जो युद्ध में भाग लेते हैं, वे कभी उसका ‘जश्न’ नहीं मनाते

Saturday, Mar 02, 2019 - 03:43 AM (IST)

जो लोग युद्ध का जश्न मनाते हैं, वे युद्ध में हिस्सा नहीं लेंगे और जो युद्ध में हिस्सा लेते हैं कभी भी उसका जश्र नहीं मनाते। युद्ध में दागी गई प्रत्येक गोली किसी महिला के दिल पर अपना निशान छोड़ जाती है। शांतिकाल में बेटे अपने पिता का अंतिम संस्कार करते हैं और युद्ध में पिता अपने बेटों का। लोग कहेंगे कि वह एक हीरो की मौत मरा, उसका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। यह उसकी मां से कहो जो कभी दोबारा अपने बेटे को नहीं देख पाएगी। 

यह हैरानी की बात है कि जब सीमा पर हम पर हमला होता है तो हम अपने बलों से संबंधित मुद्दे उठाते हैं, चाहे वह सेना हो, बी.एस.एफ., कमांडर अथवा पुलिस बल। इस सबके बीच हम यह भूल जाते हैं कि ये बल दिन-रात हमारे लिए क्या करते हैं। सेना तथा सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) हमारी सीमाओं की सुरक्षा करते हैं, वे हमारे लिए अपनी जानें देते हैं। उनके परिवार जीविकोपार्जन करने वाले के बिना, बच्चे अपने पिता के बिना, पत्नियां अपने पतियों के बगैर तथा मांएं अपने बेटों के बिना जीते हुए बलिदान देती हैं और एक असुरक्षित भविष्य का सामना करती हैं। 

हमें उनसे दुलार करना चाहिए, उन्हें सर्वश्रेष्ठ चीजें दी जानी चाहिएं। हमें उन पर अपने राजनीतिज्ञों से अधिक ध्यान देना चाहिए। जिस तरह का दुलार  राजनीतिज्ञों को मिलता है वह सामान्य व्यक्ति के लिए काफी परेशान करने वाला होता है। दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता, यह केवल भारत में अथवा एक-दो अन्य देशों में होता है। कहीं भी मैंने इतने बड़े बंगले, सुरक्षा, इतनी अधिक सुविधाएं नहीं देखी हैं जितनी कि इस देश में राजनीतिज्ञों को मिलती हैं। यहां तक कि लुटियन्स दिल्ली में उनकी मौत के बाद विशाल सम्पत्तियों को उनके म्यूजियम में बदल दिया जाता है या उनकी पत्नियों को सौंप दिया जाता है। 

मैं समझती हूं कि यह रुकना चाहिए। उन्हें पर्याप्त रूप से पैंशनें तथा सुविधाएं मिलती हैं और बाकी के जीवन वे खुद अपनी अच्छी तरह से देखभाल कर सकते हैं। राजनीति भी अपने लोगों की सेवा के लिए होनी चाहिए। दरअसल अपार्टमैंट्स उन्हें किराए पर देने के लिए बनाए जाने चाहिएं। एक विशाल क्षेत्र में सबके लिए सांझी सुरक्षा तथा सुविधाएं, ऐसे में देश का कितना धन बच सकेगा। इंगलैंड में तो प्रधानमंत्री  तक को ट्यूब तथा लोकल बसों में सफर करते देखा जा सकता है। मेरे लिए एक सैनिक सम्मानीय है, मैं उन्हें सलाम करती हूं। सीमाएं बर्फ में बनी हैं, न ही सर्वश्रेष्ठ वर्दियां हैं, न ही सबसे बढिय़ा जूते अथवा बैरकें, सबसे बढिय़ा हथियार भी नहीं। मगर वे डटे रहते हैं, ये अधिकारी जिस तरह का अनुशासन, स्व प्रासंगिकता दिखाते हैं, आश्चर्यजनक है। चुस्त वॢदयां, अच्छा व्यवहार करने वाले व्यक्ति, अपने  देश के लिए जान देने को तैयार रहने वाले तथा इतने शिष्टाचारी। 

हाल ही में जो दुखांत हुआ है, उसे बयान करने के लिए मेेरे पास शब्द नहीं। एक ही बस में हमारे 40 से अधिक बहादुर जवान शहीद हो गए। हमारी खुफियां एजैंसियां क्या कर रही थीं, मुझे नहीं पता। यह कैसे हुआ मुझे अभी तक नहीं पता। क्यों हम अपने देश के गद्दारों की सुरक्षा कर रहे हैं जो हमारे आसपास ही रहते हैं। अपने लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें देखते ही गोली मार दी जानी चाहिए। यदि वाजपेयी सरकार द्वारा छोड़े गए आतंकवादियों को मार दिया जाता तो जसवंत सिंह को कंधार नहीं जाना पड़ता तथा राजग सरकार बड़ी शॄमदगी से बच जाती। उन्होंने भारतीयों की भावना को चोट पहुंचाई है। क्यों हम ऐसे लड़कों की अपनी जेलों में भी रक्षा कर रहे हैं? उनकी रक्षा नहीं की जानी चाहिए। 

यह हैरानीजनक है कि बाहरी दुनिया के शायद ही किसी व्यक्ति को उस सदमे का एहसास हो जिससे किसी सैनिक अथवा पुलिस कर्मी के परिवार को गुजरना पड़ता है। जब कोई पुलिसकर्मी अथवा सैन्य कर्मी किसी घटना के बाद ड्यूटी से वापस लौटता है तो वे एहसास नहीं कर सकते कि कितने मानसिक दबाव से उनके परिवार को गुजरना पड़ता है। उन्हें जरूरत है विशेष चिकित्सा सुविधाओं की क्योंकि उनकी याद्दाश्त पर असर पड़ता है, एक तरह की मामूली मानसिक बीमारी, जिस पर यदि ध्यान न दिया जाए तो भविष्य में वह बढ़ सकती है और यहां तक कि उनके परिवार को भी नर्क जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है। हमें अपने खर्चों में कटौती करके बलों को विशेष उपचार तथा सुविधाएं प्रदान करनी चाहिएं, चाहे वह नौसेना हो, थल सेना, पुलिस, बी.एस.एफ. या कोई अन्य। 

यहां तक कि हम उनके परिवारों के लिए अपना अच्छे कपड़ों, अच्छे जूतों तथा पर्याप्त सुविधाओं का अधिकार भी छोडऩे के लिए तैयार हैं। बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, परिवारों को नि:शुल्क चिकित्सा सहायता प्रदान की जानी चाहिए, जीवन भर के लिए, जैसी कि राजनीतिज्ञों को दी जाती है। कुछ ऐसे नियम तथा प्रावधान होने चाहिएं कि यदि कोई सैनिक शहीद हो जाता है तो उसके परिवार में किसी को तुरंत सरकारी नौकरी दे दी जाए। उन्हें 5 या 10 लाख देने से उनका भविष्य सुरक्षित नहीं होता। उन्हें एक उचित सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। इन्हीं बलों के कारण हम अपना जीवन जीते हैं, जो दिन-रात हमारी रक्षा करते हैं। हमें अपने बच्चों को इन सुरक्षाबलों को सैल्यूट करना सिखाना चाहिए, जो हमारे लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देते हैं। 

देशभक्ति हमारे खून में है और इसे वहां रहना चाहिए। हमें अपने बच्चों,युवा पीढ़ी को इसका एहसास करवाना चाहिए और बलों को अधिक सम्मान, गौरव तथा वित्तीय सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए। मैं समझती हूं कि सरकार को यह समझना चाहिए। जहां तक युद्ध का संबंध है तो मेरा मानना है कि यह सभी का नुक्सान होगा। चाहे पाकिस्तान हो या भारत, चीन, रूस या कोई भी अन्य देश। यह मनुष्य जाति का नुक्सान है, धन का, वस्तुओं का नुक्सान तथा भविष्य में यह और भी खराब साबित हो सकता है। हमारे पुलिस सुधार अभी भी अधर में लटके हुए हैं। हमारे सैनिकों ने ड्यूटी पर घटिया खाने तथा बर्फ में तैनाती के दौरान कटे-फटे जूतों के वीडियो पोस्ट किए हैं, जो शर्मनाक है। बिना किसी प्रश्र के सभी सैन्य परिवारों को विशेष नि:शुल्क आवास, स्कूलिंग तथा नौकरियां उपलब्ध करवाई जानी चाहिएं।-देवी चेरियन

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