थोक में तबादलों से परेशान हैं यू.पी. के आई.ए.एस. और आई.पी.एस.

punjabkesari.in Sunday, Jul 16, 2017 - 11:03 PM (IST)

सत्ता बदलने के बावजूद उत्तर प्रदेश में बाबुओं के लिए राह आसान नहीं होती है। राज्य में जब से भाजपा सरकार आई है तब से आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों का राजनेताओं से भिडऩे का सिलसिला और मामले लगातार बढ़ गए हैं। यह तथ्य उन कुछ चीजों में से एक है जोकि योगी आदित्यनाथ प्रशासन और उनके पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार में एक समान ही है। 

इस सिलसिले में ताजा मामला आई.पी. एस. अधिकारी चारू निगम से जुड़ा है जोकि एक भाजपा विधायक की नाराजगी का शिकार हुई हैं। इससे पहले के मामलों में आई.ए.एस. अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल और एक अन्य वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी अमिताभ ठाकुर और लव कुमार (आई.पी.एस.) भी नेताओं की नाराजगी झेल चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि राज्य में 13 से अधिक आई.पी.एस. अधिकारी पहले ही केन्द्र में काडर बदलने के लिए जुगाड़ भिड़ाने के प्रयासों में लग चुके हैं। 

इसके साथ ही थोक में होने वाले तबादलों की बात करें तो उनका भी दौर जारी है और इससे यू.पी. के बाबुओं में अनिश्चितता फिर से काफी बढऩे लगी है। उनकी हताशा भी बढ़ रही है। सत्ता में आने के बाद भाजपा शासित राज्य सरकार ने 6 अलग दौरों में थोक में करीब 400 आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों के तबादले किए हैं। सबसे ताजा समय में 40 आई.ए.एस. अधिकारियों का तबादला हाल में ही किया गया है। आदित्यनाथ ने आखिरकार लम्बे सोच-विचार के बाद 1981 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी राजीव कुमार को राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया है और राहुल भटनागर को इस पद से विदाई दे दी गई। 

पिछले महीने यू.पी. सरकार द्वारा 74 आई.ए.एस. अधिकारियों और 67 भारतीय पुलिस सॢवस (आई.पी.एस.) अधिकारियों का तबादला राज्य में अपराध के बढ़ते मामलों को देखते हुए कर दिया गया। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने शपथ लेते हुए साफ कहा था कि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बेहतर करना उनकी प्राथमिकता होगी। अप्रैल में योगी सरकार ने 84 आई.ए.एस. और 54 आई.पी.एस. अधिकारियों को एक ही झटके में बदल कर एक से दूसरी जगह पर भेज दिया। हालांकि, इन सभी प्रशासनिक बदलावों के बावजूद यह आम धारणा है कि राज्य में प्रशासन की गुणवत्ता में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है। जो कुछ बदलाव हुआ है, वह बड़ी-बड़ी बातों के मुकाबले कुछ भी महसूस नहीं करवा रहा है। 

रिश्वतखोर अफसर सावधान रहें
भ्रष्टाचार के खिलाफ केन्द्र सरकार का अभियान लगातार तेजी से जारी है। भ्रष्टाचार और अन्य अनियमितताओं में  शामिल 39 आई.ए.एस. अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है। इस जांच को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डी.ओ.पी.टी.) द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) अधिकारियों की प्रमुख नोडल अथॉरिटी है। केन्द्रीय सचिवालय सेवा के 29 अधिकारियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक मामलों में कार्रवाई चल रही है। केन्द्र अपने कर्मियों के कामकाज की सुगठित और विस्तृत समीक्षा कर रहा है और इन प्रयासों के माध्यम से सेवा आपूर्ति और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार लाया जा रहा है। 

केन्द्र सरकार के नियमों के अनुसार एक सरकारी कर्मचारी के प्रदर्शन की समीक्षा उनके सेवाकाल में 2 बार होनी है, जिसमें पहली 15 वर्ष की सेवा के बाद और दूसरी समीक्षा 25 वर्षों के बाद, ताकि नकारा लोगों को प्रक्रिया से बाहर किया जा सके। बीते 1 वर्ष से केन्द्र सरकार ने 129 कर्मचारियों को जब्री रिटायर कर घर भेज दिया जोकि अपने दायित्व के अनुसार काम नहीं कर रहे थे। इनमें आई.ए.एस. और आई.पी.एस. अधिकारी भी शामिल हैं। इसके साथ ही अब करीब 67,000 कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड की समीक्षा की जा रही है ताकि नकारा सरकारी कर्मियों और बाबुओं की पहचान की जा सके। इनमें से करीब 25,000 ऑल इंडिया और ग्रुप ए सर्विसेज में से हैं, जिनमें आई.ए.एस., आई.पी.एस. और आई.आर.एस. भी शामिल हैं। 

मणिपुर में बाबुओं की उठापटक
मणिपुर के मुख्य सचिव ओनिम नाबाकिशोर ने उस समय पद से त्यागपत्र दे दिया जब उन्हें ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकैडमी के महानिदेशक पद पर तबादला कर भेज दिया गया। एक अन्य आई.ए.एस. अधिकारी आर.आर. रश्मिी को राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया गया। नाबाकिशोर 1984 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी हैं, जिनको 30 सितम्बर, 2015 को राज्य का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। ‘निजी कारणों’ का हवाला देते हुए नाबाकिशोर ने कहा है कि वे इस साल 9 अक्तूबर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं। 

स्पष्ट है कि उनके तबादले से कोई अच्छा संदेश नहीं गया है और नौकरशाहों में भी रोष है। बाबुओं को लग रहा है कि मुख्यमंत्री नॉनथोम्बम बीरेन सिंह ने नाबाकिशोर को बदलने का अचानक किया फैसला मैरिट के आधार पर करने की बजाय कुछ अन्य कारणों से किया है। मुख्यमंत्री का बचाव करने वालों का कहना है कि रश्मिी दरअसल, नाबाकिशोर से वरिष्ठ हैं और वह इस पद पर आने के लिए योग्य हैं और साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वह किसे अपना मुख्य सचिव और राज्य पुलिस प्रमुख नियुक्त करते हैं। नाबाकिशोर के समर्थकों ने ‘वरिष्ठता’ को लेकर दिए जा रहे तर्कों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि कम से कम 2 अन्य आई.ए.एस. अधिकारी भी काडर के हिसाब से नए मुख्य सचिव से वरिष्ठ हैं। 

इस दौरान नाबाकिशोर ने इस्तीफा देकर इस पूरे मामले में अपने आप को पीछे दिखाने का प्रयास किया है लेकिन कई लोगों का मानना है कि ये पुराने खिलाड़ी बाबू फिर से चर्चा में जरूर आएंगे। संभव है कि वह एक राजनीतिक अवतार में भी नजर आ सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि वह पहले मुख्य सचिव हैं जोकि मेतिस समुदाय से आते हैं जोकि यहां पर बहुसंख्यक हैं। उनके तबादले के बाद उनके गृहनगर में उनके समर्थकों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया। इस मामले में और अपडेट्स के लिए यहीं पर नजर बनाए रखें। 


 


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