यूक्रेन युद्ध : 15 महीनों में रूस की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति तेजी से गिरी

punjabkesari.in Sunday, May 21, 2023 - 05:29 AM (IST)

दुनिया एक उथल-पुथल में है, विशेष रूप से 2022 की फरवरी के बाद। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को बोलचाल की भाषा में एक विशेष सैन्य अभियान करार दिया गया है, जो अब 15वें महीने में है। उसी वर्ष 4 फरवरी को चीन और रूस ने नए युग में प्रवेश कर रहे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक सतत विकास पर एक संयुक्त बयान जारी किया। इसने अमरीका के नेतृत्व वाले नियमों पर आधारित वैश्विक व्यवस्था के लिए उनके वैकल्पिक निर्माण को रेखांकित किया। यह देखते हुए कि ऐसा यूके्रन पर रूसी आक्रमण से 20 दिन पहले हुआ, यह अपने आप में महत्वपूर्ण है। 

भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) के पार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा अलग-अलग लेकिन समवर्ती रूप से किए गए अतिक्रमणों को अब छत्तीस महीने हो गए हैं। विभिन्न स्तरों पर बातचीत के बावजूद चीनी अपनी आक्रामकता छोडऩे का कोई संकेत नहीं दिखा रहे। 

पाकिस्तान अपने प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक और सैन्य प्रतिष्ठान के बीच गतिरोध के कारण आंतरिक विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है। मध्य-पूर्व में चीन की मध्यस्थता से ईरान और सऊदी अरब के बीच एक अनोखा संबंध रहा है। सऊदी अरब में अमरीका, भारत, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की और इस क्षेत्र के लिए एक सांझा दृष्टिकोण पेश करने की कोशिश की। कुछ समय पहले इसराईल, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मोरक्को के बीच अब्राहम समझौते ने इन देशों के बीच संबंधों के सामान्यीकरण का मार्ग प्रशस्त किया और मध्य पूर्व के बड़े हिस्से पर इसका लाभकारी प्रभाव पड़ा। 

तुर्की में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान के दो दशक पुराने शासन को उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी केमल किलिकदारोग्लु द्वारा राष्ट्रपति चुनावों में कड़ी चुनौती दी जा रही है, जो अब 28 मई के लिए निर्धारित है। यूरोप में फिनलैंड आधिकारिक रूप से उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल हो गया है, यूक्रेन में विकास की प्रतिक्रिया के रूप में अपनी दशकों की तटस्थता को समाप्त कर रहा है। 

अमरीका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन प्राथमिक दौड़ में एक अमरीकी-भारतीय उद्यमी विवेक रामास्वामी और पंजाब के आप्रवासी माता-पिता से पैदा हुए दक्षिण कारोनिया की पूर्व गवर्नर निकी हैली शामिल हैं। यह उस विविधता का जश्न मनाता है, जो अब अमरीकी समाज के लिए स्वाभाविक है, जहां वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं। ब्रिटेन में भारतीय मूल के एक सज्जन ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने। क्या ये परिवर्तनकारी बदलाव या घटनाओं की नियमित हलचल है, जो वेस्टफेलियन राष्ट्रों और मानव सभ्यता के आगे बढऩे के किसी भी समय होती है, एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, जिसे विश्लेषणात्मक रूप से पूछे जाने और उत्तर देने की आवश्यकता है। 

कुछ रुझान साफ नजर आ रहे हैं, जबकि अधिनायकवादी शासक अपनी शर्तों पर वैश्विक व्यवस्था को फिर से बनाने की कोशिश करने पर तुले हुए प्रतीत होते हैं। चाहे रूसी नव-स्पष्टवादी इसे पसंद करते हों या नहीं, पिछले 15 महीनों में रूस की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में तेजी से गिरावट आई है। यद्यपि कुछ राष्ट्र ऐतिहासिक कारणों से रूस के साथ खड़े रह सकते हैं, उन देशों में भी लोगों की सहानुभूति यूक्रेन के साथ है। 

इसी तरह, जैसे भारत भी पिछले कॉलम में बताए गए अनुसार पैट्रोलिंग प्वाइंट्स तक पहुंच के नुक्सान के बावजूद चीन के सामने डट कर खड़ा रहा है, उसने पेइचिंग में सर्वोत्कृष्ट विशेषज्ञ को स्पष्ट संदेश दिया है कि विस्तारवाद के विरोध की कीमत चाहे जो भी चुकानी पड़े, किया जाएगा। हालांकि विडंबना यह है कि जो लोग विदेशों में शत्रुतापूर्ण सत्तावादी आवेगों का सामना कर रहे हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उदारवाद और लोकतंत्र को अपने-अपने देश में फूलने और खिलने दिया जाए। अन्य विशिष्ट प्रवृत्ति जो बहुत स्पष्ट रूप से उभर रही है, वह यूरोप का पुन: सैन्यीकरण है। यूरोप की लंबी शांति छिन्न-भिन्न हो गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण हुए भारी विनाश के बाद उसे अब स्वीकार नहीं किया जा सकता। 

तीसरी विशिष्ट प्रवृत्ति मध्य-पूर्व में हो रही घटनाएं हैं। यद्यपि इस क्षेत्र में चीनी पदचिन्ह का विस्तार हो रहा है, मध्य-पूर्व में अन्य खिलाड़ी भी अपना दांव लगा रहे हैं। पुराने विरोधी सुलह करते नजर आ रहे हैं और नए गठबंधन सामने आ रहे हैं। यदि पश्चिम एशियाई देशों को रेलवे के एक नैटवर्क के माध्यम से भारतीय बंदरगाहों से जोडऩे के लिए एक प्रमुख बुनियादी ढांचे पर जोर देने की खबर सही है, तो यह बैल्ट एंड रोड पहल के लिए एक प्रमुख प्रत्युत्तर का प्रतिनिधित्व करेगी। चौथी विशिष्ट प्रवृत्ति बढ़ता हुआ स्थान है, जिसे आप्रवासी लोकतांत्रिक देशों के राजनीतिक स्थान में पा रहे हैं। यह उन देशों में अपने लिए जगह बनाने के लिए इन समुदायों के धैर्य और दृढ़ संकल्प का एक संकेतक है, जिसे उन्होंने अपना घर कहनेे का फैसला किया है। 

पांचवां विशिष्ट रुझान यह है कि कैसे प्रौद्योगिकी विशेष रूप से इंटरनैट, सोशल मीडिया और त्वरित संचार के साधन एक महान स्तर बन गए हैं। मुक्त भाषण और आभासी सभ्यता के शस्त्रीकरण के बीच संतुलन एक चुनौती बना हुआ है। हालांकि अब प्रसारण नैटवर्क और पिं्रट समूह की शक्ति दुर्गम नहीं है। क्या यह राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल उभरती हुई एक नई सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था के आधार का प्रतिनिधित्व करती है, जिससे अधिनायकवाद और दक्षिणपंथी लोकलुभावनवाद के खिलाफ एक मजबूत धक्का-मुक्की के साथ अधिक बहुध्रुवीयता प्रबल होगी, जो आॢथक प्रगति को प्राथमिकता देने वाली उदार और लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था को एक नया प्रोत्साहन प्रदान करेगी और कोविड-19 के बाद बढ़ती आय असमानता की खाई को कम करती है।-मनीष तिवारी
    


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