9 जून को एक नया खेल होगा

punjabkesari.in Sunday, Jun 09, 2024 - 05:00 AM (IST)

पूरी दुनिया एक रंगमंच है और सभी पुरुष और महिलाएं उसके महज खिलाड़ी हैं। उनके अपने निकास और प्रवेश द्वार हैं; और एक व्यक्ति अपने समय में कई भूमिकाएं निभाता है।  - विलियम शेक्सपियर जब आप 9 जून, 2024 को इस कॉलम को पढ़ेंगे, तो नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के माननीय प्रधानमंत्री बनने जा रहे होंगे लेकिन यह वही मोदी नहीं होंगे। यह एकदलीय सरकार के सत्तावादी प्रधानमंत्री के लिए निकास होगा और मोदी बहुमत वाले कई दलों के गठबंधन के प्रधानमंत्री के तौर पर प्रवेश करेंगे (जिनमें से तेदेपा के 16 सांसद और जद-यू के 12 सांसद हैं)। यह उनके लिए बिल्कुल नया अनुभव होगा।
एक प्रचारक, भाजपा के महासचिव, गुजरात के मुख्यमंत्री और भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने लगभग 55 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में मोदी ने इस भूमिका के लिए तैयारी नहीं की। वह ऐसे खेल में खेलेंगे जिससे वह अपरिचित हैं।

लोकतंत्र आंशिक रूप से बहाल

  • हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में, भारत के लोगों ने कई चीजें हासिल कीं जो कुछ हफ्ते पहले तक लगभग असंभव मानी जाती थीं।
  • दोनों सदन नियमों और सदन की सर्वसम्मति के अनुसार चलेंगे, न कि पीठासीन अधिकारी और सदन के नेता के विवेक पर। विभिन्न सदन समितियों की संरचना अधिक संतुलित होगी और अध्यक्षों को राजनीतिक दलों के बीच अधिक समान रूप से वितरित किया जाएगा।
  • पर्याप्त संख्या में सांसदों के साथ लोकसभा में विपक्ष का एक मान्यता प्राप्त नेता होगा।
  • भारत के संविधान में तब तक संशोधन नहीं किया जा सकता जब तक कि संसद में ट्रेजरी बैंच और विपक्षी बैंच के बीच आम सहमति न हो।
  • कैबिनेट या मंत्रिपरिषद की बैठकें अब प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए निर्णयों का औपचारिक समर्थन नहीं होंगी और, कई मामलों में, पहले ही लागू हो चुकी हैं उदाहरण के लिए, कैबिनेट को अब विमुद्रीकरण जैसे कठोर कदम के बारे में केवल ‘सूचित’ नहीं किया जाएगा।  
  • राज्यों के अधिकारों को स्वीकार किया जाएगा और बेहतर सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
  • राज्यों को धन का हस्तांतरण और मंत्रालयों/विभागों और योजनाओं को धन का आबंटन कम मनमाना और गठबंधन के घटक दलों की संतुष्टि के अनुरूप होगा।
  • प्रधानमंत्री को सदनों में अधिक बार उपस्थित रहने, प्रश्नों का उत्तर देने और महत्वपूर्ण बहसों में भाग लेने के लिए बाध्य किया जा सकता है।

जनादेश से सीखना: जनता बोल चुकी है। वह स्वतंत्रता, बोलने और अभिव्यक्ति के अधिकार, निजता के अधिकार और विरोध के अधिकार को महत्व देती है।  सरकार को ‘देशद्रोह’ और ‘मानहानि’ के फर्जी मामले दायर करने की प्रवृत्ति छोडऩी होगी।  ‘एनकाऊंटर’ और ‘बुल्डोजर न्याय’ को छोड़ देना चाहिए (खासकर यू.पी. के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के लिए एक सबक होगा)। राम मंदिर राजनीति से परे है और इसे कभी भी राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए (फैजाबाद निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित समाजवादी पार्टी के 77 वर्षीय अवधेश प्रसाद और  प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के बेटे और मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष साकेत मिश्रा श्रावस्ती निर्वाचन क्षेत्र में हार गए) से पूछें। लोग वास्तव में स्वतंत्र मीडिया चाहते हैं। अब कोई मनगढ़ंत एग्जिट पोल नहीं चाहता।

प्रधानमंत्री की भौंहों की हर हरकत का कोई अधिक आकर्षक (और उबाऊ) कवरेज नहीं पूर्व-लिखित उत्तरों के अनुरूप कोई और प्रश्न नहीं और ई.डी. और सी.बी.आई. के हैंडआऊट्स से कोई और अधिक आज्ञाकारी रीडिंग नहीं चाहते।
लोग चाहते हैं कि क्षेत्रीय दल अपनी मूल मान्यताओं के प्रति सच्चे रहें और राजधानी दिल्ली में एक चेहरा और राज्यों में दूसरा चेहरा न दिखाएं।

  • सामाजिक-आर्थिक और जातिगत सर्वेक्षण करें
  • संविधान (106वां संशोधन) अधिनियम को तुरंत लागू करें और 2025 से शुरू होने वाले निर्वाचित विधानमंडलों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण प्रदान करें।
  • मनरेगा सहित हर तरह के रोजगार के लिए न्यूनतम वेतन 400 रुपए प्रतिदिन लागू करें।
  • कृषि ऋण पर एक स्थायी आयोग नियुक्त करें और उसकी सिफारिशों के अनुसार कृषि ऋण माफ करें।
  • सरकारी और सरकार-नियंत्रित निकायों में 30 लाख रिक्तियां भरें।
  • यदि आवश्यक हो, तो प्रशिक्षु अधिनियम को तुरंत लागू करें संशोधित करें  ताकि प्रत्येक योग्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान को प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने और वजीफे का बोझ सांझा करने के लिए बाध्य किया जा सके।
  • अग्निवीर योजना को खत्म करें।
  • उच्चतम न्यायालय द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम की संवैधानिकता पर निर्णय होने तक इसके कार्यान्वयन को निलंबित करें।
  • जांच एजैंसियों (सी.बी.आई., ई.डी.,एन.आई.ए., एस.एफ.आई.ओ., एन.सी.बी. आदि) को एक संयुक्त संसदीय समिति की निगरानी में लाएं।

नया खेल : एक नया खेल 9 जून को शुरू होगा। नए खिलाड़ी आगे आकर खेलेंगे। निकासी और प्रवेश को देखें। -पी. चिदम्बरम


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