लोकप्रियता और सम्मान के बीच का अंतर

punjabkesari.in Sunday, Jul 21, 2024 - 05:38 AM (IST)

3 दशक से भी पहले, जब मैं एक युवा रोटेरियन था, मेरे क्लब के 100 से भी ज्यादा सदस्यों ने एक खेल खेला था और यह खेल इस बारे में था कि उन्हें कौन सबसे ज्यादा लोकप्रिय लगता है। मुझे यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि मैंने जीत हासिल कर ली है। 2 साल बाद कुछ ऐसे मुद्दे थे जिनके बारे में मुझे लगा कि मुझे कोई स्टैंड लेना चाहिए और मैंने पाया कि मैं सबसे अलोकप्रिय व्यक्ति बन गया हूं।
पिछले साल, उसी क्लब ने मुझे अतिथि वक्ता के रूप में बुलाया था। मैंने पाया कि सदस्यों के मन में मेरे लिए अनिच्छा से सम्मान था क्योंकि मैंने 3 दशक पहले एक स्टैंड लिया था। जिसके कारण मैं आज लोकप्रियता और सम्मान के विषय पर बात करना चाहता हूं खासकर तब जब एक तथाकथित लोकप्रिय राजनेता का कद छोटा किया जा रहा है क्योंकि उसके प्रति सम्मान कम होता जा रहा है। 

काफी हद तक, लोकप्रियता और सम्मान के बीच का अंतर एक सतही दिखावे के बारे में है जबकि दूसरा भीतर छिपे सराहनीय गुणों के बारे में है। सोशल मीडिया के वर्चस्व वाली दुनिया में, यह विश्वास दिलाना आसान है कि सबसे ज्यादा ‘लाइक’  वाला व्यक्ति विजेता है। हालांकि, क्या आप किसी के साथ सिर्फ इसलिए व्यापार करेंगे क्योंकि वह लोकप्रिय है? मुझे ऐसा नहीं लगता। आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ व्यापार करना चाहेंगे जिसका आप सम्मान करते हैं और यह आमतौर पर उस पर निर्भर करता है जिसे हम कभी ‘अच्छे नैतिक मूल्य’ कहते थे। क्या यह पुराने जमाने की बात नहीं है? आश्चर्यजनक रूप से, नहीं।  कारमेन होनाकर द्वारा ‘मानव में 10 सबसे वांछनीय गुण’ के अनुसार, हम अन्य लोगों में जिन गुणों को सबसे अधिक महत्व देते हैं, वे कुछ इस प्रकार हैं - 

ईमानदारी : सामान्य शालीनता पर आधारित आचार संहिता का होना।
साहस : जो सही है, उसे करना, तब भी जब यह असुविधाजनक हो या हमें मुश्किल स्थिति 
में डाल दे।
हास्य : कठिन समय से बाहर निकलने के लिए हंसना। इसका मतलब दूसरों का उपहास करना नहीं है।
सामाजिक बुद्धिमत्ता : लोगों की भावनाओं को सही ढंग से पढऩा या सामाजिक परिस्थितियों में सतह के नीचे क्या चल रहा है, यह समझना।
भावनात्मक परिपक्वता : अपनी भावनाओं को स्वीकार करना और भावनाओं की पूरी शृंखला को स्वीकार करना, फिर भी उन्हें परिपक्वता और उचित तरीके से व्यक्त करना।
दयालुता : सच्ची लोकप्रियता दयालुता के कार्यों से आती है और दयालुता करुणा के साथ-साथ चलती है।
आत्मविश्वास : हमें अपनी कमजोरियों और ताकतों के बारे में संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है, और गलतियों को बढऩे के अवसर के रूप में देखना चाहिए। आत्म-सम्मान की कमी या आत्म-मूल्य की अतिशयता खतरनाक है।

अनुशासन : अपने लक्ष्यों पर टिके रहने और जिस पर आप विश्वास करते हैं उसे प्राप्त करने के लिए काम करने के लिए समर्पण और दृढ़ता रखना।
उदारता : एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए अपना समय और पैसा देना है। जब अन्य लोग जरूरतमंद हैं, तो मैं कैसे आराम से बैठ सकता हूं?
आत्म-जागरूकता : यह स्वीकार करना कि कोई भी व्यक्ति परिपूर्ण नहीं है और दूसरों को प्राथमिकता देने की विनम्रता रखना, चाहे हम कितने भी सफल क्यों न हों।
जैसा कि एक बुद्धिमान लेखक कहते हैं, ‘‘लोकप्रियता वह है जो लोग चाहते हैं, और सम्मान वह है जो लोगों की जरूरत है।’’
समाप्त करने से पहले एक अस्वीकरण यह है कि मैं इन गुणों का दिखावा नहीं करता जो मैंने अभी लिखे हैं, लेकिन निश्चित रूप से वहां पहुंचने की आकांक्षा जरूर रखता हूं...!-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
 


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