आज की सियासत जैसे तवायफ घिरी हो तमाशाइयों में
punjabkesari.in Monday, Sep 19, 2022 - 06:06 AM (IST)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने करीब पांच दशकों के बाद 26 अगस्त शुक्रवार को पार्टी की सदस्यता एवं सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया। साथ ही पांच पृष्ठों का पत्र भी लिख दिया जिसमें कांग्रेस नेतृत्व पर उसकी कार्यशैली विशेषतया राहुल गांधी पर कांग्रेस पार्टी का सत्यानाश करने का खुला जिक्र भी किया, कहा कि वे भारी मन से पार्टी में होने वाली घुटन से आजाद हो रहे हैं। उन्होंने पार्टी की योग्यता पर काफी सवाल उठाए हैं। बात इस्तीफों की तो कैप्टन अमरेंद्र सिंह से ही आरंभ हो गई थी जो लगातार बढ़ती रही। आजाद के इस्तीफे के बाद जम्मू-कश्मीर के कुछ बड़े नेताओं ने भी त्यागपत्र दे दिए हैं।
मनीष तिवारी सरीखे नेता भी इसी राह पर जाते दिखाई दे रहे हैं। आनंद शर्मा भी जैसे इसी कतार में हैं उपयुक्त समय का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं। आजाद ने अलग पार्टी बनाने का संकेत दिया है। उनके इस्तीफे पर अजय माकन, जयराम रमेश ने बाकायदा प्रैस वार्ता में उन्हें भाजपा की उकसाहट व मोदी प्रेम ही कारण बताया है और कांग्रेस के इस संकट भरे समय में उनके इस्तीफे की भत्र्सना की है। चाहे आजाद एवं अन्य नेता भाजपा में न भी जाएं तब भी प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से कांग्रेस के नेताओं का पार्टी छोडऩा भाजपा के ही हित में है।
सिंधिया एवं हेमंत सरमा इसके प्रमाण हैं जिन्होंने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा और भाजपा की हाल में चुनावी जीत में योगदान भी दिया और महत्वपूर्ण पद भी हासिल किए। कांग्रेस पार्टी के भीतर होती घुटन महाभारत के उदाहरण से स्पष्ट हो जाती है जहां धृतराष्ट्र ने पुत्र प्रेम में कुरुवंश का ही बंटाधार करवा दिया। यूं ही पुत्र प्रेम में कांग्रेस मुसलसल रसातल की ओर जा रही है जैसे गांधी परिवार कुरु परिवार की ही राह पर अग्रसर है।
मुकाबला भाजपा जैसी शक्तिशाली पार्टी से है जहां नेताओं को मामूली पार्टी हितों के विरोध के कारण बाहर का रास्ता दिखाने में संकोच नहीं किया जाता। आजाद भी अगर भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो जम्मू-कश्मीर में भाजपा को एक साफ्ट नेता मिल जाता है जिसे मुख्यमंत्री पद से नवाजा जा सकता है। यदि आजाद अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा के सहयोग से कुछ सीटें हासिल कर चुनाव उपरांत भाजपा के गठजोड़ से सरकार बना सकते हैं। जम्मू से भाजपा के नेता जीतते हैं और कश्मीर में आजाद की पार्टी के तो मिल जुल कर सरकार बन जाएगी।
भाजपा का जम्मू में जोर है परंतु कश्मीर में उन्हें एक अनुभवी विनम्र साफ्ट चेहरे की तलाश थी जिसे आजाद ने दिशा दे दी। भाजपा की तो जैसे लाटरी लग गई है। जहां एक ओर आजाद के त्यागपत्र ने व उसके समर्थन में बड़े-बड़े नेताओं के त्यागपत्रों ने कांग्रेस के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है वहीं भाजपा को जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का स्वॢणम अवसर प्रदान कर दिया है और तो और राहुल गांधी के भविष्य को भी खत्म कर दिया है।
अन्य असंतुष्ट नेताओं को भी इस्तीफों की राह दिखा दी है। मनीष तिवारी के हाल ही में मीडिया में दी गई आजाद के इस्तीफे पर टिप्पणियां इसका सटीक उदाहरण है। भाजपा का 2024 का सपना साकार होता स्पष्ट है। बल्कि उसके आगे की जीत भी दिखाई दे रही है। विपक्ष समूचा ही ध्वस्त हो गया है। यह अवसरवादी राजनीति का आज का कुरूप है। कहने का मतलब यह है कि आज की सियासत की हालत उस तवायफ जैसी है जो तमाशाइयों से घिरी रहती है।-जे.पी. शर्मा