अर्थशास्त्र के नियम ट्रम्प को हराएंगे

punjabkesari.in Sunday, Apr 13, 2025 - 04:27 AM (IST)

अधिकांश शब्दकोषों के अनुसार, ‘टैरिफ’ एक संज्ञा है और इसका अर्थ है किसी देश में आयात पर कर। कभी-कभी, निर्यात पर भी कर लगता है। बहुत कम ही, ‘टैरिफ’ का प्रयोग क्रिया के रूप में किया जाता है, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की बदौलत अब ऐसा अधिक प्रयोग आम हो गया है। उन्होंने दुनिया के अधिकांश देशों पर ‘टैरिफ’ लगा दिया है, जिसमें 2 द्वीप हर्ड और मैकडॉनल्ड शामिल हैं जहां केवल पेंगुइन ही जीवित प्राणी हैं, और पेंगुइन संयुक्त राज्य अमरीका को कुछ भी निर्यात नहीं करते हैं।

सात राज्यों का जुनून :  ट्रम्प का मानना  है कि अमरीका  में आयातित वस्तुओं पर कठोर टैरिफ ‘अमरीका को फिर से महान बना देगा’ (मागा)। 2 अप्रैल, 2025 को उन्होंने टैरिफ की एक तालिका का अनावरण किया। जैसे-जैसे तालिका आगे बढ़ी, यह स्पष्ट हो गया कि टैरिफ की ‘गणना’ एक सरल सूत्र पर आधारित थी जिसे सरल लोगों को समझाने के लिए अपनाया गया था। किसी लक्षित देश के लिए टैरिफ, लक्षित देश के साथ व्यापार घाटे का आधा था जिसे लक्षित देश द्वारा अमरीका को निर्यात किए गए माल के मूल्य से विभाजित किया गया था। 2024 में, 2 तटों के बीच अमरीका के विशाल क्षेत्र में रिपब्लिकन रैड था, जिसमें 4 राज्य शामिल नहीं थे। 2024 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव को एक सवाल तक सीमित कर दिया गया। 7 स्विंग राज्यों या उनमें से अधिकांश में कौन जीतेगा? ट्रम्प ने एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिलवेनिया और विस्कॉन्सिन के सभी 7 राज्यों में जीत हासिल की और उनके 93 चुनावी वोट हासिल किए। ट्रम्प का निर्वाचन क्षेत्र 7 स्विंग राज्य हैं। वे  वि-औद्योगिकीकरण, उच्च बेरोजगारी और मुद्रास्फीति, आव्रजन और श्वेत पुरुष औद्योगिक श्रमिकों की प्राथमिकताओं जैसे मुद्दों के आसपास राजनीतिक प्रवचन जैसी समान विशेषताओं को सांझा करते हैं।

चूंकि ट्रम्प ने सभी 7 राज्यों में जीत हासिल की है, इसलिए उनका मानना है कि जो मुद्दे 7 राज्यों से संबंधित हैं, वही मुद्दे संयुक्त राज्य अमरीका से संबंधित हैं और उन्हें उन मुद्दों को संबोधित करना चाहिए।
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से 80 वर्षों में, दुनिया को श्रम, वस्तुओं और सेवाओं की मुक्त आवाजाही से बहुत लाभ हुआ है, और सबसे बड़ा लाभार्थी देश संयुक्त राज्य अमरीका है। यह दुनिया का सबसे धनी, सबसे शक्तिशाली, सबसे नवीन देश है। इसमें दुनिया की सबसे अच्छी कंपनियां, सबसे अच्छे विश्वविद्यालय, सबसे अच्छी प्रयोगशालाएं और सबसे अच्छे एथलीट हैं। अमरीकी डालर सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है और यह दुनिया की आरक्षित मुद्रा है। अमरीकी ग्रीन कार्ड और अमरीकी पासपोर्ट सबसे प्रतिष्ठित दस्तावेज हैं। 

चीन और भारत सहित अधिकांश देश अपनी विदेशी मुद्रा होल्डिंग्स का महत्वपूर्ण हिस्सा अमरीकी बॉन्ड में निवेश करते हैं, जिससे अमरीका दुनिया का एकमात्र ऐसा देश बन जाता है जो राजकोषीय घाटे के बारे में चिंता नहीं करता है। दुर्भाग्य से, केवल 7 राज्यों के मतदाता ही ऐसे लोग हैं जो यह मानते हैं कि इन सभी ‘अतिशयोक्तिपूर्ण’ बातों से उनके जीवन को कोई लाभ नहीं हुआ है। ट्रम्प तथ्यों से ज्यादा उनके प्रति वफादार हैं।

जोरदार प्रतिरोध :  ट्रम्प के काम में बाधा डालने के फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे। अमरीका में प्रतिभाओं का आप्रवासन धीमा हो जाएगा, यदि रोका नहीं जाएगा। वस्तुओं का व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा और आपूर्ति शृंखलाएं बाधित होंगी। सेवाओं के व्यापार में, कम से कम अस्थायी रूप से, बाधाएं आएंगी। पूंजी प्रवाह को टैरिफ और काऊंटर टैरिफ की नई व्यवस्था के अनुकूल होने में समय लगेगा। कुछ सेवाएं पूंजी का अनुसरण करेंगी और बाधित होंगी। ट्रम्प के एकतरफावाद के सामने कई विकसित देशों ने सराहनीय संयम के साथ व्यवहार किया है। यह स्पष्ट है कि  ट्रम्प भ्रमित और झांसा दे रहे हैं। वह और अमरीकी लोग अमरीका में आयातित और लोगों द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं पर उच्च टैरिफ बर्दाश्त नहीं कर सकते। आपूॢत में व्यवधान, मुद्रास्फीति और नौकरियां खत्म हो जाएंगी। अमरीकी नाराज होंगे, और यहां तक कि मागा्र-अमरीकी भी मुद्रास्फीति की गर्मी महसूस करेंगे। हजारों लोग पहले ही अमरीका के बड़े शहरों में प्रदर्शन कर चुके हैं।  अगर महंगाई और बेरोजगारी बढ़ती है, तो हजारों लोग सड़कों पर उतर आएंगे। 

ट्रम्प जब अपनी धोखाधड़ी का पर्दाफाश होते देखेंगे तो पीछे हट जाएंगे, जैसा कि उन्होंने 9 अप्रैल को किया था, जब उन्होंने चीन को छोड़कर सभी देशों के लिए ‘पॉज’ बटन दबाया था। कहानी में और भी मोड़ आएंगे।  ट्रम्प 2 चीजों पर नजर रखेंगे- मागा-अमरीकियों की प्रतिक्रिया और अमरीकी बॉन्ड पर यील्ड कर्व। जब दोनों ही उनके खिलाफ हो जाएंगे, तो वे बेशर्मी से अपनी नीतियों को पलट देंगे। 

अर्थव्यवस्था प्रबल होगी : कनाडा और यूरोप मजबूत, दृढ़ और जिम्मेदार बने हुए हैं। चीन काऊंटर टैरिफ पर अड़ा हुआ है। अगर अमरीका टैरिफ युद्ध को मजबूर करता है, तो चीन पीछे नहीं हटेगा। भारत ने टैरिफ युद्ध पर कोई टिप्पणी नहीं की है और अमरीका के साथ व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का विकल्प चुना है, लेकिन भारत कायरता का आभास नहीं दे सकता। न ही भारत यह दिखावा कर सकता है कि उसे इस बात की चिंता नहीं है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था का क्या होगा। भारत को एक स्टैंड लेना चाहिए। उर्सुला वॉन डेर लेयेन, मार्क कार्नी, कीर स्टारमर और कुछ अन्य नेता ऐसे उदाहरण हैं जिनका भारत को अनुसरण करना चाहिए। ट्रम्प द्वारा टैरिफ पर रोक लगाने से दुनिया को यह विश्वास करने की कुछ उम्मीद मिली है कि आॢथक समझदारी उन पर हावी होगी। हालांकि, यदि  ट्रम्प ‘रोक’ को हटाते हैं और 2 अप्रैल को घोषित टैरिफ को फिर से लागू करते हैं, तो वे दुनिया की अर्थव्यवस्था को उलट देंगे। 

अधिकांश अर्थशास्त्री वैश्विक मंदी की भविष्यवाणी करते हैं। भारत के लिए, सबसे बुरा जो हो सकता है वह मंदी, मुद्रास्फीति, कम निर्यात और कम एफ.पी.आई. और एफ.डी.आई. का कड़वा मिश्रण है। भारत को अपने सहयोगियों को चुनना चाहिए, उनके साथ व्यापार का विस्तार करना चाहिए और  ट्रम्प को पीछे धकेलना चाहिए। अंतत:, अर्थशास्त्र के नियम  ट्रम्प को हरा देंगे। जीत के उस क्षण में भारत हारने वाले के साथ खड़ा नहीं दिख सकता।-पी. चिदम्बरम 


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