बुजुर्गों का सत्कार अब पहले जैसा नहीं रहा

punjabkesari.in Tuesday, Apr 18, 2023 - 06:21 AM (IST)

हमारे देश की संस्कृति बड़ी विलक्षण एवं अनूठी है। यहां पर संयुक्त परिवार की एक विशेष परंपरा रही है और संयुक्त परिवार को सुरक्षित परिवार की श्रेणी में गिना जाता है। बुजुर्गों को घर का मुखिया माना जाता रहा है और इसी संदर्भ में ‘करो सेवा-मिलेगा मेवा’ कहावत भी प्रचलन में रही। आज के बदलते युग में जहां संयुक्त परिवार बिखर रहे हैं तो पारिवारिक इकाई सिकुडऩे के साथ ही अब अधिकांश परिवारों में बुजुर्गों का आदर और सेवा करने की बजाय उन्हें घर से ही दूर किया जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश के शहरों में वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ रही है और इनमें वृद्धों की संख्या भी साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। 

गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार हरियाणा की आबादी करीब 2.53 करोड़ थी और करीब 50 लाख परिवार थे। अब प्रदेश की अनुमानित आबादी 2 करोड़ 80 लाख से अधिक हो गई है। 2011 के आंकड़ों पर नजर डालें तो उस समय प्रदेश में महज सवा 2 लाख संयुक्त परिवार थे। 2001 में यह आंकड़ा 3.79 लाख था और 1991 में संयुक्त परिवारों की संख्या करीब 10 लाख थी। इस प्रकार साल-दर-साल आबादी तो बढ़ती चली गई, मगर परिवारों में आ रहे बिखराव और बदलते लाइफस्टाइल के कारण संयुक्त परिवारों की संख्या कम हो रही है। 

इस परिपेक्ष्य में ‘कितनी दीवारें उठी हैं एक घर के दरमियान’ और ‘पहले घर कच्चे और रिश्ते पक्के हुआ करते थे, मगर अब घर पक्के और रिश्ते कच्चे होते हैं।’ जैसी पंक्तियां चरितार्थ होती नजर आ रही हैं। इसके साथ ही अब घरों में बुजुर्गों का सत्कार पहले जैसा नहीं किया जाता है। 

बुजुर्गों से घर में मारपीट, समय पर खाना व दवाई न देने, अत्याचार करने, बासी भोजन देने जैसी खबरें हर रोज सुर्खियों में रहती हैं। अभी कुछ दिन पहले हरियाणा के भिवानी जिले में ही एक बुजुर्ग दंपति ने अपने ही बहू और बेटे से तंग आकर आत्महत्या कर ली। वजह थी बहू और बेटा उन्हें बासी खाना देते थे और अक्सर प्रताडि़त करते थे। अहम बात यह है कि इस परिवार के पास न तो संपत्ति की कमी है और न ही रुतबे की। मृतक दंपति का पौत्र आई.ए.एस. अधिकारी है। हैरानी की बात यह है कि हरियाणा में यह अकेली घटना नहीं है। 

बुजुर्गों के साथ इस तरह की घटनाओं के बाद ही सरकार ने करीब दो साल पहले प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम खोलने की योजना बनाई थी। इससे पहले 1999 से लेकर 2005 तक इनैलो सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए प्रदेश के 5,000 से अधिक गांवों में वृद्धाश्रम बनाए थे, मगर इन आश्रमों के लिए कोई वार्षिक बजट न होने के चलते अब ये भवन के रूप में ही विद्यमान हैं। वहीं प्रदेश में अनुमानित 40 से अधिक वृद्धाश्रम हैं। इन आश्रमों में हर साल वृद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही चिंता की बात यह है कि जहां बेटा और बहू अपने मां-बाप को घर से दूर कर रहे हैं तो प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ प्रताडऩा के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। 

नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2021 में हरियाणा में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ प्रताडऩाओं के 1056 मामले पुलिस ने दर्ज किए। इसी तरह से साल 2019 में 384 एवं 2020 में 650 केस दर्ज किए गए। 2021 में 47 वरिष्ठ नागरिकों की हत्या कर दी गई जबकि हत्या के प्रयास के 11 और 41 प्रताडऩा के मामले सामने आए। एक तथ्य यह भी है कि अधिकांश वृद्ध तो अपनी संतान से प्यार करने के चलते प्रताडऩा के बावजूद पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाने तक नहीं जाते  हैं। ऐसे में सरकार भी बुजुर्गों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को लेकर गंभीर नजर आ रही  है और जैसे ही बुजुर्गों पर अत्याचार का कोई मामला सोशल मीडिया या किसी भी माध्यम से संज्ञान में आता है तो सरकार तुरंत उस पर कार्रवाई अमल में ला रही है। 

इसके साथ ही हरियाणा सरकार की ओर से अभी कुछ समय पहले परिवार पहचान पत्रों की वैरिफिकेशन करवाई गई। जांच में पता चला है कि प्रदेश में सवा 2 लाख लोग ऐसे हैं, जिनकी आयु 80 वर्ष से ऊपर है। 3500 ऐसे हैं जिनकी आयु 100 साल से अधिक है। प्रदेश में 3600 लोग ऐसे हैं जिनकी सालाना आय 25,000 है। इन 3600 लोगों के रहने व खाने की जिम्मेदारी अब सरकार उठाने जा रही है। ये 3600 ऐसे वृद्ध हैं, जिनका अपना कोई पारिवारिक सदस्य नहीं है।-संजय अरोड़ा                         


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