चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का पतन गांवों से शुरू होगा

punjabkesari.in Saturday, Mar 11, 2023 - 06:43 AM (IST)

जैसा कि चीन के बारे में हम सभी जानते हैं कि अमरीका से व्यापारिक संघर्ष, कोरोना महामारी और इसकी वजह से चीन का गिरता निर्यात, इन सब के कारण चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से गिर रही है। इसका असर वहां लोगों के रोजगार पर पड़ रहा है, सरकारी और गैर सरकारी कंपनियां अपने कर्मचारियों के वेतन काट रही हैं और कई लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है। यह हाल इस समय चीन में सभी बड़ी और मंझोली कंपनियों का है जहां पर इस समय बहुत ज्यादा नौकरियां खाई जा रही हैं।

इस बार बसंतोत्सव के बाद जब अपने गांवों से युवा शहरों की तरफ लौटे तो उनके लिए ये किसी बुरे सपने से कम नहीं था, उनकी नौकरियां जा चुकी थीं, उनके पास अपने फ्लैट का किराया देने को नहीं था। ये लोग फुटपाथ, पुल के नीचे, मैट्रो स्टेशनों और रेलवे स्टेशनों पर रात बिताने को मजबूर थे लेकिन यहां से भी पुलिस इन्हें शहर की सुंदरता खराब होने का हवाला देकर भगा रही थी। इनके पास अपने गांव वापस जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।

जहां तक गांव में जाकर खेती करने का सवाल है तो, आज का युवा खेती करना भूल चुका है, पिछले 40 वर्षों से चीन में आधुनिकता की बयार बह चली है, ऐसे में करोड़ों युवाओं ने शहरों का रुख किया और इसे ही अपना रैन बसेरा बना लिया। शनछन और तुंगह्वान शहर इसके ताजा उदाहरण हैं। अब ये गांवों में जाकर खेती नहीं कर सकते, ऐसे में  चीन के समाजशास्त्रियों को इस बात की आशंका है कि कम्युनिस्ट पार्टी का किला गांवों में होने वाली क्रांति से ही भेदा जा सकेगा।

यानी चीन में अगर विद्रोह की आग जली तो वह चीन के दूर-दराज के गांवों से ही जलेगी और पूरी कम्युनिस्ट पार्टी को जलाकर खाक कर देगी। एक तरफ लोगों की नौकरियां जा रही हैं वहीं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अपने देशवासियों को सुनहरे भविष्य का सपना दिखा रही है जो हकीकत से कोसों दूर है। चीन में नव वर्ष के दौरान वसंतोत्सव का त्यौहार मनाया जाता है और ऐसे में पूरे चीन में सारे काम काज बंद रहते हैं, कामगार देश विदेश से अपने पैतृक गांवों में आते हैं पूरा खानदान मिलकर त्यौहार का आनंद मनाता है।

15 दिनों तक चलने वाले त्यौहार के बाद जब लोग काम पर वापस शहरों को लौटे तो उन्होंने देखा कि उनकी नौकरियां जा चुकी हैं, इसकी वजह निर्यात का रुक जाना, जिससे विनिर्माण के काम को बंद करना पड़ा। इन सबके पीछे कम्युनिस्ट पार्टी की कोविड लॉकडाऊन की सख्त नीतियां हैं जिनकी वजह से आज पूरा चीन बदहाल हो चुका है। ऐसे में चीन सरकार मीडिया के माध्यम से दुनिया को यह दिखा रही है कि लॉकडाऊन खुलने के बाद चीन में आॢथक गतिविधियां तेज हो गई हैं और जल्दी ही चीन पुरानी रफ्तार फिर से पकड़ लेगा।

यह बात सच्चाई से कोसों दूर है। इस समय बेरोजगार युवा कामगारों को समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। सोशल मीडिया पर इस समय इतने बेरोजगार युवाओं ने अपनी आपबीती बताना शुरू कर दिया है कि कम्युनिस्ट पार्टी की मीडिया इकाई में तैनात लोगों के लिए उनके ऑडियो-वीडियो और लिखित मैसेज को हटाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। च्यांगसू, चच्यांग, शंघाई, क्वांगतुंग समेत चीन के अलग अलग हिस्सों में बंद पड़ी फैक्टरियों और उनमें पहले से बना सामान जिसे अभी तक आपूर्ति शृंखला के साथ नहीं जोड़ा जा सका है उसके वीडियो बनाकर लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं।

ऐसे में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी बड़ी बेरोजगारी से कैसे निपटा जाए। चीन के बड़े हिस्से में लोगों के पास काम नहीं है लेकिन जिन जगहों पर काम है तो वहां भी कामगारों को 6 से 9 युआन हर घंटे के हिसाब से उन्हें वेतन मिल रहा है जो बहुत कम है। लोग इस समय किसी तरह जीवन चलाना चाहते हैं। चीनी नववर्ष को शुरू हुए एक महीने से अधिक बीत चुका है लेकिन इस समय भी बड़ी, छोटी और मंझोली कंपनियों ने नियुक्तियां रोक दी हैं क्योंकि उनके पास कोई नया ऑर्डर नहीं है, इन कंपनियों के लिए खुद का खर्च निकालना बहुत मुश्किल होता जा रहा है।

ऐसे में प्रवासी कामगारों की भीड़ से बड़े औद्योगिक शहरों की सड़कें और गलियां भरी पड़ी हैं, बहुत तेजी से इनकी बचत खत्म हो रही है, इनके पास अपने कमरे का किराया देने के भी पैसे नहीं बचे हैं। ये लोग सर्द रातें सड़क किनारे दुकानों और गलियों में बिता रहे हैं। अब भी इन्हें यही आस है कि शायद इन्हें नौकरी मिल जाए जिससे इनका गुजारा इस मुश्किल दौर में चल सके।

हांगकांग के एक अखबार में काम करने वाले वरिष्ठ पत्रकार यान चुनकुओ का अनुमान है कि जब ये युवा गांवों में लौटेंगे और खेतों में तपती धूप में काम करेंगे जिसका इनके पास कोई अनुभव नहीं है तब गांवों से चीन में उबाल आएगा और शुरूआत में स्थानीय सरकारें इनके आक्रोश का शिकार बनेंगी और धीरे-धीरे यह आग पूरे चीन को अपनी लपेट में ले लेगी। वह समय चीन की केन्द्रीय कम्युनिस्ट सरकार के लिए बहुत मुश्किल होगा।


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