आतंकियों को पनाह देने का मामला: ट्रम्प प्रशासन ने पाक पर बढ़ाया दबाव

Friday, Aug 25, 2017 - 11:52 PM (IST)

ट्रम्प प्रशासन ने आतंकवादी समूहों को शरण देने से रोकने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने हेतु मंगलवार को अपने नए कदमों की घोषणा की, जिनमें सरकारी अधिकारियों पर पाबंदियां लगाना, देश में ड्रोन हमलों में वृद्धि करना तथा इससे भी बढ़कर सहायता में कटौती करना शामिल है। उनका यह प्रयास अफगानिस्तान तथा दक्षिण एशिया में अपनी नई रणनीति के तहत सामने आया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को घोषणा की थी कि अमरीका अफगानिस्तान में अपनी सैन्य उपस्थिति को और आगे बढ़ाएगा। 

मगर इस क्षेत्र में विशेषज्ञ तथा पूर्व अनुभवी अधिकारी प्रश्र उठाते हैं कि क्या इससे पहले के मुकाबले अधिक सफलता मिलेगी? सैक्रेटरी आफ स्टेट रेक्स टिलरसन ने कहा कि यदि पाकिस्तानी नेता अपनी इस सोच में परिवर्तन लाने के इच्छुक नहीं हैं कि वे किस तरह से विभिन्न आतंकवादी संगठनों से निपट रहे हैं, जिन्हें पाकिस्तान में सुरक्षित शरण स्थल उपलब्ध करवाएजा रहे हैं, तो कई तरह की रणनीतियों पर विचार किया जाएगा। टिलरसन ने स्टेट डिपार्टमैंट में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान को सहायता में दी जाने वाली धनराशि तथा सैन्य सहयोग के बारे में चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के अमरीका के प्रमुख गैर नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) सहयोगी होने के दर्जे पर भी चर्चा की जा सकती है। 

ट्रम्प प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अमरीका आतंकवादियों को सहयोग देते पाए जाने वाले पाकिस्तानी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में भी सोच रहा है। अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए प्रशासन की पहली कार्रवाई धीरे-धीरे सुरक्षा तथा आर्थिक सहायता में कमी करना होगी। उसके बाद प्रतिबंध लगाए जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी संगठनों में सबसे पहले निशाने पर हक्कानी नैटवर्क होगा जो अफगान तालिबान की मदद कर रहा है और उन पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों को लाभ पहुंचा रहा है जो आतंकवादी नैटवर्क का समर्थन करते हैं। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि उन पर अफगानिस्तान में अमरीकी नीति के अफसल होने का अनुचित दोष मढ़ा जा रहा है और उन्होंने आतंकवादियों को शरण देने के आरोप से भी इंकार किया। 

इससे पहले अमरीकी प्रशासन इस बात को लेकर संघर्षरत था कि कैसे इस्लामाबाद को आतंकवादी समूहों को दबाने के लिए कहकर सुरक्षा सहयोग में संतुलन बनाया जा सकता है। जॉर्ज डब्ल्यू. बुश प्रशासन ने 2001 के बाद इस्लामाबाद को सहायता में वृद्धि कर दी थी लेकिन तत्कालीन उपराष्ट्रपति डिक चेनी ने तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर आतंकवादियों के खिलाफ अधिक कड़ी कार्रवाई करने हेतु दबाव बनाने के लिए 2007 में पाकिस्तान का गोपनीय दौरा किया था। ओबामा प्रशासन के अंतर्गत अमरीका ने मिश्रित नीति अपनाते हुए पाकिस्तान के साथ नई रणनीतिक वार्ताओं के साथ-साथ सैन्य सहायता बढ़ाने पर भी काम किया। मगर बाद में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी समूहों को शरण देना जारी रखने के कारण निराशा के चलते सहायता में कमी कर दी गई।

अफगानिस्तान में इंटरनैशनल सिक्योरिटी असिस्टैंस फोर्स के एक पूर्व कमांडर रिटा. जनरल जॉन ऐलेन ने कहा कि अफगानिस्तान में हमारे 1,50,000 सैनिक होने तथा सीमा पार कार्रवाइयों में पाकिस्तान के साथ करीब से काम करने के बावजूद वे आतंकवादियों पर अंकुश लगाने के प्रयासों में आम तौर पर ठंडा रुख अपनाए हुए है। हो सकता है कि पाकिस्तान न बदले मगर राष्ट्रपति ट्रम्प को अधिकार है कि वे पाकिस्तान के व्यवहार में परिवर्तन की मांग करें। नैशनल डिफैंस यूनिवॢसटी स्थित सैंटर फार काम्पलैक्स आप्रेशन्स के निदेशक जो कोलिन्स ने बताया कि सोमवार तथा मंगलवार को मिस्टर ट्रम्प तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बनाई गई रणनीतिक रूप रेखा में पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के पुराने वायदों की गूंज सुनाई दी। उन्होंने कहा कि कितनी बार हमने यह कहा है कि हम पाकिस्तान पर और अधिक दबाव बनाने जा रहे हैं पर फिर हमने ऐसा नहीं किया। 

2014 से लेकर अब तक ओबामा प्रशासन की नीतियों के अंतर्गत अमरीका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक तथा सुरक्षा सहायता में आधी कटौती कर दी है। टिलरसन ने पाकिस्तान में अमरीकी ड्रोन हमलों को बढ़ाने की सम्भावना की बात भी उठाई, जो एक ऐसी कार्रवाई है जिसे लेकर वाशिंगटन तथा इस्लामाबाद के बीच हाल के वर्षों के दौरान तनाव बना रहा है। 2017 में अभी तक अमरीका ने पाकिस्तान में 4 ड्रोन हमले किए हैं। 2010 में यह संख्या चरम पर थी जब अमरीका ने 122 हमले किए थे। टिलरसन ने कहा कि जहां कहीं भी आतंकवादीरहते हैं  वहां  हम हमला करेंगे और हमने उन लोगों को चेतावनी भी दी है जो आतंकवादियों को शरण तथा सहायता प्रदान करते हैं।

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