मोदी सरकार को ‘नए विचार’ के साथ आगे आना पड़ेगा

Monday, Mar 21, 2016 - 01:00 AM (IST)

(ज्ञान वर्मा व रेम्या नायर): अच्छा अर्थशास्त्र हमेशा अच्छी राजनीति नहीं बनता। 2016 के बजट में आभूषणों पर शुल्क लगाने की कार्रवाई से यद्यपि आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यापारिक समुदाय ने विरोध प्रतिक्रिया शुरू कर दी है, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है।

 
पार्टी चौराहे पर खड़ी है क्योंकि सरकार ने शुल्क वापस लेने की मांग खारिज कर दी है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने इस वर्ष के बजट में चांदी के आभूषणों को छोड़कर शेष आभूषणों पर इनपुट टैक्स क्रैडिट के बिना एक प्रतिशत तथा इनपुट टैक्स क्रैडिट के साथ 12.5 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी का प्रस्ताव रखा है।
 
भाजपा के वरिष्ठ नेता इस बात से सहमत हैं कि स्वर्ण व्यवसायियों द्वारा एक पखवाड़े से अधिक समय से चले आ रहे रोष प्रदर्शन का असर पार्टी के महत्वपूर्ण मत आधार पर पड़ रहा है। उनका यह भी कहना है कि कांग्रेस नीत यू.पी.ए. सरकार के समय में ऐसा ही निर्णय तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2012 में लिया था तथा भाजपा ने इसका विरोध किया था। मुखर्जी ने बाद में कर प्रस्ताव वापस ले लिया था।
 
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि उन्होंने एक वैसा ही निर्णय लिया है जिसका पहले पार्टी विरोध कर चुकी है। कैसे भाजपा एक पार्टी के तौर पर एक निर्णय का विरोध कर 4 वर्षों बाद उसी निर्णय को लेती है? निश्चित तौर पर यह निर्णय उनके वोट आधार को प्रभावित कर रहा है। व्यावसायिक समुदाय पारम्परिक रूप से भाजपा का समर्थक रहा है और सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के कारण वह आक्रोश में है।
 
राजनीतिक विरोधी पहले ही इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 11 मार्च को एक ट्वीट कर दावा किया कि मोदी सरकार ने  स्वर्णकारों की पीठ में छुरा घोंपा है। मोदी सरकार वही काम कर रही है जो यू.पी.ए. कर रही थी। फिर उन्होंने 28 मार्च 2012 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए एक ट्वीट का हवाला देते हुए कहा कि सरकार को गैर-ब्रांडिड स्वर्णाभूषणों से एक्साइज ड्यूटी तथा आभूषण खरीदने के समय टी.डी.एस. का प्रावधान वापस ले लेना चाहिए।
 
भाजपा नेताओं को चिंता है कि जहां बजट ने किसानों के बीच पार्टी की साख बढ़ाने में मदद की है, वहीं कर्मचारी भविष्यनिधि (ई.पी.एफ.) तथा आभूषण निर्माताओं पर एक प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लादने से मध्यम वर्ग उनसे दूर हो जाएगा, जो पार्टी का पारम्परिक मताधार है। उन्हीं भाजपा नेता ने कहा कि ये भाजपा सरकार द्वारा लिए गए अलोकप्रिय निर्णय हैं। सरकार पहले ही ई.पी.एफ. बारे लिए गए अपने निर्णय को वापस ले चुकी है।
 
सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए स्वर्णकारों ने एक्साइज ड्यूटी वापस लेने की मांग करते हुए गत वीरवार को नई दिल्ली में एक विशाल रैली निकाली। आल इंडिया जैम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फैडरेशन के अध्यक्ष जी.वी. श्रीधर ने कहा था कि यदि सरकार अपनी प्रस्तावित एक्साइज ड्यूटी वापस नहीं लेती तो स्वर्णकार अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे (हालांकि स्वर्णकारों ने रविवार को अपनी हड़ताल वापस ले ली)। विरोध के बावजूद सरकार की आभूषण निर्माण पर लगाई एक्साइज ड्यूटी वापस लेने की कोई योजना नहीं है। इस सप्ताह के शुरू में बजट पर चर्चा के दौरान जेतली ने एक्साइज ड्यूटी का यह कहते हुए बचाव किया कि यह जी.एस.टी. की तरफ एक कदम है।
 
वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यन कीमती धातुओं पर ऊंचे शुल्क लगाने की वकालत करते हैं ताकि वित्त न्यूट्रल रेट में और कमी सुनिश्चित की जा सके। उनका तर्क है कि ऐसी कीमती धातुओं पर कम ब्याज दरों से गरीबों की बजाय मुख्य रूप से अमीर ही उपार्जन करते हैं।
 
राजस्व विभाग के कहने पर सैंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स ने एक देशव्यापी सूचना अभियान शुरू किया है जिसमें सोने के व्यापारियों को आश्वस्त किया जा रहा है कि उन्हें कर विभाग की तरफ से परेशान नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, छोटे व्यापारियों की सुरक्षा के लिए सेफगाड्र्स लागू किए गए हैं। केवल 12 करोड़ रुपए से अधिक की वाॢषक टर्नओवर वाले ज्वैलरों को ही एक्साइज ड्यूटी चुकानी होगी। आने वाले वित्त वर्ष में 12 करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाले ज्वैलरों को आगामी वित्त वर्ष में 6 करोड़ रुपए की छूट मिलेगी। अनुपालन नियमों को आसान किया गया है।
 
व्यापारियों को केन्द्रीयकृत पंजीकरण का विकल्प दिया गया है ताकि आभूषण निर्माताओं को अपनी सभी इकाइयों के लिए अलग पंजीकरण की जरूरत न पड़े।  पंजीकरण दो दिन के भीतर प्रदान कर दिया जाएगा और उसके बाद उनके परिसरों की कोई फिजिकल वैरीफिकेशन नहीं की जाएगी। उन्हें अलग रिकार्ड बनाने से भी छूट दी गई है और एक्साइज ड्यूटी एक आसान त्रैमासिक रिटर्न फॉर्म के साथ मासिक आधार पर चुकानी होगी।
 
एक वक्तव्य के अनुसार परेशानी से बचने के लिए केन्द्रीय आबकारी अधिकारियों को आभूषण निर्माताओं के परिसरों में जाने से रोका गया है। राजनीतिक समीक्षक महसूस करते हैं कि सरकार के प्रयासों से राजस्व आएगा मगर भाजपा एक रणनीतिक गलती कर रही है जिसका पार्टी को लम्बे समय में नुक्सान होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफैसर विद्युत चक्रवर्ती का कहना है कि यह राजस्व पैदा करने के लिए अच्छा कदम है मगर रणनीतिक तौर पर यह लाभकारी नहीं है क्योंकि यह भाजपा के महत्वपूर्ण मतदाताओं पर प्रभाव डालेगा। सरकार को नए विचार के साथ आगे आना होगा तथा भाजपा नेता वह सब करते नहीं दिखने चाहिएं जो कांग्रेस नीत यू.पी.ए. करती थी।                
 
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