गुरु की नगरी अमृतसर से शुरू हुआ था पंजाब में बिजली का इतिहास

Thursday, Feb 22, 2024 - 05:48 AM (IST)

पंजाब में बिजली का इतिहास गुरु की नगरी अमृतसर से शुरू हुआ। पावरकॉम के संचालन जोन बार्डर के प्रमुख अभियंता इंजी. सतिन्द्र शर्मा के अनुसार अमृतसर के हाल गेट के सबसे पुराने बिजली विभाग के सबसे पुराने कार्यालय की ओर से ढूंढे गए दस्तावेजों से यह पता चलता है कि  पहला बिजली कनैक्शन मुख्य इलैक्ट्रिकल इंजीनियर एच.सी. ग्रीनवुड की ओर से स्वीकृत किया गया था। 11 दिसम्बर 1915 को म्युनिसिपल इलैक्ट्रिसिटी विभाग की ओर से अमृतसर के डिप्टी कमिश्रर के घर के लिए प्रथम बिजली कनैक्शन जारी करने के लिए आवेदन पत्र दिया गया था। उस समय सी.एम. किंग अमृतसर के डिप्टी कमिश्रर थे। 

पंजाब के संचालन 2 जोनों को विभिन्न भागों में बांटा गया जिसके तहत जिला अमृतसर और जिला गुरदासपुर को जालंधर और होशियारपुर के साथ-साथ पंजाब स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड (पी.एस.ई.बी.) के उत्तरी जोन में रखा गया था जिसके अनुसार अमृतसर, गुरदासपुर के शहरी और ग्रामीण इलाकों (म्युनिसिपल कार्पोरेशन, अमृतसर की हद के अतिरिक्त) में बिजली संबंधी सभी कार्य पावरकॉम पहले पंजाब पी.एस.ई.बी. की ओर से किए जाते थे। 

पावरकॉम के संचालन बोर्ड जोन के मुख्य अभियंता इंजी. सतिन्द्र शर्मा के अनुसार दिसम्बर 2023 के आंकड़ों के अनुसार संचालन बार्डर जोन 2086839 बिजली उपभोक्ताओं के घरों को रोशना रहा है जिनमें 15,46,979 घरेलू उपभोक्ता और 2,76,979 कृषि ट्यूबवैल उपभोक्ता हैं।अमृतसर शहरी क्षेत्रों में बिजली की सप्लाई म्युनिसिपल कार्पोरेशन अमृतसर के बिजली विभाग की ओर से भारत की स्वतंत्रता से पहले वर्ष 1915 से की जा रही है। दिसम्बर 1915 में बिजली की देख-रेख और इसके आबंटन के लिए पहले चीफ इलैक्ट्रिकल इंजी. एच.सी. ग्रीनवुड को तैनात किया गया था। उस समय अमृतसर शहर में बिजली की आपूर्ति सुल्तानविंड नहर पर लगी टर्बाइन से की जाती थी। 

वर्ष 1959 में पी.एस.ई.बी. के अस्तित्व में आने के बाद म्युनिसिपल कार्पोरेशन अमृतसर के बिजली विभाग के बिजली की आपूर्ति पी.एस.ई.बी. की ओर से की जाने लगी परन्तु क्षेत्र की बिजली आबंटन प्रणाली म्युनिसिपल कार्पोरेशन अमृतसर के बिजली विभाग के पास ही रही। 1 अप्रैल 1995 को म्युनिसिपल कार्पोरेशन अमृतसर के बिजली विभाग को पी.एस.ई.बी. की ओर से (स्टाफ तथा बिल्डिंग सहित) अपनेअधीन कर लिया गया और इसे अमृतसर शहरी हलका नाम दे दिया गया। 1 अप्रैल 1995 को उत्तरी जोन के अधीन जालंधर, नवांशहर, होशियारपुर और कपूरथला के साथ-साथ अमृतसर सब-अर्बन, गुरदासपुर क्षेत्र, तरनतारन और अमृतसर शहरी क्षेत्र होने के कारण वर्कलोड में बढ़ौतरी होने पर 16 जून 1995 को एक नया संचालन जोन बनाया गया जिसे बार्डर जोन का नाम दे दिया गया। 

पावरकॉम के संचालन शहरी क्षेत्र के उप-मुख्य अभियंता इंजी. राजीव पराशर के अनुसार अमृतसर शहर में श्री हरिमंदिर साहिब, श्री दुग्र्याणा मंदिर, जलियांवाला बाग, अटारी बार्डर, जिला गोबिंदगढ़ इत्यादि होने के कारण धार्मिक और टूरिस्ट हब हैं। श्री हरिमंदिर साहिब के लिए पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड की ओर से एस.जी.पी.सी. के सहयोग से 66 के.वी. गैस इंसुलेटिड सब-स्टेशन लगाए गए जिस कारण श्री हरिमंदिर साहिब को निॢवघ्न बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इसी तरह दुग्र्याणा मंदिर को 66 के.वी., हाल गेट बिजली घर से डैडीकेटिड 11 के.वी. फीडर से निर्विघ्न बिजली की आपूर्ति की जा रही है। वर्ष 2013-14 में पंजाब सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार अमृतसर शहर में बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट शुरू किया गया जिसके अनुसार शहर की महत्वपूर्ण सड़कों (जी.टी. रोड, माल रोड, सर्कुलर रोड, कोट रोड और बटाला रोड) में बिजली की तारों के जंजाल को खत्म करते हुए तारों की रोड क्रॉसिंग पूर्ण तौर पर खत्म कर दी गई। 

इसके साथ-साथ वर्ष 2015-16 में अमृतसर शहर और श्री हरिमंदिर साहिब और श्री दुग्र्याणा मंदिर के इर्द-गिर्द के दृश्य को बढिय़ा बनाने के लिए फसाड प्रोजैक्ट शुरू किया गया जिसमें हाल गेट से लेकर श्री हरिमंदिर साहिब तक तथा हाथी गेट से लेकर श्री दुग्र्याणा मंदिर तक सभी बिजली की तारों को अंडरग्राऊंड कर दिया गया। अमृतसर में किया गया यह कार्य पंजाब में अंडर ग्राऊडिंग का पहला प्रोजैक्ट है।-मनमोहन सिंह(उपसचिव लोकसंपर्क, पी.एस.पी.सी.एल.)      
    

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