अपने मकान पर ‘रिवर्स मार्गेज लोन’ से सुखी जीवन बिता सकते हैं बुजुर्ग

Friday, Feb 16, 2018 - 01:21 AM (IST)

देखने में आया है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के कुछ बुजुर्ग लोग दुखों-कठिनाइयों भरा जीवन जी रहे हैं क्योंकि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए उन्हें पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध नहीं। इसके साथ ही साथ उनके पास अपनी मालिकी का मकान भी होता है और उन पर किसी सदस्य का बोझ भी नहीं होता लेकिन दो जून की रोटी का जुगाड़ करने के लिए उनके पास नकदी भी कोई नहीं होती। 

बैंकों ने ‘रिवर्स मार्गेज लोन’ के नाम से एक उत्पाद लगभग एक दशक से लांच कर रखा है जोकि 60 वर्ष या इससे अधिक आयु के उन बुजुर्गों के लिए है जो अपनी मालिकी के मकान में रहते हैं लेकिन उनकी सेवा-संभाल करने वाला कोई नहीं। ऐसे बुजुर्ग अपने मकान को बैंक के पास गिरवी रखकर हर माह कर्ज ले सकते हैं। जहां ‘होम लोन’ लेने वाला कर्जदार हर माह एक निश्चित धनराशि किस्त के रूप में बैंक को देता है, वहीं रिवर्स मार्गेज लेने वाले व्यक्ति को हर माह बैंक की ओर से एक निश्चित राशि किस्त के रूप में अदा की जाती है। 

रिवर्स मार्गेज लोन के अंतर्गत बुजुर्ग लोग अपनी रोजमर्रा की नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए एवं मैडीकल समस्याओं से निपटने के लिए अपने मालिकी के मकान पर चाहें तो एकमुश्त ऋण ले सकते हैं और चाहें तो हर माह निश्चित किस्त के रूप में पैसे ले सकते हैं। इस पैसे से वे अपने आधारभूत मासिक खर्च पूरे कर सकते हैं। जीवनसाथी को सह आवेदक बनाकर भी यह सुविधा ली जा सकती है लेकिन ऐसी स्थिति में जीवनसाथी की आयु 55 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

रिवर्स मार्गेज लोन लेने वाला व्यक्ति जब तक अपने घर में रहता है उसे बैंक को किसी प्रकार की अदायगी नहीं करनी पड़ेगी। इस तरह मकान मालिक और बेसहारा लोगों के लिए यह एक बहुत शानदार सुविधा है। यदि किसी लाचार बुजुर्ग के पास कमाई का कोई साधन नहीं या उसे कहीं से सहायता नहीं मिलती तो अपने मकान के होते हुए उसे दर-दर ठोकरें खाने की कोई जरूरत नहीं। जब भी जरूरत पड़े वह रिवर्स मार्गेज लोन की सुविधा ले सकता है। भारत में जीवन प्रत्याशा लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए वित्तीय संकट की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं जिनके पास नियमित आय का कोई साधन नहीं। लेकिन रिवर्स मार्गेज लोन की सुविधा लेने पर वह आजीवन अपने मकान में निश्चिंत रह सकता है। 

जब बैंक के पास घर मार्गेज किया जाता है तो बैंक इसकी कीमत का मूल्यांकन करता है और साथ ही सम्पत्ति की संभावित मियाद का भी अनुमान लगाता है और कुछ दस्तावेजों की पूर्ति करता है। इसके अलावा बैंक को किसी अन्य गारंटी की जरूरत नहीं पड़ती। दस्तावेज पूरे होने के बाद बैंक मालिक मकान के लिए मासिक या एकमुश्त ऋण राशि तय करता है। इस स्कीम के अंतर्गत मिलने वाला पैसा चूंकि ऋण होता है इसलिए इसे आय नहीं कहा जा सकता और इस पर कोई टैक्स भी नहीं लगता। 

इस ऋण का भुगतान केवल मालिक मकान की मृत्यु के बाद ही उसके वारिसों को करना होता है यदि वे इस सम्पत्ति को बेचना चाहें तो। बैंक सबसे पहले उसके कानूनी वारिस को निश्चित समय सीमा के अंदर ऋण का भुगतान करने का विकल्प पेश करता है। यदि कानूनी वारिस ऐसा करने में असमर्थ हो तो बैंक स्वयं इस सम्पत्ति की बिक्री करता है। वैसे बैंक की सदैव यह कोशिश होती है कि मकान दिवंगत मालिक के कानूनी वारिसों के पास ही रहे लेकिन जब कोई विकल्प नहीं रहता तो बैंक को यह सम्पत्ति बेचनी पड़ती है। यदि इस बिक्री से हासिल हुआ पैसा बैंक की देय राशि से अधिक हो तो बकाया राशि का भुगतान उसके कानूनी वारिसों को कर दिया जाता है और यदि यह पैसा कम हो तो बैंक उसके वारिसों से किसी वसूली की मांग नहीं करता। 

रिवर्स मार्गेज लोन की सुविधा लेने वाले किसी भी समय इस ऋण की अदायगी कर सकते हैं और समय पूर्व इस अदायगी के लिए उन्हें कोई जुर्माना भी नहीं लगेगा। ऋण लेने वाला पुरुष या स्त्री जब तक जिंदा है तब तक इस घर में रह सकता है और उसकी मृत्यु के बाद ही उसके कानूनी वारिसों को इसका भुगतान करना होगा। यदि दम्पति में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो भी बैंक से मिलने वाली किस्त में कोई रुकावट नहीं आएगी। दोनों की मृत्यु के बाद ही यह ऋण राशि देय होगी। बेशक इस प्रकार का ऋण लेने की प्रक्रिया कुछ लंबी है और इसके लिए काफी दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है तो भी अंततोगत्वा बहुत कम प्रयासों से इसे पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा प्रत्येक बैंक की अपनी कुछ विशेष शर्तें होती हैं जिनका ऋण लेने वाले को अनुपालन करना होता है। 

बेशक यह स्कीम 2007 में शुरू की गई थी तो भी कोई ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों ने इसका लाभ नहीं लिया क्योंकि अधिकतर बुजुर्ग ऐसी किसी स्कीम से परिचित ही नहीं हैं। संतानें भी यह नहीं चाहतीं कि उनके माता-पिता इस प्रकार की स्कीम का लाभ उठाएं क्योंकि उनको डर होता है कि माता-पिता की मृत्यु के बाद अंततोगत्वा इस ऋण का भुगतान उन्हें खुद करना पड़ेगा। वैसे अभिभावक भी बच्चों को किसी परेशानी में नहीं डालना चाहते। लेकिन कुछ बच्चे इस स्कीम से भयभीत नहीं होते और अपने माता-पिता को इसका लाभ लेने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि वे किसी हीन भावना के शिकार न हों और उन्हें दूसरों का मुंह न ताकना पड़े। अभिभावकों को सदैव अपने घर से भावनात्मक लगाव होता है और वे किसी भी कीमत पर इसे अपने बच्चों के लिए सुरक्षित रखना चाहते हैं।

लेकिन रिवर्स मार्गेज लोन का लाभ उठाने के लिए लोगों को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना होगा। इस सुविधा का लाभ उठाकर माता-पिता अपने बच्चों की वित्तीय समस्याओं में सहायता कर सकते हैं और गरिमापूर्ण ढंग से जीवन व्यतीत कर सकते हैं। उनमें किसी प्रकार की लाचारगी और बेचारेपन की भावना नहीं आएगी। जरूरत इस बात की है कि बैंक इस स्कीम का भी उसी तरह इलैक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में जोर-शोर से प्रचार करे जैसे होम लोन स्कीमों के मामले में किया जाता है ताकि जरूरतमंदों को इस स्कीम के बारे में जानकारी मिल सके और वे इसका लाभ उठा सकें। यह भी देखने में आया है कि इंटरनैट पर इस स्कीम के संबंध में जानकारी भी पर्याप्त नहीं है या फिर पूरे विवरण उपलब्ध नहीं हैं। रिवर्स मार्गेज लोन पर ब्याज की दर सामान्य होम लोन की तुलना में काफी अधिक होती है। जहां सामान्य होम लोन की दर 8.45 प्रतिशत वार्षिक है वहीं रिवर्स मार्गेज लोन पर 12.75 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज लगता है। इस ब्याज दर को घटा कर सामान्य होम लोन के बराबर लाने के लिए रिजर्व बैंक को अवश्य ही हस्तक्षेप करना चाहिए। 

होम लोन लेने वाले कुछ कर्जदारों को 60 वर्ष की आयु के बाद अपनी मासिक किस्त का भुगतान करना कठिन महसूस होने लगता है क्योंकि उनके आय के साधन सीमित हो जाते हैं। कुछ मामलों में उन्हें केवल 70 वर्ष की आयु तक किस्तों का भुगतान करना पड़ता है क्योंकि बच्चे किस्तों की अदायगी की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होते। ऐसे मामलों में भी बैंकों को कोई स्कीम शुरू करनी होगी जिसके अंतर्गत चालू होम लोन योजना को रिवर्स मार्गेज लोन में परिवर्तित किया जा सके।-एस.के. मित्तल

Advertising