घट रहा है तंबाकू का सेवन, पर धीमी गति से

Friday, Feb 02, 2024 - 05:46 AM (IST)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा आंकड़े शुभ संकेत की ओर इशारा कर रहे हैं। बताते हैं कि गत 2 दशकों के दौरान दुनिया भर में तंबाकू का सेवन घटा है। साल 2000 में हर 3 में से एक वयस्क तंबाकू का सेवन करता था, जो 2022 में घटता-घटता 5 में से एक हो गया है। संगठन की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के 150 देश तंबाकू के इस्तेमाल को घटाने में कामयाब हुए हैं। भारत भी इन खुशकिस्मत देशों में शामिल है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया है कि तंबाकू से जुड़ी मौतों में फिलहाल गिरावट की गुंजाइश नहीं लगती। क्योंकि 2010 से 2025 के बीच 30 फीसदी तंबाकू के इस्तेमाल में कटौती का लक्ष्य फिलहाल पूरा नहीं हो सका है। 

रिपोर्ट के मुताबिक तंबाकू के सेवन की लत से आज भी सालाना 80 लाख लोगों की अकाल मौत हो जाती है। इनमें 13 लाख ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो खुद तो तंबाकू का सेवन नहीं करते, लेकिन सिगरेट पीने वालों के आसपास रहते हैं। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में दुनिया के सबसे ज्यादा 26.5 फीसदी लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। हालांकि सिंगापुर जैसे इन देशों में सख्ती का आलम यह है कि वहां उतरने से पहले ही हवाई जहाज में घोषणा की जाती है कि बाहर से सिगरेट, च्यूइंगम और नशीले पदार्थ लाने पर सख्त रोक है। 

लेकिन सिंगापुर समेत इन देशों में भी सिगरेट बिकते हैं और कहीं-कहीं पीने की छूट भी है। हैं बेशक बहुत महंगे, एक पैकेट करीब 1,000 रुपए से ऊपर का। ऑॢचड रोड जैसी पॉश शापिंग स्ट्रीट्स की फुटपाथ पर जगह-जगह कूड़ेदान और उन पर ऐश-ट्रे लगी हैं। ऐश-ट्रे के इर्द-गिर्द खड़े होकर सिगरेट पी सकते हैं। माल्स में भी सिगरेट पीना मना है। अगर कोई तय ऐश ट्रे जगहों से परे सिगरेट पीता पकड़ा जाए, तो 1000 सिंगापुर डॉलर यानी करीब 65,000 रुपए जुर्माना लगता है। 

यूरोपीय देश भी ज्यादा पीछे नहीं हैं। यूरोप में 25.3 फीसदी तंबाकू की लत से ग्रस्त हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि 2030 आते-आते यूरोप में तंबाकू सेवन की लत की शिकार आबादी की तादाद गिर कर 23 फीसदी रह जाएगी, और एशिया के देशों में 20 फीसदी पहुंच सकती है। साल दर साल धीरे-धीरे तंबाकू सेवन करने वालों की तादाद घटते-घटते अगले साल 2025 तक 25 फीसदी तक गिरने की प्रबल संभावना है। जबकि 2010 में अगले 15 सालों के लिए गिरावट का लक्ष्य 30 फीसदी तय किया गया था। केवल 56 देश इस लक्ष्य को हासिल करने की ओर बढ़ रहे हैं। 

अपने देश के वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वे के आंकड़ों से भी जाहिर होता है कि 2009-10 के मुकाबले 2016-17 में धुआं रहित तंबाकू सामग्री के उपयोग में 4.5 फीसदी की गिरावट आई है। यह खपत 25.9 फीसदी से घट कर 21.4 फीसदी हो गई है। जबकि धूम्रपान की लत में 3.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। यानी 14.0 फीसदी गिर कर 10.7 फीसदी पर आ गई है। धूम्रपान में गिरावट इसलिए आई है क्योंकि पहले से ज्यादा लोग सिगरेट पीने से जुड़े सेहत के खतरों की बाबत चेतावनियों पर तवज्जो देने लगे हैं। और फिर, सार्वजनिक स्थलों के अलावा रेल, हवाई जहाज वगैरह में सिगरेट पीने पर सख्त प्रतिबंध लगे हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का सभी देशों से आग्रह है कि तंबाकू सेवन पर नियंत्रण करने के कायदे-नियमों की मुहिम को प्रभावी ढंग से जारी रखें। क्योंकि कई देशों में तो 13 से 15 साल की उम्र के बच्चे और किशोर तक तंबाकू और निकोटीन के शिकंजे में फंसते जा रहे हैं। इसी के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगामी 31 मई 2024 को वल्र्ड नो तम्बाकू डे को बच्चों को तंबाकू से बचाने के रूप में मनाने की तैयारियां की हैं। इसके लिए नियंत्रण प्रणाली को किशोरों के लिए बाजार में उतर रही नई धुआं रहित तंबाकू सामग्री पर शिकंजा कसना जरूरी होगा। क्योंकि डब्ल्यू.एच.ओ. की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर के 13 से 15 साल के आयु वर्ग के किशोरों में से कम से कम 10 फीसदी किसी न किसी प्रकार का तंबाकू सेवन करते हैं। इन बच्चों-किशोरों की आबादी पौने 4 करोड़ से ऊपर है। इनमें से करीब सवा करोड़ बच्चे गुटखे, मसाले जैसे धुआं रहित तंबाकू भी इस्तेमाल करते हैं। 

चिंताजनक वास्तविकता है कि जब-जब लगता है कि सरकार तंबाकू के इस्तेमाल पर काबू पाने लगी है, तब-तब तंबाकू उत्पादक सरकारों से सांठ-गांठ कर स्वास्थ्य योजनाओं में फेरबदल कराने में कामयाब हो जाते हैं। परिणामस्वरूप लोगों की सेहत और जान की कीमत पर तंबाकू बेचने के रास्ते निकाल लिए जाते हैं। जब तक यह सिलसिला रुकेगा नहीं, तब तक लक्ष्य तक पहुंचना मुमकिन नहीं है।-अमिताभ  
 

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