निर्वासन की पीड़ा से जूझता अंतर्मन
punjabkesari.in Sunday, Feb 09, 2025 - 05:44 AM (IST)
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हाथ में हथकड़ी, पांव में बेडिय़ां, आंख में आंसू, चेहरे पर बेबसी यह तस्वीर है अमरीका से डिपोर्ट किए गए अवैध प्रवासी भारतीयों की जो हाल ही में आव्रजन कानूनों को लेकर राष्ट्रपति टं्रप द्वारा की गई सख्ती के चलते अमरीकी सैन्य विमान सी-17 के जरिए अमृतसर के श्री गुरु रामदास इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर उतारे गए। प्रथम दृष्टया जारी 205 लोगों की सूची में से स्वदेश तक पहुंच बना चुके 104 लोगों के इस पहले दल में 4 वर्षीय बच्चा भी शामिल है। अपनी प्रकार का यह पहला प्रयास नहीं, पूर्व में भी कई अमरीकी राष्ट्रपति इसे अंजाम दे चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के दौरान 4 लाख से अधिक अवैध आप्रवासियों को बाहर निकाला था जिनमें कुछ भारतीय भी शामिल रहे। पाश्चात्य देशों के प्रति भारतीयों का खास लगाव जग-जाहिर है। भौतिक सुख-सुविधाओं की ललक कुछ लोगों को इस कदर लुभाती है कि वे बिना विचारे धूर्त एजैंंटों के झांसे में आ जाते हैं। बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद में अनेक अभिभावक अपनी जमीन-जायदाद, घर-सम्पत्ति दांव पर लगा देते हैं आवश्यकता पडऩे पर कर्जा लेने तक से नहीं चूकते। अधिक कमाने की लालसा सहित विदेश गमन में एक बड़ा कारण देश में आशानुरूप रोजगार मुहैया न होना भी है।
येन-केन-प्रकारेण विदेशों तक पहुंच बनाने की चाह एक अंधेरी राह की ओर धकेल देती है, जिसे पंजाबी भाषा में ‘डंकी रूट’ के तौर पर जाना जाता है। इस गैर-कानूनी प्रवेश को अंजाम देता है देश भर में कुकुरमुत्ते की भांति फैले अवैध ट्रैवल एजैंटों का गठजोड़। इनमें अधिकतर आपराधिक छवि के लोग हैं, जो प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में युवाओं को अवैध तरीके से विदेश भेजकर अपनी तिजोरियां भरते हैं। गुजरात, हरियाणा, पंजाब जैसे समृद्ध प्रांतों में तंत्र की नाक तले जालसाज एजैंटों का धंधा बहुतेरे फल-फूल रहा है। देश भर में अवैध ट्रैवल एजैंटों की ज्ञात संख्या 3,094 है, जोकि 30 अक्तूबर, 2023 तक 2925 थी।
पंजाब विधानसभा में वर्ष 2019 के दौरान पेश किए गए रिकार्ड के अनुसार 17 मार्च, 2017 से 10 अक्तूबर, 2019 तक प्रदेश में अवैध एजैंटों के खिलाफ 2,140 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। कानूनी दांव-पेंचों अथवा देश में व्याप्त भ्रष्टतंत्र का सहारा लेकर इनका साफ बच निकलना इस कुचक्र को तोडऩे में सबसे बड़ी रुकावट है। 30-35 लाख से 60-65 लाख तक एजैंटों को दी जानी वाली सामान्य राशि विदेशी धरती पर सीधे उतारने के प्रलोभन में एक करोड़ तक भी पहुंच बना सकती है, भले ही वास्तविक स्थिति सर्वथा विपरीत हो। ‘डंकी रूट’ का यह सफर कितना दु:खदायी हो सकता है, अपमान व निर्वासन के भुक्त भोगी 104 लोगों से पूछकर देखें; अधिकांश की रौंगटे खड़े करने वाली आपबीती दिल दहला देगी।
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के उपरांत 1,700 अवैध भारतीय प्रवासियों को हिरासत में लेने की खबर है। अमरीका ने फिलहाल विभिन्न देशों से संबद्ध 15 लाख लोगों की सूची तैयार की है, जिन्हें उनके देश वापस भेजा जाएगा। अवैध ढंग से प्रवेश करने वालों, वीजा समाप्ति के पश्चात भी अमरीका टिके रहने वालों सहित ऐसे लोग भी इस निष्कासन प्रक्रिया के अंतर्गत आते हैं, जिनके ग्रीन कार्ड का नवीनीकरण न हुआ हो।
अमरीका में 7.25 लाख अवैध भारतीय होने का अनुमान है, जिनमें 18,000 की पहचान हो चुकी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के हवाले से, अवैध आव्रजन विरोधी भारत निर्वासित भारतीयों को वापस लेगा, बशर्ते उनकी राष्ट्रीयता सत्यापित हो। इस निष्कासन में सबसे विचारणीय मुद्दा है अमरीकी प्रशासन का संज्ञाशून्य रवैया, जिसकी इजाजत न मानवीय मूल्य देते हैं, न ही भारत-अमरीका के कूटनीतिक संबंध। इस विषय में जहां विदेश मंत्रालय का संज्ञान लेना आवश्यक है, वहीं यह विचारना भी अनिवार्य है कि अपराधियों की भांति बेडिय़ों में जकड़ कर भेजे गए भारतीयों के माध्यम से ट्रंप प्रशासन भारतवर्ष में सक्रिय अवैध आव्रजकों एवं ट्रैवल एजैंटों के विरुद्ध कड़ा संदेश भेजने सहित कहीं कुछ और तो नहीं कहना चाहता?
निर्वासन का यह दंड व्यक्तिगत तौर पर भले ही अत्यंत पीड़ादायक हो किंतु अवैध रूट अपनाने वाले लोगों के लिए बहुत बड़ा सबक भी है। चल-अचल सम्पत्ति लुटाकर अथवा कर्जा लेकर अवैध आव्रजन करने से हजार दर्जे बेहतर है देश में रहकर स्व:रोजगार निर्मित करना।
अंत में सर्वाधिक सुलगता प्रश्न, क्या देश के पास अमरीका से निर्वासन के लिए चिन्हित अपने करीब 18,000 कथित अवैध प्रवासी नागरिकों के पुनर्वास को लेकर कोई योजना है? अमेरिकी धरती से बलपूर्वक निष्कासित लोगों को आजीवन खून के आंसू पीते हुए यह तो नहीं कहना पड़ेगा- न खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के हुए न उधर के हुए,