सत्य और अहिंसा गांधी जी की ताकत थी

punjabkesari.in Saturday, Oct 02, 2021 - 03:31 AM (IST)

गांधी जी विश्व के उन महान व्यक्तियों में से सबसे विरले व्यक्ति हैं जिनका अपना सम्पूर्ण जीवन दीन-दुखियों,  दलितों और गरीबों के उत्थान के साथ-साथ सबके हित और मंगल के लिए समर्पित रहा है। सत्य और अहिंसा उनकी ताकत थी जिसके बल पर ही वह बड़े से बड़ा कार्य करने में सफल हुए। आज गांधी के व्यक्तित्व और उनके दृष्टिकोण और प्रकाश की किरणें भारत के राष्ट्रीय जीवन के समस्त अंगों पर पड़ रही हैं। 

वह देश की राजनीति को जनोन्मुखी बनाने वाला है, राष्ट्र को राजनीतिक आदर्श और पथ प्रदर्शक करने वाला है। पर गांधी की देन इतनी ही नहीं है। वे भारत में नए जीवन को, नई  संस्कृति को अंकुरित करने वाले उसके जनक भी हैं। यही कारण है कि सामाजिक सुधार में आर्थिक योजना में, ग्रामोद्धार में,नारी समाज के उत्थान में, धर्म और नीति की कल्पना में, राष्ट्र भाषा के प्रचार में, आज के साहित्य और कला में, व्यक्तिगत जीवन, रहन-सहन, वेशभूषा और आचार-विचार में, चिकित्सा और भोजन में सर्वत्र उनकी छाया पाएंगे। उन्होंने जो किया है और जो दिया है उनका प्रभाव भारतीय जीवन पर कदाचित युग-युग तक बना रहेगा। 

महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा, न्याय, शोषण का न होना, मानवीय करुणा और शांति जैसे जिन मूल्यों पर जोर दिया है वे समय एवं स्थान की सीमाआें से परे हैं। इस प्रकार वैश्विक व्यवस्थाआें में परिवर्तन होने के बावजूद ये मूल्य प्रासंगिक बने रहेंगे। गांधी मामूली आदमी के दुख-दर्द को समझते थे, और उसके दुख-दर्द को अपना दुख-दर्द समझते थे। उनका संघर्ष आम आदमी की बेहतरी के लिए था, शासक के लिए नहीं। 

गांधी की शासन और विकास की रूप-रेखा पूर्णतय: व्यक्ति के कार्य पर निर्भर है। मुख्य प्रश्न यह है कि इसे किस प्रकार से किया जाए, काफी समय से समुदायों के उत्तरदायित्वों को राज्य ने छीन लिया है और सरकारी विभागों की स्थापना कर दी है। इसका परिणाम यह हुआ है कि व्यक्ति विकास की पहलों और अपनी जीवन प्रक्रियाओं से दूर हो गया और व्यक्ति का भविष्य नौकरशाही के हाथों में आ गया है। गांधी इस सारी प्रक्रिया को उलट देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने एक सशक्त जीवन्त, नैतिकता आधारित पंचायती राज व्यवस्था का समर्थन किया है।

भारत के संविधान में संशोधन करते हुए केन्द्रीय सरकार ने नई पहल के द्वारा स्वयं इस समान अवसर को जनता को प्रदान किया है। इस नई पद्धति में विकास और शासन पर गांधी के मुख्य सिद्धांतों को जोड़ा गया है। विकास और शासन के लिए यह पद्धति निचले स्तर पर शुरू की गई है। सम्पूर्ण शासन प्रक्रिया उनके आदर्शों के अनुरूप तय की गई है। भारत में संवैधानिक रूप से स्थानीय शासन पर बल दिया जा रहा है। इससे शासन के कार्यों में करोड़ों लोगों के भाग लेने के अवसर पैदा हुए हैं। 

अब प्रत्येक ग्राम पंचायत में शासन, बाजार व समाज पर गांधी के मौलिक सिद्धांतों को व्यवहार में लाया जा सकता है। रचनात्मक कार्यक्रम के द्वारा लोगों को निचले स्तर पर कार्य देने की गांधी की सिफारिश के अनुरूप ही भारत की संघीय सरकार ने भारत के संविधान में 11 वीं अनुसूची का निर्माण करते हुए निचले स्तर के लिए एक नया कार्यक्रम बनाया है। इसमें 29 गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है। 

कृषि सम्बन्धी गतिविधियां जिनमें कृषि संबंधी विस्तार,भूमि सुधार, भूमि सुधारों को लागू करना, भूमि की चकबंदी और भूमि संरक्षण, लघु सिंचाई, जल प्रबंधन और जल संरक्षण विकास, पशुपालन डेरी प्रबन्धन और मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, सामाजिक बागवानी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और औषधालय, परिवार कल्याण, महिलाएं एवं बाल विकास, विकलांग और मंदबुद्धि व्यक्तियों के कल्याण सहित सामाजिक कल्याण, गरीब वर्ग विशेषकर अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों का विकास, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सामुदायिक सम्पदा का रख-रखाव।

ये उपरोक्त विषय संविधान की 11वीं अनुसूची में जोड़े गए हैं। इनका उद्देश्य निचले स्तर पर सभी विकास गतिविधियों में जनता को शामिल करना है। यद्यपि उपरोक्त विषय भारतीय सन्दर्भ में बनाए गए हैं, परन्तु ये सभी विकासशील देशों के लिए भी उपयुक्त हैं। लेकिन सबसे लम्बे समय तक गांधी के नाम पर सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेसी सरकारों ने इस दिशा में कुछ नहीं किया। 2014 में केन्द्र की सत्ता में मोदी सरकार के आने के बाद अब भारत अपनी योजनाआें के द्वारा इन समस्याओं को सुलझाने का प्रयास कर रहा है। 

महात्मा गांधी ने कहा था कि आप कुछ भी करो तो यह सोचकर करो कि उससे समाज के सबसे गरीब व्यक्ति का कितना भला होगा।  गांधी  के नाम पर केन्द्र की सत्ता की लगभग 60 साल तक बागडोर संभालने वाली कांग्रेस और उसके समर्थन से बनी सरकारें जो काम नहीं कर सकीं उसकी शुरूआत सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर दी थी। गरीबों के लिए शौचालय, आवास, बिजली, गैस कनैक्शन देने से लेकर आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपए तक इलाज की मुफ्त सुविधा देने जैसी मूलभूत योजनाआें के केन्द्र में देश का गरीब आदमी ही है।-निरंकार सिंह        
 


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