भारत-पाक में समस्या बन गई है ‘जाधव की सजा’

Tuesday, Apr 25, 2017 - 10:21 PM (IST)

एक कीड़े ने भारत और पाकिस्तान दोनों, और अब बंगलादेश को काट रखा है वह है जासूसी। पड़ोसी देश से आने वाला हर व्यक्ति तब तक जासूस समझा जाता है जब तक इसके विपरीत नहीं सिद्ध हो जाता। यह विदेश और गृह मंत्रालयों पर निर्भर करता है कि अमुक व्यक्ति को कब आजाद छोड़ा जाएगा। दूसरे शब्दों में पुलिस बल ही तय करने वाला होता है। और,यह कहने की जरूरत नहीं है कि व्यक्ति को मिलने वाली सजा आजीवन कारावास या मौत होगी। 

सामान्य तौर पर, अदालत फैसला करती है लेकिन पाकिस्तान का मामला अलग है क्योंकि वहां सेना शासन करती है लेकिन नागरिक अदालतों की अपनी भूमिका है जो सेना के स्थानीय कमांडरों पर निर्भर है। वास्तव में अंतिम फैसला उनका होता है। यहां तक कि मौत की सजा भी उन्हीं के द्वारा दी जाती है। सबूत का सवाल पैदा होता है लेकिन यह भी सेना के स्थानीय कमांडरों पर निर्भर करता है। 

कराची के अखबार ‘डॉन’ ने खबर दी है कि जाधव, एक भारतीय व्यापारी को मौत की सजा दी गई है। ‘‘भारतीय रॉ के एजैंट/ नेवी अधिकारी 41558 जैड कमांडर कुलभूषण सुधीर जाधव उर्फ  हुसैन मुबारक पटेल 3 मार्च, 2016 को पाकिस्तान में जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के आरोप में ब्लूचिस्तान के मस्केल से एक काऊंटर इंटैलीजैंस आप्रेशन (जवाबी जासूसी कार्रवाई) के जरिए पकड़ा गया था। 

‘‘जासूस की सुनवाई पाकिस्तान आर्मी एक्ट (पी.ए.ए.) के तहत फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल (एफ.जी. एस.एम.) में की गई और सजा-ए-मौत सुनाई गई,’’ आई.एस.पी.आर. ने सोमवार को घोषणा की। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ  के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने स्वीकार किया है कि जाधव को सजा देने के लिए बहुत कम सबूत थे लेकिन दूसरी चीजें जाधव का शामिल होना सिद्ध करती हैं। कुछ भी हो, सरताज अजीज के शब्द काफी हैं। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के महासचिव को सारे कागजात जमा कराए हैं। उसे विश्वास है कि अगर वह कोई फैसला देते हैं तो यह इस्लामाबाद के पक्ष में होगा। 

वास्तव में, पड़ोसी देश की यात्रा पर आने वाले के लिए यह नारकीय होता है। वह जहां भी जाता है खुफिया विभाग उसका पीछा करता है। यहां तक कि दुकानदार से भी पूछताछ की जाती है मानो उसने भी यात्री को खरीदने की जगह चुननेे में मदद की हो। बाजार को पड़ोसी देश के खरीदार पसंद हैं क्योंकि वे बहुत पैसा खर्च करते हैं लेकिन पुलिस की पूछताछ से उन्हें डर लगता है। मुझे याद है कि एयरपोर्ट से मुझे ले जा रहा पाकिस्तानी पीछा कर रही पुलिस कार से परेशान हो गया। उसने कार रोक दी और ड्राइवर से पूछा कि वह उसकी कार का पीछा क्यों कर रहा है। उसने जवाब में कहा यह उसका दोष नहीं है। वह वही कर रहा था जो उसके बड़े अधिकारियों ने उसे करने के लिए कहा था। मेरे दोस्त, जो एक जाने-माने संपादक थे, फौज के वरिष्ठ अधिकारियों को जानते थे। नतीजा यह हुआ कि हमारा पीछा करने वाली कार ने हमसे दूरी बना ली लेकिन पीछा करना नहीं छोड़ा। 

मान लीजिए कि जाधव किसी किस्म का जासूस था लेकिन उसने क्या जासूसी की होगी। टैक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ गई कि आप सैटेलाइट के जरिए आसमान से कार के नंबरप्लेट पर छपे अंक भी पढ़ सकते हैं। इसलिए जाधव का अपराध किसी और हरकत के लिए पाकिस्तान का बदला समझा जाएगा। पाकिस्तान की घोषणा ने यह नहीं बताया कि कब सुनवाई शुरू हुई और फैसला सुनाने तक कितना समय लगा। जाधव के मामले में, घोषणा में उल्लेख किया है कि सजा को सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने मंजूरी दे दी है। 

पाकिस्तान ने 14 अर्जियों के बाद भी वकील की सुविधा देने से इंकार कर दिया है, इसलिए यह जानना कठिन है कि जाधव को मृत्युदंड देने का कारण क्या है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चेतावनी दी है कि अगर सजा अमल में लाई जाती है तो यह एक गैर-दोस्ताना काम होगा। हाल के सॢजकल स्ट्राइक को एक चेतावनी समझना चाहिए। नई दिल्ली किसी भी हद तक जा सकती है। भारत और पाकिस्तान, दोनों को मेज पर आमने-सामने बैठना चाहिए और आपसी मामलों पर सदा के लिए फैसला कर लेना चाहिए। 

कश्मीर को बाकी समस्याओं से अलग रखा जा सकता है और एक अलग कमेटी में इस पर चर्चा की जा सकती है। कोई कारण नहीं कि दोनों देश व्यापार नहीं कर सकते या संयुक्त उद्यम नहीं खड़ा कर सकते। वास्तव में, शुरू में पर्यटकों के लिए वीजा सुविधा आसान करने से सद्भावना पैदा की जा सकती है। सरहद पर चल रहे गैर-सरकारी व्यापार को बढऩे दिया जा सकता है। सरकारी व्यापार हर तरह की समस्याएं सामने ला सकता है क्योंकि दोनों देशों के पास शिकायतों की लंबी सूची है। 

प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हाल ही में कहा है कि कोई कारण नहीं है कि भारत और पाकिस्तान मित्र देशों के रूप में न रहें। विभाजन की वास्तविकता 70 साल पहले की है और दोनों द्वारा एक-दूसरे को जख्म देने की एक दर्दनाक कहानी है। जबरन स्थानांतरण में दस लाख लोग मारे गए, जो नरसंहार की दुनिया में सबसे बड़ी संख्या है। करीब 30 से 40 लाख लोगों को नया घर ढूंढना पड़ा क्योंकि बंटवारे के बाद वे अपनी जगह पर खुद को सुरक्षित नहीं समझते थे। 

जाधव मिलिट्री ट्रिब्यूनल की ओर से मौत की सजा पाने वाला अंतिम व्यक्ति नहीं है। इससे सैनिक अदालतों में नागरिकों की सुनवाई की एक नई मिसाल बनेगी। जाहिर है, राजनीतिक पार्टियां खुश नहीं हैं और उन्होंने मिलिट्री अदालतों को समाप्त करने की कोशिश की है। मुद्दा कुछ ही समय पहले पाकिस्तान नैशनल असैम्बली के सामने आया था। इसका लोकतांत्रिक और उदारवादी पाॢटयों की ओर से जबरदस्त विरोध हुआ लेकिन दुर्भाग्य से फौज के हाथ में अंतिम फैसला था और ट्रिब्यूनल कानूनी मान्यता पा गए हैं। 

पाकिस्तान का सार्क में अच्छा दखल है। इसलिए शायद यह बुद्धिमानी होगी कि क्षेत्र के दूसरे देश किसी प्रकार के सांझा बाजार बनाने और यहां तक कि वाणिज्य और व्यापार के गैर-सरकारी तरीके स्थापित करने पर विचार करें। अभी दुबई के जरिए बड़ा व्यापार होता है लेकिन यह खर्चीला है। माना कि कश्मीर मौजूदा जख्म है, लेकिन समस्या हल करने के लिए दूसरे रास्ते ढूंढने चाहिएं। इस्लामिक पहलू पर बहुत ज्यादा जोर सांप्रदायिक पार्टियों को बढ़ावा दे रहा है और समाधान को रोक रहा है। जाधव की सजा दोनों देशों के बीच समस्या बन गई है। जब मर्जी सजा दीजिए, के ऐसे उदाहरणों को कम करने के प्रयास होने चाहिएं। यह क्षेत्र में शांति के लिए अनुकूल नहीं है।
 

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