‘जीना इसी का नाम है’

Friday, Feb 05, 2021 - 05:48 AM (IST)

बुधवार 3 फरवरी शाम 6 बजे सारे ब्रिटेन ने एक ऐसे व्यक्ति को श्रद्धांजलि अॢपत की जिस ने 100 वर्ष की दीर्घ आयु में अपने संकटग्रस्त देशवासियों के जीवन की रक्षा हेतु मात्र 24 दिनों के अल्पकाल में 3200 करोड़ रुपए की अपार धनराशि एकत्रित करके सरकार को दान रूप में समर्पित की। ऐसे महानुभाव कैप्टन सर टॉम मूर का देहांत केवल एक ही दिन पहले हुआ था। अपने पीछे वह देशसेवा की जो अद्वितीय यादें छोड़ गए हैं उनके बारे में विभिन्न वर्गों के नेताओं और मीडिया ने कहा है कि आने वाली पीढिय़ां उन्हें कभी भुला न सकेंगी। 

महल माडिय़ों से लेकर साधारण जीवन स्तर तक जिस प्रकार इस महान पुरुष को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए है उसकी मिसाल ब्रिटिश इतिहास में कम ही मिलती है। महारानी एलिजाबेथ के मुख्य निवास स्थल बकिंघम पैलेस के साथ उनके अन्य सभी महलों, पार्लियामैंट सदन, प्रधानमन्त्री निवास स्थान 10 डाऊनिंग स्ट्रीट, सभी मुख्य भवनों पर ब्रिटेन के राष्ट्रीय ध्वज (यूनियन जैक) को झुका दिया गया। संसद के दोनों सदनों में सदस्यों ने खड़े होकर मौन धारण कर कैप्टन सर टॉम मूर को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के आग्रह पर देश भर में शाम छ: बजे घर के दरवाजों के बाहर खड़े होकर लोगों ने तालियां बजा कर उनकी याद को नमन किया। ब्रिटिश राज के दौरान मुम्बई, पूना, रांची, कोलकाता तथा भारत के कई अन्य स्थानों पर सेना सेवा में चार वर्ष गुजारने वाले सर कप्तान टॉम मूर को ब्रिटेन में जिस कारण इतना महान माननीय स्थान प्राप्त हुआ है वह है देशवासियों के प्रति उनकी अनुपम सेवा। 

यह चमत्कार कैसे हुआ : अप्रैल 2020 में ब्रिटेन में जब पहली बार लॉकडाऊन हुआ तो अन्य देशवासियों की तरह कप्तान टॉम मूर को भी घर ही के अंदर सीमित हो जाना पड़ा। सेना में सराहनीय सेवा करने वाले इस 99 वर्षीय पूर्व सैनिक ने अगले अप्रैल मास में 100 वर्ष का होना था। चल सकना बड़ा कठिन, प्राय: असंभव ही हो गया था। लेकिन निरंतर फैल रहे कोरोना वायरस से मरने वाले और रोगग्रस्त हो रहे लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढऩे की पीड़ा उन्हें दिल ही दिल मे सता रही थी।

उपचार का बोझ बर्दाश्त कर सकना नैशनल हैल्थ सर्विस के लिए मुश्किल होता जा रहा था। ऐसे में कप्तान टॉम मूर ने अपने 100वें वर्ष पर देश के लिए कुछ कर गुजरने का बीड़ा उठाया। चल सकने में अक्षमता के बावजूद उन्होंने अपने घर के पिछले बगीचे में चल कर धनराशि एकत्रित करने का निश्चय किया और लोगों से सहयोग की प्रार्थना की कि: ‘‘मैं  गार्डन के जितने चक्कर लगाऊं लोग यथा-समथ्र्य उतनी धनराशि कोरोना-वायरस पीड़ितों की सहायता हेतु नैशनल हैल्थ सर्विस के लिए दान रूप में दें।’’  इस प्रकार उन्होंने एक करोड़ रुपए की धनराशि इकट्ठी करने का लक्ष्य निर्धारित किया। एक बार में एक साथ दस ही  चक्कर लगाने का कार्यक्रम बनाया जो उनके स्वास्थ्यानुसार बड़ा कठिन था। 

इस देश की प्रथा है कि  समय-समय पर जब भी कोई व्यक्ति या संस्था जन-कल्याण के लिए अभियान चलाती है तो लोग देश, जाति, रंग-भेद से ऊपर उठ कर नि:स्वार्थ भावना से दिल खोल कर दान देते हैं। कप्तान टॉम मूर के निश्चय का समाचार जब मीडिया में छपा तो दान की इतनी वर्षा होने लगी कि, इस वयोवृद्ध वीर के प्रति सम्मान के रूप में कई लोगों ने घोषणा की कि गार्डन का चक्कर लगाते  उनके  हर कदम, हर चरण, पर धनराशि अर्पण करेंगे। कप्तान टॉम मूर का एक करोड़ रुपए इकट्ठे करने का लक्ष्य शीघ्र पूरा हो गया। परन्तु उन्होंने अपना अभियान यहीं समाप्त नहीं किया। उत्साह बड़ा, बगीचे के चक्कर लगाने का क्रम बढ़ता गया। चौबीस दिन के अंदर ही 3200 करोड़ रुपए की अपार धनराशि जनसेवा के लिए एकत्रित करके कप्तान टॉम मूर ने सरकार को समर्पित कर दी।

देश भर में उनकी प्रशंसा के गुण गाए गए। महारानी एलिजाबेथ ने उन्हें अपने निवास-स्थान बकिंघम पैलेस पर आमंत्रित करके राष्ट्र के उच्चतम पदक ‘सर’ से सम्मानित किया। सर कैप्टन टॉम मूर के योगदान के प्रति सारा देश नतमस्तक है। उन की स्मृति में एक महान राष्ट्र स्मारक स्थापित करने की योजना है।-लंदन से कृष्ण भाटिया
 

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