लाल-पीले हुए तोगड़िया, तो संघ ने रंगा ‘केसरिया’

Saturday, Sep 30, 2017 - 11:40 PM (IST)

गुजरात के आसन्न विधानसभा चुनाव मोदी व शाह द्वय के लिए नाक का सवाल बन गए हैं, चुनांचे हर छोटी-बड़ी कानाफूसी पर इनकी पैनी नजर होती है। सुनने में आ रहा था कि विश्व हिंदू परिषद की अंतर्राष्ट्रीय यूनिट के अध्यक्ष प्रवीण तोगडिय़ा भाजपा शीर्ष नेतृत्व से बेतरह नाराज हैं और उन्होंने गुजरात की ऐसी 40 विधानसभा सीटों की शिनाख्त कर ली थी जहां वह भाजपा की जड़ों में मट्ठा डाल सकते हैं। जब से इस खबर का प्रस्फुटन हुआ, कहते हैं तब से टीम शाह डैमेज कंट्रोल अभियान में जुट गई। 

सूत्र बताते हैं कि प्रारम्भिक चरण में तोगडिय़ा को समझाने-बुझाने की चेष्टा हुई, फिर भी जब उनके तेवरों पर पानी नहीं पड़ा तो हालिया दिनों में आहूत हुई संघ की मथुरा की समन्वय बैठक में इस मुद्दे पर किंचित गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया। संघ से जुड़े विश्वस्त सूत्र खुलासा करते हैं कि इस बाबत तोगडिय़ा को कड़ी चेतावनी दी गई है और विहिप के इंटरनैशनल वर्किंग प्रैजीडैंट की हैसियत से उनके विदेश जाने पर भी रोक लगा दी गई है।

संघ नेतृत्व की ओर से तोगडिय़ा को निर्देश दिया गया है कि वह फिलवक्त गुजरात में ही बने रहें और इन चुनावों में भाजपा को मजबूत करने का उपक्रम साधें, यानी गुजरात चुनाव की उपादेयता, महत्ता और व्यापकता को देखते हुए संघ नेतृत्व हाथ बांधकर मोदी-शाह जोड़ी के पीछे खड़ा हो गया है, जहां से जो प्रतिकूल बयार चल रही है, संघ नेतृत्व उसका रुख बदलने को कृतसंकल्प जान पड़ता है। 

अनुराग का वीतराग
भाजपा के युवा सांसद अनुराग ठाकुर इन दिनों किंचित परेशान हैं। दरअसल, इस दफे के फेरबदल के आलोक में उन्हें मोदी सरकार के एक सर्वशक्तिमान मंत्री से आश्वासन प्राप्त हुआ था कि इस बार उन्हें बतौर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सरकार में शामिल किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि यह खबर मिलते ही अनुराग ने अपने पुराने साथियों को आनन-फानन में हिमाचल से दिल्ली आने को कहा। अनुराग के कई चाहने वाले पंजाब से भी आए थे और इन लोगों ने दिल्ली की एक बड़ी विज्ञापन एजैंसी को 100 से ज्यादा आऊटडोर होॄडग्स लगाने के लिए एडवांस भी दे दिया। होॄडग का मजमून और डिजाइन भी बड़ी मशक्कत के बाद तैयार किया गया। 

सूत्र बताते हैं कि होॄडग पर अनुराग की मुस्कुराती तस्वीर के साथ लिखा गया-‘मंत्री बनने पर अनुराग ठाकुर को न्यू इंडिया की ओर से बधाई।’ पर किसी कारणवश नए मंत्रियों की सूची में अनुराग का नाम ही शामिल नहीं हो पाया। सारे मंसूबे और होर्डिंग्स धरे के धरे रह गए, पर युवा अनुराग हार मानने वालों में से नहीं। सूत्रों की मानें तो इसके बाद उन्होंने अपने समर्थकों को संदेशा भिजवाया कि उनकी जगह दिल्ली नहीं, हिमाचल है। 

पार्टी उन्हें हिमाचल के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजैक्ट करेगी। सो, आनन-फानन में हिमाचल में उनके रोड शो का प्रोग्राम बना और तय हुआ कि दिल्ली से पहले वह चंडीगढ़, फिर सोलन पहुंचेंगे और फिर वहां से अपने 500 गाडिय़ों के काफिले के साथ शिमला पहुंचेंगे। यह बात केन्द्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा को लीक हो गई। कहते हैं उन्होंने फौरन वहां के संगठन मंत्री से बात की और इसके बाद संगठन मंत्री का पार्टी कैडर को निर्देश चला गया कि अनुराग के रोड शो में जो भी नेता दिखेगा, वह इस चुनाव में पार्टी टिकट की उम्मीद न करे। सो, अनुराग की फ्लाइट जब चंडीगढ़ उतरी तो उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट सिर्फ 6 गाडिय़ां पहुंचीं। रोड शो का आइडिया रोड पर आ चुका था। 

शाह की क्लास में प्रवेश
प्रवेश साहिब सिंह वर्मा भी इन दिनों अपनी पार्टी हाईकमान के रवैये से दुखी हैं। वह दुखी हैं कि बवाना उप-चुनाव में पार्टी उम्मीदवार की हार के बाद उन्हें कायदे से डपटा गया है। दरअसल, बवाना उप-चुनाव का प्रभारी प्रवेश वर्मा को सिर्फ इसीलिए बनाया गया था कि बवाना एक जाट बहुल सीट है। आम आदमी पार्टी के सिटिंग विधायक वेद प्रकाश अपनी पार्टी और विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर वहां से चुनाव लड़ रहे थे। चुनांचे यह भाजपा और आप पार्टी के दरम्यान मूंछों की लड़ाई थी। 

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी बड़ी उम्मीदों के साथ बवाना उप-चुनाव की बागडोर प्रवेश के हाथों में सौंपी थी। कहते हैं भाजपा के प्रति जाटों का गुस्सा देखते हुए चुनाव प्रभारी होने के बावजूद डेंगू होने का बहाना बना प्रवेश घर से बाहर ही नहीं निकले और इस चुनाव में भाजपा के इस अधिकृत उम्मीदवार को बड़े अंतर से मुंह की खानी पड़ी। चुनाव का रिजल्ट आने के बाद अमित शाह ने प्रवेश वर्मा और उस क्षेत्र के भाजपा सांसद उदित राज को अपने दफ्तर तलब किया। इन दोनों को बाहर बैठकर घंटों इंतजार करना पड़ा, जबकि बवाना से भाजपा के टिकट पर चुनाव हार गए वेद प्रकाश वहां देर से पहुंचे और सीधे अमित शाह के कमरे के अंदर चले गए, जहां उन्हें आश्वासन प्राप्त हुआ कि शीघ्र ही उन्हें पार्टी में एडजस्ट किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद प्रवेश और उदित राज को अंदर बुलाकर उनकी क्लास लगाई गई। 

रजनी बोलेंगे भगवा बोल
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि तमिल सुपरस्टार रजनीकांत आने वाले चुनावों में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए राजी हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो रजनीकांत की पत्नी ने अपना रियल एस्टेट बिजनैस शुरू करने के लिए इंडियन बैंक से 180 करोड़ रुपए का लोन लिया था। हालिया दिनों में जिस तरह से रियल एस्टेट सैक्टर को भारी गिरावट का मुंह देखना पड़ा, उससे रजनीकांत की पत्नी को भी बड़े घाटे का सामना करना पड़ा है। 

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चाहता था कि रजनीकांत भाजपा ज्वॉइन करें, पर अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर रजनीकांत ने ऐसा करने से मना कर दिया लेकिन वह भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए राजी हैं। बदले में वह चाहते हैं कि बैंक के संग उनके इस लोन विवाद का आसानी से निपटारा हो जाए। उन्हें आश्वासन मिल गया है कि काम हो जाएगा। अब रजनी के समक्ष चुनौती है कि वह अपने नए डॉयलॉग को भगवा रंगों में पिरो लें। 

हार्वर्ड बड़ा या हार्ड वर्क?
भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों को जिस प्रकार पार्टी के वयोवृद्ध नेता यशवंत सिन्हा ने सवालों के घेरे में खड़ा किया और उसके अगले ही रोज यशवंत के दावों की हवा निकालने के लिए भाजपा की ओर से इसकी बागडोर उनके पुत्र जयंत सिन्हा को सौंपी गई तथा जिन्होंने जी.एस.टी., नोटबंदी और जी.डी.पी. को लेकर जिस तरह मोदी सरकार की तारीफों के कसीदे पढ़े, उससे इस बात के संकेत तो मिलते ही हैं कि पार्टी व सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। नहीं तो क्या वजह है कि इतने काबिल वित्त मंत्री के होते प्रधानमंत्री ने अपनी अलग इकोनॉमिक एडवाइजरी कौंसिल बनाई है और विवेक ओबराय को इसका चेयरमैन बनाया। 

सूत्र बताते हैं कि जी.डी.पी. के लडख़ड़ाने से स्वयं पी.एम. चिंता में हैं और भाजपा नेतृत्व में भी यह एहसास गहराने लगा है कि आर्थिक मसलों पर पेशेवर लोगों यानी घुटे हुए अर्थशास्त्रियों की राय लेनी जरूरी है। वैसे भी मोदी अब तक हार्वर्ड की बजाय हार्डवर्क  पर ज्यादा भरोसा कर रहे थे, पर कहीं न कहीं उनका भरोसा डगमगाता दिख रहा है। 

योगी का मठ उजाडऩे के लिए
हालिया दिनों में बी.एच.यू. यानी बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में जो कुछ घटित हुआ, इसका ठीकरा केन्द्र योगी के सिर पर फोड़ इस मामले से पल्ला झाड़ लेना चाहता है, पर सच्चाई की बात यह है कि बी.एच.यू. एक सैंट्रल यूनिवर्सिटी है जिसकी फंडिंग भी न सिर्फ केन्द्र द्वारा होती है अपितु इसके उप-कुलपति की नियुक्ति में भी पूरी तरह केन्द्र का हाथ होता है। बी.एच.यू. मामले के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व की ओर से न सिर्फ योगी को झाड़ पिलाई गई बल्कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को यह अहम जिम्मा भी सौंपा गया कि वह मीडिया को वह लाइन दें जिसमें बी.एच.यू.बवाल के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सके। भाजपा शीर्ष नेतृत्व के मन में जो कुछ चल रहा है उसे योगी के लिए कतई एक शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है। 

सबसे बड़े खिवैया राजा भैया
योगी सरकार में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की तूती बोल रही है। योगी सरकार में राजा भैया की पैरवी अचूक साबित हो रही है, तभी तो राजा भैया के खास लोगों को न सिर्फ बेधड़क सरकारी ठेके मिल रहे हैं अपितु राजा भैया के करीबी लोग यू.पी. में मलाईदार पदों पर आसीन भी हो रहे है।

...और अंत में
सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने भाजपा सरकार पर अपना गुस्सा निकालने का एक नया जरिया ढूंढ निकाला है। अब बाकायदा वे अपने डिब्बों पर प्रिंट करा रहे हैं-‘कमल का फूल, हमारी भूल।’               

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