राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तू-तू मैं-मैं हो बंद
punjabkesari.in Thursday, Mar 02, 2023 - 04:38 AM (IST)

जहां तक एक निर्वाचित राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक राज्यपाल के बीच संबंधों का सवाल है, ऐसा लगता है कि देश ने दोनों में सबसे खराब संबंध देखा है। इन संबंधों में एक और गिरावट जारी है। जबकि कांग्रेस ने आजादी के बाद अपने लम्बे और वस्तुत: निर्विवाद शासन के दौरान राज्यपाल के पद का दुरुपयोग करने में बहुत योगदान दिया, वर्तमान व्यवस्था प्रतिशोध के साथ वही कुछ करती दिखाई दे रही है।
संविधान निर्माताओं ने राज्य की विभिन्न संस्थाओं और उनके अंगों को पर्याप्त नियंत्रण और संतुलन प्रदान किया था लेकिन शायद उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के पदों पर ऐसे लोग विराजमान होंगे जो कार्यालय की गरिमा के लिए बहुत कम सम्मान दिखाएंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीमकोर्ट को विवाद करने वाले राज्यपाल और पंजाब के मुख्यमंत्री को एक तरह से आड़े हाथों लेना पड़ा।
सामान्य परिस्थितियों में यह दो संवैधानिक अधिकारियों के संदर्भ में उपयोग किए जाने वाले कठिन शब्द हैं लेकिन उन्होंने अपने उच्च पदों का जो उपहास किया था, वह शायद सर्वोच्च न्यायालय के कठोर लहजे का पात्र था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शासन के मामलों पर राज्यपाल को जानकारी देने से इंकार कर दिया और राज्यपाल ने बजट सत्र के लिए राज्य विधानसभा को बुलाने को टाल दिया। सुप्रीमकोर्ट के हस्तक्षेप के लिए मंंच तैयार किया गया था।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों को अपने संवैधानिक कत्र्तव्यों का पालन करने के लिए शिष्टाचार और परिपक्व राज्य कौशल के साथ अच्छा लगा। इसमें कहा गया है कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक मतभेद स्वीकार्य हैं और इस पर संयम और परिपक्वता की भावना के साथ कार्य किया जाना चाहिए ताकि प्रवचन को नीचे की दौड़ में पतित न होने दिया जाए।मुख्यमंत्री ने सुप्रीमकोर्ट में अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि राज्यपाल ने अपनी मंत्रिपरिषद द्वारा मांगी गई राज्य विधानसभा को बुलाने की राय को टाल कर संविधान को अपहृत कर लिया था।
राज्यपाल ने कहा था कि मुख्यमंत्री का बयान ‘सड़क भाषा’ का उपयोग करने में शामिल है और वह राज्य विधानसभा के बजट सत्र को बुलाने से पहले कानूनी रूप से इसकी जांच करवाएगा। जाहिर तौर पर राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों से जुड़ी सभी घटनाओं में गैर-भाजपा शासित राज्य शामिल है। पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ लगातार युद्ध की राह पर चल रहे थे। दिल्ली में भी यही स्थिति है जहां उप राज्यपाल बार-बार मुख्यमंत्री को निशाने पर लेते रहे हैं।
दोनों के बीच तू-तू मैं-मैं, होना आम बात है। तमिलनाडु विधानसभा ने हाल ही में राज्यपाल के सदन में अपने तैयार किए गए अभिभाषण से जानबूझ कर कुछ पंक्तियों को छोडऩे और मुख्यमंत्री द्वारा इसका कड़ा संज्ञान लेने के कारण राज्यपाल को विधानसभा में बहिर्गमन के साथ एक नया पतन देखा था। पंजाब में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच चल रहा संवैधानिक नाटक सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि सीमावर्ती राज्य तथा सुरक्षा बलों को सीमा पार से गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
पंजाब में विकास की स्थिति पर ध्यान देने के बजाय राज्य के दो शीर्ष अधिकारी आग से खेल रहे हैं और राज्य और देश के सर्वोत्तम हित में उन्हें संयुक्त रूप से काम करना शुरू कर देना चाहिए।यह राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने का समय है ताकि राज्य सुरक्षित रहे और विकास और प्रगति के पथ पर चलता रहे। बेरोजगारी और अवसरों की कमी राज्य में समस्याओं का मूल कारण है और इन्हें उचित परिणाम के साथ संबोधित किया जाना चाहिए। -विपिन पब्बी