अगले चुनावों तक हमें एक गुस्सैल मार्ग से गुजरना पड़ेगा

Monday, Oct 29, 2018 - 04:51 AM (IST)

इस सप्ताह मैंने एक खुफिया एजैंसी के एक व्यक्ति से बात की, जो मेरे कार्यालय पर छापा मारने आया था। वह ठीक मेरी उम्र का था, लगभग 50 वर्ष का और उसने जो बातें बताईं उनसे मुझे हैरानी हुई। बाद में आपको बताता हूं कि वे क्या थीं। पहले हम अमरीका में घटित घटनाक्रमों पर नजर डालते हैं। एक व्यक्ति, जिसकी पहचान राष्ट्रपति ट्रम्प की राजनीतिक पार्टी के एक सदस्य के रूप में हुई, ने ट्रम्प के विरोधियों को बम भेजे। इनमें पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन तथा खुफिया एजैंसी के सदस्य शामिल थे, जिनकी ट्रम्प ने आलोचना की है और भारतीय मूल की एक महिला कमला हैरिस, जिनके 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लडऩे की सम्भावना है, शामिल थे। 

हम सभी अमरीका में राजनीतिक चर्चा की गुणवत्ता बारे जानकार हैं, विशेषकर जब से ओबामा ने अपना पद छोड़ा है। ट्रम्प ने मुद्दों को बचपने जैसी सरलतातक कम कर दिया है। सभी चीजें अच्छी हैं अथवा बुरी,श्वेत अथवा अश्वेत। भारत की राजनीतिक बातचीत की भाषा में चीजें या तो राष्ट्रीय अथवा राष्ट्रविरोधी होती हैं। प्रवासियों के मामले में यह कहते हुए ट्रम्प ने आक्रामकता तथा गुस्सा दिखाया कि यह एक ऐसी समस्या है जिसे समाप्त करने की जरूरत है और वह इसे बलपूर्वक करेंगे। वह इसके लिए शारीरिक अवरोध खड़े कर रहे हैं और बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर रहे हैं, जो  कथित रूप से अमरीका में बिना वीजा के आ रहे हैं। 

डैमोक्रेट्स तथा व्यावसायिक समुदाय का कहना है कि मैक्सिको से ‘ब्लू कॉलर’ कर्मचारी (कारखानों में शारीरिक श्रम करने वाले) अमरीका की अर्थव्यवस्था में मदद करते हैं। सिलीकॉन वैली इस बात पर जोर दे रही है कि ट्रम्प द्वारा भारतीय साफ्टवेयर इंजीनियरों को व्यावसायिक वीजा देने से इंकार करने का प्रस्ताव अमरीका में व्यवसाय को नुक्सान पहुंचाएगा। मगर ट्रम्प तथा उनके समर्थकों के लिए मुद्दा स्पष्ट है: अमरीका को शुद्ध रखने की जरूरत है। मैक्सिकन दुष्कर्मी व अपराधी हैं तथा भारतीय नौकरियां ले रहे हैं जो आधिकारिक तौर पर केवल अमरीकी नागरिकों को मिलनीचाहिएं। जो देश श्वेत नहीं हैं, उन्हें ट्रम्प ‘गंदे देश’ कहते हैं। यह एक तरह का ङ्क्षहसक शब्दाडम्बर है, जिसे जब राजनीतिक चर्चा में दाखिल किया गया तो उसने हिंसा को प्रेरित तथा पैदा किया। यह हैरानीजनक नहीं कि यदि आप पश्चिम में हाल ही की ऐसी चीजों पर नजर डालें तो इसके लिए ‘राइट’ के सदस्य ही जिम्मेदार हैं। हाऊस ऑफ रिप्रैजैंटेटिव्स (हमारी लोकसभा का उनका संस्करण) के एक अमरीकी सदस्य गैब्रिएल गिफोर्ड्स की एक व्यक्ति ने 2011 में सिर में गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसकी पहचान टी पार्टी के एक सदस्य के तौर पर की गई थी, जो रिपब्लिकन पार्टी का उग्रवादी धड़ा है। 

2016 में जो कॉक्स, जो लोकसभा के ब्रिटिश संस्करण हाऊस ऑफ रिप्रैजैंटेटिव्स की एक सदस्य थी, की एक व्यक्ति द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी जिसने उनकी प्रवासी समॢथत नीतियों का विरोध किया था और उन्हें ‘श्वेत लोगों की गद्दार’ कहा था। यह ब्रैग्जिट पर वोट के दौरान हुआ था, जब सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दा प्रवासियों का ही था। इन सभी तथा अन्य घटनाओं में एक सांझा विषय था। व्यक्ति की पहचान एकतरफा और सामान्यत: उच्च राष्ट्रवादी पदों के रूप में की गई, जिसको राजनीतिक नेताओं द्वारा तोड़ा-मरोड़ा गया था। वह (आमतौर पर पुरुष) अलग विचारधारा वाले लोगों को गद्दार तथा दुश्मन के रूप में देखता है। यह हैरानीजनक है कि अमरीका में चर्चा का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि पूर्व राष्ट्रपति ओबामा जैसों को भी अब राष्ट्रविरोधी के तौर पर देखा जा रहा है। 

अब उस व्यक्ति की ओर मुड़ते हैं, जिसके बारे में मैं शुरू में बात कर रहा था। वह छापा मारने वाले एक समूह के हिस्से के तौर पर आया था और शांत तथा समझदार व्यक्ति दिखाई देता था। जिस संगठन से वह संबंधित था, वह वित्त मंत्रालय से था। यद्यपि उनकी रुचि पूरी तरह से हमारे द्वारा किए जाने वाले काम में थी, जिसे ‘राष्ट्रविरोधी’ के तौर पर देखा जा रहा था। उनमें से एक ने तो इस विशिष्ट शब्द का इस्तेमाल भी किया। मैं आश्चर्यचकित था कि यह अब सरकार के भीतर भी हो रहा था। हमारी टैलीविजन चर्चाओं का तीखापन, नफरत तथा गुस्सा, जिसने पेचीदा मुद्दों को बहुत सामान्य तथा बचपने जैसी स्थितियों में ला दिया है न केवल हमारी मुख्य धारा बल्कि सत्ता अधिष्ठान का एक हिस्सा बन गए हैं। मैंने शांतिपूर्वक उन्हें समझाने का प्रयास किया मगर उसने मुझे रोक दिया। उसने कहा कि उसे गुस्सा आ रहा है और उसे मुझसे कुछ नहीं सुनना। 

इस देश में हम एक खतरनाक रास्ते पर आ गए हैं और बड़ी तेजी से आए हैं। हम विशेष समुदायों सहित बड़ी संख्या में लोगों को दुश्मन के तौर पर देखते हैं। मगर किसके दुश्मन? उत्तर यह है कि वैश्विक नजरिए तथा राजनीति के दुश्मन, जो एक पक्ष के कब्जे में है। अगर आप उस पक्ष से संबंधित नहीं हैं तो आप अपने देश से नफरत करते हैं और उसके हितों के खिलाफ कार्य कर रहे हैं। इन दिनों हम जो अपने आसपास भीड़ हिंसा की घटनाएं इतनी निरंतरता से घटती देख रहे हैं, यह वही अभिव्यक्ति है जैसे कि पागल व्यक्ति द्वारा उन लोगों को बम भेजना, जिन्हें वह ट्रम्प तथा अपने खुद के दुश्मनों के रूप में देखता है। राजनीतिक शब्दाडम्बर द्वारा हिंसा उत्पन्न की जा रही है और हम सभी इसके शिकार बन रहे हैं। हमें एक लम्बी सांस लेकर यह सोचने की जरूरत है कि हमारे आसपास क्या हो रहा है क्योंकि अगले चुनावों तक हमें एक लम्बे तथा गुस्सैल मार्ग से गुजरना होगा।-आकार पटेल

Pardeep

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