एक दब्बू दुल्हन और अपार दहेज की संभावनाएं ध्वस्त हो रही थीं। अगर यू.पी. की जूलियटें किसी से भी प्यार कर अपना फैसला लेने लगेंगी तो रोमियो के मां-बाप के सपने ध्वस्त हो जाएंगे। तुम चाहो तो जहाज उड़ा लो मगर दहेज प्रथा नहीं मिटा सकती हो। 

एंटी रोमियो दल यू.पी. के समाज की मौन सहमति का परिणाम है। यकीन न हो तो अपने घरों में पता कर लो। इसके लिए तुम किसी दल या किसी सरकार को दोष मत दो। सरकार ने फैसला लेने से हफ्तों पहले बताया था कि सत्ता में उसकी पार्टी आई तो ऐसा करेगी।क्या तब तुमने एंटी रोमियो दस्ते का विरोध किया था? इस एक दस्ते से परिवारों के भीतर नियंत्रण को राजनीतिक मंजूरी मिल गई है। यह दस्ता तुम्हारी कल्पनाओं की आजादी के खात्मे का दस्ता है। कोई भी थाने जाकर शिकायत कर देगा कि मेरी बेटी का दोस्त रोमियो है। बस पुलिस अपने काम पर लग जाएगी। अभी तो पुलिस को पार्कों से रोमियो उठाने हैं, जल्दी ही घरों से लोग अपने-अपने रोमियो की लिस्ट लेकर आएंगे। 

पार्कों से निकल रहे घबराए जोड़े खुद के साथ हो रही छेडख़ानी से तंग रहते हैं। वे दूसरों को क्या छेड़ेंगे। छेडऩे वाला बल्कि उसी पार्क में घूम रहा होता है जहां जोड़े बैठे मिलते हैं। जल्दी ही पुलिस को बुलाने वाला एक गैंग भी बन जाएगा जो जोड़ों से वसूली करेगा। मां-बाप को पता चलेगा कि उनका बेटा रोमियो, एंटी रोमियो दस्ते के हाथों पकड़ा गया है तो वे इज्जत बचाने के लिए नजरानों की रकम मोटी करते चले जाएंगे। हो सकता है कि यू.पी. के नौजवान भी एंटी रोमियो दस्ते के समर्थक निकलें। वही जो पूरे दिन बालकनी में किसी जूलियट के दीदार के लिए खड़े भी नजर आएंगे। 

राजनीति में कथित रूप से जिस जातिवाद के टूटने का जश्न मनाया जा रहा है कि यू.पी. से कोई न्यू इंडिया निकल आया है, उसी न्यू इंडिया में प्रेम की हर संभावनाओं पर पहरा भी बिठाया जा रहा है ताकि जाति न टूटे। दरअसल यही न्यू इंडिया है। तुम्हें किसी ने पार्क में जाने से नहीं रोका है। बिल्कुल जाओ। वहां रिटायरमैंट के बाद तोंद पिचकाने के लिए सामूहिक रूप से अट्टाहास कर रहे बुजुर्गों की सेवा करो। उन्हें प्रणाम करो। उनके पांव दबाओ। उनसे सीखो। वही तुम्हारे संभावित ससुर हैं। वे तुम्हारे पिता हैं। उनकी निगाह में तुम जूलियट उनके समय के अच्छे समाज को बिगाड़ रही हो। 

यह बात उनमें से कइयों ने तुम्हें ठीक से घूर लेने के बाद ही कही होगी। अब इसका फैसला कौन करेगा कि छेडख़ानी की समस्या रोमियो के कारण है? उन पारम्परिक परिवारों के आदर्श मर्दों के कारण नहीं जो घर में और घर से निकल कर छेड़ते हैं। यौन शोषण के सबसे अधिक मामले घरों के भीतर हैं जहां भारत की संस्कृति रहती है। 

यू.पी. की जूलियटो, तुम पार्क में बेशक जाओ। वहां के पेड़ों से प्रेम करो। पक्षियों से प्रेम करो। मेरी बात मानो तो तुम यू.पी. के रोमियो को आजाद कर दो। वे तुमसे चोरी-चुपके, अपराधी की तरह मिलने आएंगे। जो मुलाकात तुम्हें अपराधी बनाए या तो उसका विरोध करो या फिर छोड़ दो। प्रेम में एक बात का ख्याल रखना। रोमियो चाहे कितना भी स्मार्ट क्यों न हो, उसकी अंग्रेजी चाहे कितनी अच्छी क्यों न हो, वह अगर बुजदिल है तो प्रेमी नहीं है। वह अगर बागी नहीं है तो प्रेमी नहीं है। तुम्हारा...     


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