यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा जरूरी
punjabkesari.in Thursday, Jun 09, 2022 - 04:35 AM (IST)

18 वर्ष से कम आयु के बालक-बालिकाएं बच्चों की श्रेणी में आते हैं। वे दुनिया और समाज की सच्चाई से पूरी तरह परिचित नहीं होते और किसी के भी बहकावे में आ सकते हैं। उन्हें उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों पर पूरी निगरानी और नियंत्रण रखें। इसके साथ ही बच्चों में अच्छे संस्कारों व शिक्षा द्वारा अच्छे-बुरे की समझ विकसित करनी होगी। वर्तमान में सोशल साइट्स का चलन तेजी से बढ़ा है। बच्चों को समझाना होगा कि वे सोशल साइट्स पर गलत लोगों को फ्रैंड न बनाएं।
यदि कोई फेसबुक या व्हाट्सएप पर ऐसी टिप्पणी या पोस्ट करता है, जिससे उनको असहजता महसूस होती है तो उसे तत्काल अपनी सूची से हटा दें और इसकी जानकारी माता-पिता को व हैल्पलाइन नंबर पर दें। विद्यालयों में तथा अन्य मंचों के माध्यम से बाल यौन शोषण व अपराध के प्रति बच्चों को व बड़ों को जागरूक करने के कार्यक्रम होने चाहिएं। बच्चों को ‘गुड और बैड टच’ की जानकारी देनी चाहिए। कभी-कभी बच्चों का यौन शोषण करने वाला अपराधी उसके अपने ही परिवार का सदस्य या कोई नजदीकी होता है।
ऐसे में यदि बच्चा अपने माता-पिता या किसी बड़े से कोई शिकायत करता है तो उसकी बात पर विश्वास करके उसकी जांच अवश्य करनी चाहिए और दोषी कितना भी नजदीकी क्यों न हो, उसे सजा दिलाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। सरकार को भी ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी, जिससे अश्लील वीडियो और कंटैंट को सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर बैन किया जा सके, जो हमारे बच्चों व पूरे समाज के लिए बहुत घातक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत सारा ऐसा कंटैंट डार्क वैब के बंद चैट रूम्स में भी शेयर होता है, जहां खरीद-फरोख्त के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल जो इंटरनैट हम इस्तेमाल करते हैं, वह तो वैब की दुनिया का बहुत छोटा-सा हिस्सा है, जिसे सरफेस वैब कहते हैं। इसके नीचे छिपा हुआ इंटरनैट डीप वैब कहलाता है।
डीप वैब में वह हर पेज आता है, जिसे आम सर्च इंजन ढूंढ नहीं सकते, मसलन यूजर डाटाबेस, स्टेजिंग स्तर की वैबसाइट, पेमैंट गेटवे वगैरह। डार्क वैब इसी डीप वैब का वह कोना है, जहां हजारों वैबसाइट्स गुमनाम रह कर कई तरह के कालेबाजार चलाती हैं। बेचने वाले को पता नहीं होता कि खरीदने वाला कौन है और खरीदने वाले को नहीं पता होता कि बेचने वाला कौन है। ये कंटैंट शेयर करने वाले एक तरह की सोच रखने वाले लोग होते हैं, जो मैसेजिंग एप्स पर सीसैम कंटैंट शेयर करते हैं।
आईकाकॉप्स (इंटरनैट क्राइम्स अगेंस्ट चिल्ड्रन एंड चाइल्ड ऑनलाइन प्रोटैक्टिव सर्विसेज) नामक एक सॉफ्टवेयर अधिकारियों को कथित दोषियों के आई.पी. एड्रैस ढूंढने में मदद कर रहा है। पिछले 2 सालों में जब से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू हुआ, तब से अभी तक करीब 1500 तलाशी अभियानों को अंजाम दिया गया और 350 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। देश में ही विकसित किए गए सॉफ्टवेयर ग्रैपनेल को भी इसी काम में लगाया गया है। यह सॉफ्टवेयर डार्क वैब में किसी सर्च की तरह है, जहां की-वर्ल्ड टाइप करने पर ऐसे लिंक्स मिलते हैं, जहां सीसैम कंटैंट होता है। फिर पुलिस इन लोगों की पहचान करती है और उन पर कार्रवाई की जाती है।
बाल यौन शोषण मामले की जांच के लिए सी.बी.आई. ने एक विशेष यूनिट बनाई है। ये ऐसी तमाम वैबसाइट्स पर निगाह रखती है, जो बाल यौन शोषण के मामलों का प्रचार-प्रसार करती हैं या उनके वीडियो की खरीद-फरोख्त आदि से जुड़ी हैं। इस विशेष यूनिट को पता चला कि कोरोना काल के दौरान ऐसे मामलों की संख्या में खासा इजाफा हुआ। इसने जब सोशल नैटवर्क की इन वैबसाइटों और व्हाट्सएप ग्रुपों को खंगालना शुरू किया तो उसे ओनली चाइल्ड सैक्स वीडियो, नॉटी वीडियो, फन वीडियो, सुपर बॉयज वीडियो जैसे अनेक ग्रुप मिले, जिनके जरिए बाल यौन शोषण का प्रचार-प्रसार हो रहा था। साथ ही अनेक लोग इसकी खरीद-फरोख्त में भी शामिल पाए गए। इस जांच के दौरान 80 से ज्यादा लोग इसमें शामिल पाए गए।
इन मामलों के तार 100 से ज्यादा देशों से जुड़े हुए हैं, जिसमें मुस्लिम देशों के लोगों की अहम भूमिका पाई गई। इन देशों में पाकिस्तान, सऊदी अरब, बंगलादेश, श्रीलंका, घाना, ईजिप्ट, यमन, इंडोनेशिया, अजरबैजान, इंगलैंड और अमरीका भी शामिल हैं। देश भर में 50 ग्रुप ऐसे हैं, जो बाल यौन शोषण के वीडियो और चित्रों आदि का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं और कुछ लोगों द्वारा इसे बेचा भी जा रहा है। इन ग्रुपों में 5000 से ज्यादा लोग जुड़े पाए गए। दो वैबसाइट ऐसी पाई गईं, जो बाल यौन शोषण के वीडियो के लिए स्टोरेज सुविधा मुहैया कराती हैं, जबकि एक रशियन वैबसाइट के जरिए फोटो शेयरिंग की सुविधा दी जाती है।
कुछ आरोपी बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री विदेशी वैबसाइट पर अपलोड करते हैं, जिन्हें उसके बदले मोटी रकम दी जाती है। देश-विदेशों तक फैले इस गहरे जाल को जड़ से समाप्त कर पाना तो बहुत मुश्किल है, पर कड़ी कानूनी कार्रवाई के जरिए और समाज में जागरूकता फैला कर देशभर में हो रहे अश्लीलता के कारोबार पर बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकती है। जरूरत है कि सभी देशों की सरकारें एकजुट होकर इस भयंकर अपराध को जड़ से समाप्त करने की कोशिश करें। यौन उत्पीडऩ के शिकार बालक-बालिकाएं जीवन भर शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ रह और आत्महत्या करने का भी प्रयास कर सकते हैं। ऐसे बच्चे सामान्य जीवन नहीं जी पाते। जिस देश में ऐसा घृणित अपराध और गंदा कारोबार होगा, वह प्रगति कैसे कर सकता है।
देशभर में फैलते जा रहे इस भयानक जहर को समाप्त करने के लिए मौजूदा कानूनों को उचित तरीके से क्रियान्वित किया जाना चाहिए और उपर्युक्त मामलों में कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए। बाल संरक्षण योजना और अन्य सहायता सेवाओं को सुदृढ़ कर बालकों के विरुद्ध दर्ज अपराधों के लिए न्याय का वितरण तीव्र करने की विशेष आवश्यकता है। पीड़ित और उसके परिवार के सदस्यों के लिए मनोवैज्ञानिक, सामाजिक परामर्श की तत्काल व्यवस्था हो।
एक देश के रूप में हमें बच्चों के विरुद्ध हिंसा और यौन उत्पीडऩ के प्रति शून्य सहनशीलता की अवधारणा विकसित करनी होगी। बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं, उनकी सुरक्षा करना परिवार, समाज और देश की सबसे अहम जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए देश की सभी संस्थाओं व समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों को एकजुट होना होगा।-रंजना मिश्रा