देश के विकास में ‘डिजीटल अर्थव्यवस्था’ की अहम भूमिका

punjabkesari.in Friday, Jul 31, 2020 - 03:47 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गूगल के सी.ई.ओ. सुंदर पिचाई की डिजीटल इंडिया पर हाल ही में बातचीत में सुंदर पिचाई ने घोषणा की है कि गूगल देश में डिजीटल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 10 बिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 75,000 करोड़ रुपए) का निवेश करेगी। हाल ही में देश में चुनौतीपूर्ण आॢथक हालातों के बावजूद केंद्र के डिजिटल इंडिया अभियान को जबरदस्त कामयाबी मिली है। कोरोना महामारी के दौरान रुपए के ऑनलाइन लेन-देन और पेमेंट में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ौतरी दर्ज की गई है। नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एन.पी.सी.आई.) के आंकड़ों के अनुसार यू.पी.आई. पर भुगतान जून में रिकॉर्ड 1.34 अरब लेन-देन तक पहुंच गया। यह मई महीने के 1.23 अरब लेनदेन के मुकाबले 8.94 प्रतिशत अधिक है। 

एन.पी.सी.आई .के आंकड़ों पर नजर डालें तो जून महीने में एकीकृत भुगतान इंटरफेस यानी यू.पी.आई. से ट्रांजैक्शन ने अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। एन.पी.सी.आई. के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यू.पी.आई. पर भुगतान जून में रिकॉर्ड 1.34 अरब लेन-देन तक पहुंच गया। इतना ही नहीं इस दौरान लगभग 2.62 लाख करोड़ रुपए के लेन-देन हुए। आंकड़ों के मुताबिक मई, 2020 के 1.23 अरब लेन-देन के मुकाबले जून में 8.94 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

इससे पहले अप्रैल में कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू लॉकडाऊन में यू.पी.आई. लेन-देन घटकर 99.95 करोड़ रह गया था और इसदौरान कुल 1.51 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए। बताया जा रहा है कि अर्थव्यवस्था को खोलने के बाद ऑनलाइन भुगतानों में मई से धीरे-धीरे बढ़ौतरी हुई। एन.पी.सी.आई. के आंकड़ों के मुताबिक मई में यू.पी.आई. लेन-देन की संख्या 1.23 अरब थी, इसके बाद जून में लेन-देन की संख्या अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचगई।

कोविड-19 महामारी में भी डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के कारण ही लोग घर से काम करने; डिजीटल पेमेंट करने; छात्र, टी.वी., मोबाइल, लैपटॉप से शिक्षा प्राप्त करने; मरीज टैली-परामर्श लेने में तथा भारत के सुदूर क्षेत्र के किसान सीधे अपने बैंक खातों में पी.एम.-किसान  योजना का लाभ प्राप्त करने में सक्षम हैं। डिजीटल इंडिया कार्यक्रम ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, कॉमन सर्विस सैंटर, डिजीलॉकर, मोबाइल आधारित उमंग सेवाएं , ‘मॉय गोव’ माध्यम से शासन में भागीदारी,आयुष्मान भारत, ई-अस्पताल, पी.एम.-किसान, ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, स्वयं प्रभा, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल, ई-पाठशाला आदि के माध्यम से भारतीय नागरिकों के जीवन के सभी पहलुओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। 

डिजीटल इंडिया कार्यक्रम ने कोविड-19 स्थिति के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जैसे- आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी, मॉय गोव के माध्यम से सैनीटाइजेशन एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आदि। ई-सेवाओं की संख्या वर्ष 2014 में 2,463 से बढ़कर मई 2020 तक 3,858 हो गई है। वर्ष 2014 में दैनिक औसत इलैक्ट्रॉनिक लेन-देन 66 लाख रुपए से बढ़कर वर्ष 2020 में 16.3 करोड़ रुपए हो गया है। अब तक 125.7 करोड़ नागरिकों को आधार जारी किया जा चुका है और 4,216 करोड़ प्रमाणीकरणों को सुगम बनाया गया है। 

कोविड-19 स्थिति के दौरान डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत आरोग्य सेतु को 3 सप्ताह में 12 भारतीय भाषाओं के साथ विकसित किया गया है जिसे अब तक लगभग 13 करोड़ लोगों ने डाऊनलोड किया है। इस एप ने 350 से अधिक कोविड-19 हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद की। कोविड-19 से निपटने हेतु सोशल मीडिया के लिए ग्राफिक्स, वीडियो, उद्धरणों के माध्यमों द्वारा नागरिकों को जागरूक करने में मॉय गोव वैबसाइट और फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिक्डिन जैसे सोशल मीडिया चैनलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार डिजीटल इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दे जिससे ‘पारंपरिक अर्थव्यवस्था’ से ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था’ की तरफ तेजी से बढ़ा जा सके। 

आने वाले वर्षों में भारत सरकार डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए मुख्य फोकस क्षेत्र ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनैस’ एवं ‘आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस’ होना चाहिए। आने वाले वर्षों में भारत को ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनैस’ के लिए प्रौद्योगिकी को प्रमुखता देने और उद्यमों को सरकारी सेवाओं में न्यूनतम मानव इंटरफेस के साथ फलने-फूलने की अनुमति देनी चाहिए। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत कर संग्रह में सुधार लाने, कृषि एवं चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में कृत्रिम प्रौद्योगिकी के निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिए। 

डिजीटल इंडिया कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि समय आ गया है कि ‘आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस’ को राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने में लागू किया जाए ताकि इससे भारत के सम्पूर्ण विकास में तकनीक की अहम् भूमिका को परिभाषित किया जा सके और वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके।-डा. वरिन्द्र भाटिया
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News