दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘त्रिकोणीय’ मुकाबला

punjabkesari.in Monday, Jan 20, 2020 - 05:17 AM (IST)

झारखंड के बाद अब 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा के लिए होने जा रहे चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। कांग्रेस पार्टी जिसने 15 वर्ष तक दिल्ली पर राज किया लेकिन 2015 के चुनावों में खाली हाथ हो गई,  सत्ता में आना चाहती है। इसके अलावा भाजपा भी 22 वर्ष का वनवास खत्म कर दिल्ली राज्य की  सत्ता पर काबिज होने के लिए संघर्षरत है। तीनों दलों ने नए चेहरों के साथ कुछ पुराने चेहरों को मिलाकर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। राजनीतिक विशलेषकों का कहना है कि इस बात की काफी संभावना है कि कांग्रेस उन विधानसभा क्षेत्रों में आप के वोट बैंक में काफी सेंध लगा सकती है जहां पर मुस्लिम जनसंख्या काफी अधिक है और नए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इन प्रदर्शनों का समर्थन करने से इंकार किया है और उन्होंने हिंसा की निंदा करते हुए हाल ही में पास किए गए नागरिकता कानून के खिलाफ बयान दिए हैं। इन सारी बातों का चुनावों पर असर पडऩा तय है। दिल्ली कांग्रेस और भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है लेकिन इन दोनों दलों में एक बात समान है कि वे नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के लिए आप के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने उम्मीदवार पर फैसला नहीं कर पाए हैं। इस बीच लाल बहादुर शास्त्री के पोते तथा आप विधायक आदर्श शास्त्री ने आप को छोड़ कर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है तथा उन्हें द्वारिका विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है। निश्चित तौर पर इन तीनों दलों में यह मुकाबला एक नए राजनीतिक युग का सूत्रपात करेगा क्योंकि कुछ कानूनों में किए गए  संशोधन तथा उनके खिलाफ जारी आंदोलन भविष्य की राजनीति पर असर डालेंगे। 

अनिल विज और मनोहर लाल खट्टर के बीच रार बढ़ी
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज अपनी सरकार से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें इस बात की चिंता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मतभेदों के कारण उनका फोन टैप किया जा रहा है। मनोहर लाल खट्टर आर.एस.एस. प्रचारक रहे हैं और आर.एस.एस. ने उन्हें 2014 के विधानसभा चुनाव के समय डैपुटेशन पर भाजपा में भेजा था लेकिन चुनाव प्रचार के बाद उन्हें हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया गया जोकि अनिल विज की इच्छा के खिलाफ था क्योंकि वह हरियाणा भाजपा के वरिष्ठतम विधायक थे। उस समय कुछ भरोसा दिलाए जाने पर उन्होंने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार कर लिया था। उस समय गृह मंत्रालय भी खट्टर के पास था। 2019 के विधानसभा चुनावों में खट्टर ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और वह चुनाव जीत गए। हालांकि अनिल विज सहित 2 लोगों को छोड़ कर पिछली सरकार में मंत्री रहे सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए और ऐसी स्थिति में दबाव में खट्टर को अनिल विज को गृह मंत्रालय देना पड़ा। बाद में सी.आई.डी. विभाग को गृह मंत्रालय से हटा कर सामान्य प्रशासन विभाग में मर्ज कर दिया गया। अब अनिल विज अप्रत्यक्ष तौर पर उनका फोन टैप होने के लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहरा रहे हैं और इस बारे में भाजपा हाईकमान को विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। 

लखनऊ में प्रियंका का नया घर
राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चा है कि यू.पी.सी.सी. में बेहतर समन्वय के लिए प्रियंका गांधी लखनऊ शिफ्ट होंगी। फिलहाल वह महीने में एक बार उत्तर प्रदेश की राजधानी में जाती हैं लेकिन जब वहां उनका अपना घर तैयार हो जाएगा तो चीजें काफी बदल जाएंगी। हालांकि इसके बाद भी वह सप्ताहांत दिल्ली में अपनी बीमार मां के साथ उनकी देखभाल करते हुए बिताएंगी। प्रियंका के लिए उनकी पड़दादी के घर को तैयार किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि उनके शिफ्ट होने के लिए किसी शुभ तिथि का इंतजार किया जा रहा है।-राहिल नोरा चोपड़ा


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