‘जब तक न्याय नहीं मिलता मैं संघर्ष जारी रखूंगा’

Friday, Mar 16, 2018 - 03:43 AM (IST)

1993 के मुम्बई के शृंखलाबद्ध धमाकों के पीड़ित 61 वर्षीय पीड़ित अजमेरा गत 25 वर्षों दौरान 40 से भी अधिक आप्रेशन करवा चुके हैं और अभी भी उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में हाल ही में मोहम्मद फारूक की गिरफ्तारी से मुख्य साजिशकत्र्ता दाऊद इब्राहिम को दबोचने का मार्ग प्रशस्त होगा।

इन धमाकों की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर अजमेरा ने बताया :‘‘यदि सरकार चाहे तो उसके हाथ निश्चय ही दाऊद इब्राहिम तक पहुंच सकते हैं। चूंकि फारूक को दाऊद का करीबी सहयोगी माना जाता है इसलिए मैं निश्चय से कह सकता हूं कि उसकी तफ्तीश से प्राप्त जानकारी के आधार पर पुलिस को दाऊद को दबोचने में सहायता मिलेगी।’’ बीते रविवार मुम्बई के मलाड निवासी कीॢत ने अपने परिजनों के बीच मुम्बई धमाकों की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर केक काटा और कहा: ‘‘मैं इन धमाकों में अपने सहित जीवित बचे सभी लोगों की अजेय भावना का जश्न मनाना चाहता हूं।

हालांकि यह बहुत बड़ी त्रासदी थी तो भी हमें चढ़दी कलां में रहना होगा। मैं इस मौके पर सरकार को इस सच्चाई से अवगत करवाना चाहता हूं कि हम  लोगों ने इतने वर्षों तक किसी से भी सहायता मिले बिना अपने संघर्ष को जारी रखा है। ’’ धमाकों के समय अजमेरा केवल 36 वर्ष के थे। उनके 7 और 6 वर्ष के दो बच्चे थे, जिनका पालन-पोषण करना अजमेरा दम्पति के लिए कठिन संघर्ष था। अजमेरा को यह शिकायत है कि अब तक अपने इलाज पर वह 30 लाख रुपया खर्च कर चुके हैं लेकिन न तो उन्हें कोई मुआवजा मिला है और न ही सरकार की ओर से किसी प्रकार की सहायता। हाल ही में कीर्ति अजमेरा ने अन्य अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अपनी व्यथा जाहिर की।

9 मार्च को भेजे अपने इस पत्र में अजमेरा ने लिखा, ‘‘मैं अभी भी उस भयावह घटना के एक-एक पल को न केवल महसूस करता हूं बल्कि साक्षात देख सकता हूं। जब मेरे शरीर का ऊपरी हिस्सा फटा पड़ा था और मैं बेकसूर लोगों की चारों ओर बिखरी लाशों के बीच खून से लथपथ पड़ा था। इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी मुझे निराशा और गुस्से में कहना पड़ता है कि इस दरिंदगी ने न केवल मेरा पूरा जीवन बदल दिया बल्कि मेरे सपने भी तार-तार कर दिए।’’ अभी भी भारी शारीरिक वेदना झेल रहे अजमेरा के शरीर में कांच के कई टुकड़े फंसे हुए हैं जिनको निकालने के लिए उनकी सर्जरी होनी है।

उन्होंने सरकार से मुफ्त इलाज और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ एक फ्लैट, देश के अंदर नि:शुल्क यात्रा और आयकर लाभों की मांग की है। वह कहते हैं कि उन्हें हर रोज यह उम्मीद लगी रहती है कि पता नहीं कब कोई सरकारी अधिकारी उनके दरवाजे पर दस्तक देगा और  उन्हें मुआवजे के बारे में विश्वास दिलाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की बेरुखी से परेशान होकर इन धमाकों में जिंदा बचे बहुत से लोगों ने संघर्ष से किनारा कर लिया है लेकिन वह खुद तब तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता।-रिबैका सामरवेल

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