अफगानिस्तान के लोग अरयाना की आवाज को पसंद करते हैं पर उसे नहीं

Wednesday, Mar 27, 2019 - 04:29 AM (IST)

अफगानिस्तान की सबसे मशहूर गायिका अरयाना सईद जब भी अपने देश लौटती है तो अपनी पसंद के कपडऩे पहनने के लिए उसे जहां धमकियां सहनी पड़ती हैं, वहीं कड़ी सुरक्षा में भी रहना पड़ता है। इसके बावजूद वह इस देश में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अक्सर यहां आती रहती है। इस दौरान वह संगीत कार्यक्रम पेश करती है जो  पॉप और पारम्परिक गानों का मिश्रण होता है।

उसने बताया ‘‘अफगानिस्तान में एक महिला गायक के तौर पर काम करना मेरे लिए वाकई मुश्किल भरा है। मुझ पर कई तरह का दबाव होता है तथा मुझे लगातार धमकियां मिलती हैं और सोशल मीडिया पर भी मुझ पर प्रहार किया जाता है। मुझे डरावने मैसेज आते हैं।’’ सुश्री अरयाना, जिस नाम से उसे अक्सर जाना जाता है, ने पिछले सप्ताह अफगान स्टार कार्यक्रम में परफार्म किया जो टी.वी. पर दिखाई जाने वाली गायन प्रतियोगिता है।

2017 में रूढि़वादी अफगानी उससे काफी नाराज हो गए थे जब पैरिस कंसर्ट में पाश्चात्य परिधान में उसकी तस्वीरें सामने आई थीं। मौलानाओं ने उसे धमकी दी थी कि यदि वह काबुल में निर्धारित संगीत कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वापस आएगी तो उसे मार दिया जाएगा। धमकियों के बावजूद उसने कार्यक्रम में भाग लिया।

अफगानिस्तान की किम कार्दाशियां
सुश्री अरयाना (जिसकी तुलना अक्सर हॉलीवुड की रियलिटी स्टार किम कार्दाशियां से की जाती है) पर डॉक्यूमैंटरी बना रहे फिल्म निर्माता सद्दाम कहते हैं, ‘‘लोग उसे सुनना पसंद करते हैं लेकिन उसे पसंद नहीं करते।’’ अफगानिस्तान में तथा विदेशों में रह रहे अफगानियों में अरयाना की लोकप्रियता इस बात का संकेत है कि 2001 में तालिबान को बाहर करने के बाद से महिलाओं के प्रति सोच में कितना परिवर्तन आया है।

काबुल में जन्मी अरयाना अफगानिस्तान में गृह युद्ध के दौरान 8 साल की उम्र में देश छोड़ कर चली गई और पहले पाकिस्तान व फिर स्विट्जरलैंड में रही। परिवार को शरण न मिलने पर उन्होंने लंदन जाने के लिए एक स्मगलर को हायर किया और वहां बस गए। सुश्री अरयाना (34) अब अपना समय काबुल और इस्ताम्बुल में बिताती है। अपने गृह नगर में सुश्री अरयाना बख्तरबंद वाहन में सफर करती है लेकिन अधिकतर अकेली रहती है। उसका कहना है कि मैं अपने कमरे में कैदी की तरह रहती हूं। मुझे केवल अपने कमरे और शो रिकार्ड करने के लिए सैट तक सीमित रहना पड़ता है।

तालिबान सरकार गिरने के बाद महिलाओं को अधिकार मिल गए हैं और लड़कियां स्कूल जा सकती हैं। कट्टरपंथी मुसलमानों के शासन के मुकाबले अब उनके जीवन में बहुत परिवर्तन आ गया है। तालिबान शासन में पुरुष रिश्तेदार के बिना तथा चेहरे ढके बिना सार्वजनिक स्थल पर उनके जाने पर प्रतिबंध था। वाद्य यंत्र बजाने की भी मनाही थी। अफगानिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अब भी रूढि़वादी हैं और वे अरयाना की ड्रैस तथा उसके द्वारा महिलाओं के अधिकारों की वकालत का विरोध करते हैं। लायक खान वहादत कहते हैं कि अरयाना सईद के संगीत कार्यक्रम हमारे समाज और इस्लाम के अनुरूप नहीं हैं। हाल ही में अरयाना की अफगानिस्तान वापसी ऐसे समय में हुई है जब अमरीका तालिबान से 17 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत कर रहा है।

अरयाना कहती है ‘‘इसके बारे में सोचना भी डर पैदा करता है। मैं यह स्वीकार नहीं करना चाहती कि यह मेरा अंतिम संगीत कार्यक्रम होगा। यदि वे दोबारा उसी मानसिकता के साथ वापस आ गए तो मुझे डर है कि महिलाओं से दोबारा उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे।’’

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