यू.पी. विधानसभा में 20-20 पर अटकी आधी आबादी

punjabkesari.in Monday, Feb 06, 2017 - 11:32 AM (IST)

देश के सबसे बड़े राज्य में टिकट वितरण के साथ ही सियासी दाव- पेंच शुरू हो गए हैं। इसमें महिला मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी दल अपने अपने-तरीके से बिसात बिछा रहे हैं। महिला अधिकारों और आरक्षण की बात भी कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सभी राजनीतिक  दलों की महिला अधिकारों की बात सिर्फ चुनावी वायदों तक ही सिमटी हुई है।

आजादी के बाद से अब तक हुए 16 विधानसभा चुनावों में आधी आबादी ट्वंटी-ट्वंटी पर ही अटकती रही है। राज्य के इतिहास में सिर्फ 2 बार ऐसा हुआ है जब विधानसभा में महिलाओं की आवाज बुलंद करने के लिए 30 से ज्यादा महिलाएं विधानसभा में पहुंची हैं, जबकि 14 बार यह संख्या 20 से 26 के बीच ही अटकती रही है। 2012 के चुनाव में भी 583 महिला उम्मीदवार मैदान में उतरी थीं जिनमें से जीत सिर्फ 35 को ही मिल सकी थी।

विरासत में ही मिलती है सियासत
उत्तर प्रदेश में जो महिलाएं राजनीति में सक्रिय हैं, उनमें से ज्यादातर महिलाओं को सियासी कुर्सी विरासत में मिली है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि यू.पी. की धर्म, जाति और बाहुबल की सियासत में महिलाएं काफी पीछे छूट जाती हैं। पुरुष प्रतिद्वंद्वियों के सामने महिलाएं इन हथकंडों में पीछे रह जाती हैं। यही कारण है कि महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की मांग करने वाले राजनीतिक दल उन्हें 10 फीसदी टिकट देने से भी मुंह चुराते हैं।

गठबंधन में 31 महिला प्रत्याशी 
सपा -कांग्रेस  ने सिर्फ 31 महिला प्रत्याशी ही मैदान में उतारी हैं, जिसमें से सपा ने सिर्फ 25 महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि पिछली बार सपा ने अकेले 34 महिलाओं को टिकट दिया था, जिनमें से 22 जीती थीं।  कांग्रेस ने भी पिछली बार 28 महिलाओं को मैदान में उतारा था, जिनमें से 4 जीती थीं, लेकिन इस बार कांग्रेस ने सिर्फ 6
महिलाओं को टिकट दिया है।

2012 में सबसे अधिक 35 महिला विधायक पहुंची थीं लखनऊ

बीजेपी ने 42 महिलाओं को उतारा

विधानसभा चुनाव 2012 में महिला प्रत्याशियों पर सबसे ज्यादा भरोसा भाजपा ने किया था। पिछली बार भगवा पार्टी में 42 महिलाओं को टिकट दिया था परंतु इनमें से 7 महिलाओं ने ही जीत हासिल की थी। वहीं इस बार भी गठबंधन के बाद मिली 370 सीटों में से 42 महिलाओं को टिकट दिया गया है। खास बात यह है कि कई सुरक्षित सीटों पर भी भाजपा महिला प्रत्याशी के रूप में नए चेहरों को मैदान में उतारकर सियासी दाव खेला गया है। हालांकि भाजपा में भी राजनीतिक विरासत के दम पर टिकट पाने वाली महिला प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा है। 

विधानसभा पहुंची महिलाएं
वर्ष     विधायक 

2012    35
2007    23
2002    26
1996    20
1993    14
1991    10
1989    18
1985    31
1980    23
1977    11
1974    21
1969    18
1967    06
1962    20
1957    18

वधानसभा में अब तक 50 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाई महिलाएं
सपा-कांग्रेस गठबंधन ने केवल 31 महिलाओं को बनाया प्रत्याशी 
 


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