तृणमूल को वामदलों के वोट भाजपा को जाने का अंदेशा

Friday, May 17, 2019 - 01:15 AM (IST)

अपने जन्म के 199 साल बाद बंगाल के पुनर्जागरण के प्रति ईश्वर चंद्र विद्यासागर इस पूर्वी राज्य में चुनावी मुद्दा बन गए हैं। उधर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस उनके नाम से चलने वाले कोलकाता कालेज में हुई बर्बरता का इस्तेमाल वामपंथियों के वोट बैंक रहे मध्यम वर्ग को लुभाने के लिए कर रही है। 

अंदरूनी रिपोर्टें और टी.एम.सी. को मिली फीडबैक इस बात की ओर इशारा कर रही है कि 2014 के आम चुनाव में वामपंथियों को मिला 30 प्रतिशत वोट इन चुनावों में भाजपा को शिफ्ट हो रहा है। यह टी.एम.सी.के लिए चिंता की बात है क्योंकि यहां भाजपा ही उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि हमारी पार्टी की संभावनाएं काफी हद तक वामपंथी वोट पर निर्भर करेंगी। हमें उम्मीद है कि हमें 30 से ज्यादा सीटें मिलेंगी लेकिन यदि वामदलों का वोट शेयर 10 प्रतिशत से ज्यादा घटता है तो हम 25 तक भी जा सकते हैं। पार्टी नेताओं को यह भी डर है कि जहां अल्पसंख्यक कम हैं वहां पर भाजपा अधिक मजबूत होकर उभर सकती है। इसके अलावा  वामपंथियों के वोट भाजपा को मिलने से उसकी स्थिति और मजबूत हो गई। 

टी.एम.सी. का दावा
उधर टी.एम.सी. के मुख्य प्रवक्ता डैरेक ओ ब्रायन का दावा है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में उनकी पार्टी पहले से अधिक सीटें जीतेगी। उनका कहना है कि मंगलवार को हुई घटना  के बाद हम भाजपा को पश्चिम बंगाल में लाभ नहीं लेने देंगे। 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने 34 सीटें जीती थीं जबकि भाजपा को इस राज्य में 42 में से केवल 2 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। पश्चिम बंगाल में 2011 से टी.एम.सी. सत्ता में है। 

2014 में वामदलों का वोट शेयर 30 प्रतिशत था जबकि भाजपा ने 16 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। बंगाल में इस समय मुख्य चर्चा इस बात को लेकर है कि भाजपा बाकी बची हिन्दी भाषी क्षेत्र की 9 सीटों पर हिन्दू वोटों को एकजुट कर रही है और यह क्षेत्र ज्यादातर भाजपा का गढ़ माना जाता है। अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे वामदल यहां पर भाजपा के मुकाबले टी.एम.सी. को अपना बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानते हैं जिसने उन्हें सत्ता से बाहर किया था तथा उसका अल्पसंख्यक वोट बैंक भी छीन लिया था। 

भाजपा को बड़ी उम्मीद
भाजपा को इस बार यहां काफी सीटें मिलने की उम्मीद है क्योंकि यहां होने वाला बदलाव उसके पक्ष में जाएगा। हाल ही में एक इंटरव्यू में असम के मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि सी.पी.एम., कांग्रेस तथा टी.एम.सी. से संबंध रखने वाले दक्षिणपंथी लोग इस बार भाजपा को मत देंगे। उनका तो यहां तक कहना था कि इन तीनों पार्टियों के दक्षिणपंथी लोग भी इस बार प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट देंगे। 

वाम दलों के नेता भी यहां की जमीनी हकीकत से परिचित हैं। सी.पी.आई. (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य नीलोत्पल बसु ने कहा, ‘‘तृणमूल और भाजपा दोनों वामदलों के वोट बैंक में सेंध लगाने में नजर रखे हुए हैं लेकिन तृणमूल इस थ्यूरी से परेशान क्यों है? यहां तक कि ममता ने भी कहा है कि क्यों वामपंथी वोट भाजपा को जा रहा है? आपको तृणमूल से पूछना चाहिए कि उनके नेता और वोटर दोनों भाजपा में क्यों जा रहे हैं? ’’ एक अन्य वामदल नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हो रहे बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण का फायदा तृणमूल और भाजपा को होगा। इससे वामदलों को केवल नुक्सान ही होगा। 

विद्यासागर कालेज में विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने पर सोशल मीडिया में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। यह प्रतिक्रिया ज्यादातर शिक्षित वर्ग की ओर से है, जो आज भी विद्यासागर को अपना आदर्श मानते हैं। तृणमूल कांग्रेस ने मूॢत तोड़े जाने के खिलाफ कोलकाता और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया है जबकि भाजपा ने प्रैस कांफ्रैंस कर इसके लिए टी.एम.सी. को दोषी ठहराया है। उधर वामदलों ने इन दोनों पार्टियों को दोषी ठहराते हुए कोलकाता में मार्च किया।-एस. चटर्जी

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