तरनतारन उपचुनाव में कट्टरपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच मुकाबला होगा!

punjabkesari.in Saturday, Oct 04, 2025 - 05:28 AM (IST)

पंजाब में तरनतारन विधानसभा उपचुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। हालांकि, इसी जिले की एक और सीट खडूर साहिब से विधायक मनजिंदर सिंह लालपुरा के दोषी ठहराए जाने के कारण यह सीट रिक्त होने की संभावना है लेकिन उनके हाईकोर्ट जाने के कारण निकट भविष्य में इस सीट पर चुनाव होने की संभावना नहीं है। इसलिए, सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तरीके से तरनतारन सीट के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। तरनतारन निर्वाचन क्षेत्र को पंथक निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और यहां से पंथक उम्मीदवार कई बार जीत चुके हैं।

अगर शुरुआत 1997 के चुनावों से करें तो इन चुनावों में शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिंह लालपुरा ने जीत हासिल की थी और बाद में 2002, 2007 और 2012 में शिरोमणि अकाली दल के हरमीत सिंह संधू ने लगातार इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। हालांकि, 2017 के चुनावों में अकाली-भाजपा सरकार के कामकाज से नाखुश मतदाताओं ने अकाली और भाजपा को नकार दिया और कांग्रेस के धर्मबीर अग्निहोत्री को चुना और 2022 में आम आदमी पार्टी के कश्मीर सिंह ने इस विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। इस प्रकार, 6 चुनावों में से अकाली दल ने 4 बार चुनाव जीतकर एक रिकॉर्ड बनाया। आम आदमी पार्टी के विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन से खाली हुई इस सीट पर जल्द ही दोबारा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक दल इस चुनाव को जीतकर 2027 के आम विधानसभा चुनाव के लिए अगली सरकार बनाने के दावेदार के रूप में खुद को पेश करने की तैयारी में हैं। सभी दल मजबूत उम्मीदवार उतारने की कोशिश में हैं।

इसी रणनीति के तहत कई पार्टियों, विशेषकर अकाली दल ने प्रिंसिपल बीबी सुखविंदर कौर रंधावा को अपना उम्मीदवार बनाया है क्योंकि बीबी सुखविंदर कौर पहले से ही इस हलके में एक स्वतंत्र ग्रुप बनाकर राजनीतिक गतिविधियां चला रही थीं और उन्हें इस हलके की 40 से अधिक पंचायतों, 8 पार्षदों और कई पूर्व सरपंचों व चेयरमैनों का समर्थन प्राप्त था और उन्हें उम्मीदवार घोषित करते समय इन सभी पदाधिकारियों व कार्यकत्र्ताओं ने अपने स्वतंत्र ग्रुप को भंग करके अकाली दल में शामिल होने की घोषणा की थी, जिसके चलते अकाली दल बादल इस हलके में अपने आप को मजबूत स्थिति में मान रहा है।

भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। भाजपा ने तरनतारन जिले के मौजूदा अध्यक्ष हरजीत सिंह संधू को उम्मीदवार घोषित किया है। संधू पहले अकाली दल के नेता थे और कई पदों पर काम कर चुके हैं। वह एक बड़े किसान हैं और भट्ठी उद्योग भी चलाते हैं। पार्टी का मानना  है कि वह भाजपा के वोटों के साथ-साथ अकाली दल के वोट भी हासिल करने में कामयाब होंगे। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि,पार्टी ने अकाली दल से 3 बार विधायक रहे हरमीत सिंह संधू को पार्टी में शामिल कर लिया है। आप पार्टी का मानना है कि अगर हरमीत सिंह संधू को उम्मीदवार बनाया जाता है  तो वह अकाली दल के वोटों में भी सेंध लगा सकते हैं। पार्टी ने उन्हें पहले ही विधानसभा क्षेत्र प्रभारी का कार्यभार सौंप दिया है। इसलिए, उम्मीद की जा रही है कि आम आदमी पार्टी हरमीत सिंह संधू को ही अपना उम्मीदवार बनाएगी।

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी, इसलिए इस बार उसे एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी और वह देविंदर सिंह को अपना उम्मीदवार बना सकती है। देविंदर सिंह राजनीतिक रूप से भी अनुभवी हैं और पहले भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं।

पंजाब से तरनतारन लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल करने वाले अकाली दल वारिस पंजाब के अध्यक्ष अमृतपाल सिंह भी अपना उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहे हैं और उनकी कोशिश किसी पंथक और कट्टरपंथी चेहरे को मैदान में उतारने की है। इसलिए अकाली दल वारिस पंजाब अन्य नामों के अलावा बीबी परमजीत कौर खालड़ा और संदीप सिंह सनी के नामों पर भी विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, बीबी खालड़ा इस चुनाव में लडऩे के लिए उत्सुक नहीं हैं, जिसके चलते अकाली दल वारिस पंजाब द्वारा संदीप सिंह सनी को उम्मीदवार बनाए जाने की प्रबल संभावना है। अकाली दल वारिस पंजाब जल्द ही संदीप सिंह सनी को अपना उम्मीदवार घोषित कर सकता है। अकाली दल पुनरुत्थानशील ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं  लेकिन सूत्रों के अनुसार अकाली दल पुनरुत्थानशील पंजाब में अकाली दल वारिस पंजाब के उम्मीदवार का समर्थन कर सकता है। इन परिस्थितियों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि इस बार तरनतारन संसदीय क्षेत्र में मुकाबला कट्टर पंथक और धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच होगा।-इकबाल सिंह चन्नी


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