बदलाव चाहता है आज का युवा

Saturday, Mar 23, 2019 - 04:29 AM (IST)

मैं अभी-अभी यूरोप का दौरा करके लौटी  हूं जो काफी ताजगी भरा रहा। यूरोप के दौरे के दौरान सुन्दर दृश्य देखना हमेशा  प्रसन्नतादायक रहा है। इसके अलावा वहां पर आपको विभिन्न शहरों में रह रहे स्थानीय लोगों से मिलने तथा उनको दरपेश समस्याओं व उन्हें मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानने का अवसर मिलता है। एक चीज जो मैंने नोट की है और जो दुनिया भर के युवाओं में सामान्य है वह  है निराशा की भावना तथा इस बात की छानबीन करना कि उनकी सरकारें उनके लिए क्या कर रही हैं? वे मुझे किसी भी प्रकार से संतुष्ट नहीं दिखे।

रोम में मैं खुशगवार लोगों के समूह से मिली। ये सभी अच्छे परिवारों से संबंध रखते थे तथा उनका करियर भी ठीक चल रहा था। ये लोग 35 के आसपास की आयु के थे तथा उनके लड़कपन से लेकर अब तक के प्रधानमंत्रियों व सरकारों के  बारे में चर्चा कर रहे थे। उनमें यह भावना थी कि सिस्टम में कुछ गड़बड़ है। न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा कि जैसे ये मेरे देश के युवा हैं। मेरी पीढ़ी से अलग आज का युवा बदलाव चाहता है। वे आंदोलन चाहते हैं। वास्तव में, दुनिया में कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण बहुत से शरणार्थी यूरोप में आ गए हैं तथा ऐसा लगता है कि लंदन की ब्रेग्जिट समस्या ने युवाओं को परिपक्व बना दिया है। युवाओं के मन में यह बात स्पष्ट थी कि ये  सब  उनके देशों के नेताओं द्वारा राजनीतिक कारणों से किया जाता है। विभिन्न राजनीतिक नेता अपने करियर तथा राजनीतिक दलों के लाभ के लिए कुछ आंदोलनों को जारी रखना चाहते हैं। मुझे इस बात से काफी संतोष मिला कि हमारे युवा बातों को गहराई से समझ सकते हैं। उन्हें इस बात का पक्का यकीन था कि अधिकतर देशों को स्वार्थी राजनेताओं द्वारा अपने करियर और चुनावी लाभ के लिए बर्बाद किया जा रहा है। यहां तक कि सत्ता के लोभी नेताओं के लिए जीवन का भी कोई मूल्य नहीं है। 

बढ़ रही अमीरी-गरीबी की खाई
दरअसल, हमारे देश की तरह ये युवा भी जानना चाहते थे कि अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब क्यों होते जा रहे हैं? यह समानता का अंतर क्यों  है? मेरे पास  उनके प्रश्रों का कोई जवाब नहीं था। यह स्वीकार करने की बजाय यह सब राजनीति है। दुनिया भर में आज ऐसे नेताओं की तलाश है जो नि:स्वार्थ हों, जो गरीबों के बारे में सोचते हों, देश के बारे में सोचते हों तथा सत्ता के भूखे न हों। वाजपेयी जैसे नेतृत्व के दिन अब नहीं रहे। और बेशक  आज का युवा पुराने नामों को नहीं जानता होगा। 

राजनीति को अलग छोड़ दें तो बॉलीवुड दुनिया भर में मशहूर है। वे हमारे डांस और ड्रामा को प्यार करते हैं, वे हमारी डॉन फिल्में पसंद करते हैं। मैं यह विश्वास नहीं कर सकती कि हाजी मस्तान जैसे लोगों पर बनी फिल्में सच्ची हैं तथा उसके जैसा डॉन वास्तव में कभी हुआ है। जब भी मैं विदेश जाती हूं। मुझे अपने युवाओं में एक विश्वास नजर आता है। मेरे देश के युवा चाहे वे कन्हैया लाल हों, चाहे राहुल गांधी हों, भाजपा के युवा हों अथवा विभिन्न राजनीतिक दलों के युवा जैसे कि तेजस्वी यादव, ये सभी युवा राजनेता हैं। वे सब समझते हैं कि पर्दे के पीछे क्या हो रहा है? मैं उम्मीद करती हूं कि ये लोग गंभीर हैं तथा सत्ता में आने पर देश के लिए कुछ करेंगे। परन्तु यदि वे परिवार की विरासत को ही आगे बढ़ाने का काम करेंगे तो मुझे बहुत निराशा होगी। 

नई पार्टी का नया नेता
कश्मीर में शाह फैसल नई पार्टी के नए नेता के तौर पर सामने आए हैं।  उनके राजनीति में आने के इरादों के प्रति मैं हैरान नहीं हूं। कुछ वर्ष पहले आई.ए.एस. टॉपर रहे शाह फैसल क्या वास्तव में दोबारा कुछ अलग करके दिखाएंगे। क्या इसके लिए उनके पास पर्याप्त धन और समर्थन होगा? वह इस वायदे के साथ मैदान में उतरे हैं कि वह अपने प्रदेश के युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए काम करना चाहते हैं। उन्हें लोगों के समर्थन की जरूरत है। मेरे दिल में कश्मीर के लिए एक हमदर्दी है क्योंकि मैंने अपने जीवन के 14 साल वहां बिताए  हैं।

हिमाचल की तरह ही मैं इस राज्य के बारे में भी जानती हूं। यदि यह युवा आई.ए.एस. अधिकारी बदलाव लाना चाहता है तो मुझे विश्वास है कि उसे लोगों का समर्थन मिलेगा। चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसे में युवाओं को काफी महत्व दिया जाएगा क्योंकि हमारे 60 प्रतिशत मतदाता 35 से  कम आयु वर्ग के हैं। नरेन्द्र मोदी एक सुनामी है, आप उसका मुकाबला नहीं कर सकते। प्रियंका का जादू देखना अभी बाकी है, हम राहुल द्वारा किए जा रहे बदलावों को देख रहे हैं। हमने विभिन्न क्षेत्रीय दलों के नौजवानों को विभिन्न राज्यों  में उभरते हुए देखा है। लेकिन एक खालीपन है, इस खालीपन को कौन भरेगा? क्या महागठबंधन भरेगा? अथवा दोबारा नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम? मुझे लगता है कि  क्षेत्रीय दलों का राज आ रहा है। कोई भी व्यक्ति, खासतौर पर युवा दिल्ली  में राजनीतिक दलों के मुख्यालयों में नेताओं के चपड़ासियों की चमचागिरी करते हुए  यहां-वहां नहीं भटकना चाहते। मुझे उम्मीद है कि हमारे युवा मेरे विश्वास को कायम रखेंगे तथा उनके कारण मेरी पीढ़ी को सिर नहीं झुकाना पड़ेगा।-देवी चेरियन   

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