सरकार और एक नेता की बड़ी भूल के कारण देश ने दुख झेला है

Sunday, May 09, 2021 - 03:37 AM (IST)

वास्तुकला के लिए फासीवाद का  एक अजीब आकर्षण था। ऐसा तब हुआ जब 1933 में नाजी सत्ता में थे। हिटलर ने एक नई इमारत बनाने के लिए अपनी योजना का खुलासा करना शुरू कर दिया। इसका नाम जर्मनिया रखा गया। यह बॢलन का भव्य पुर्नविकास था जिसकी हिटलर ने परिकल्पना की। 1920 के मध्य में सत्ता में आने से पूर्व हिटलर ने क्षितिज पर जर्मनिया के लिए ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया। इसका खुलासा उन्होंने अपनी किताब ‘मीन काम्फ’ में किया। उन्होंने भव्य स्मारकों के प्रारूप तैयार किए जिनका उन्होंने प्रस्ताव दिया था। 

1936 की बसंत ऋतु में हिटलर ने अपने प्यारे वास्तुकार अल्बर्ट स्पीयर  को कार्यभार सौंपा। उन्होंने हिटलर पर निर्माण को अंजाम देने के लिए एक अमिट छाप छोड़ी। 1934 तक स्पीयर नाजी वास्तुकला के डायरैक्टर रहे। नाजी वास्तुकला का डिजाइन भयावह और अभिभूत करने वाला था। 1934 में नाजी पार्टी कांग्रेस के लिए न्यूरमबर्ग परेड ग्राऊंड बनाई गई। अपने भाषण में हिटलर ने ‘एक लोग एक राष्ट्र और एक रैह’ पर जोर दिया। हिटलर ने पूर्ण एकता का प्रचार किया और जर्मन राष्ट्र की आंखें मूंद कर पालना करने पर जोर दिया। 

आजकल ऐसा ही ‘एक नेता, एक राष्ट्र, एक चुनाव’ वाला भाषण हम बार-बार सुनते हैं। हिटलर की दृष्टि बॢलन को विश्व की राजधानी जर्मनिया में बदलने की थी जो सबसे महान शहर था। हिटलर ने अनेकों ही विशाल इमारतें बनाईं। अपनी दोषसिद्धि में हिटलर उत्सुक था। राजनीतिक प्रभुत्व को दर्शाने के लिए प्रचंड निर्माण उसका शक्तिशाली हथियार था। अपनी वास्तुकला के लिए उसका मतलब मात्र एक स्थान को आकार देना नहीं था। स्थानीय कल्पना के माध्यम से वह सत्ता की कला को आगे बढ़ाना चाहता था। 

इस परियोजना के लिए उसका बजट अनुमानित 4 से 6 बिलियन रैह  मार्क था जो आज की लागत में 50 बिलियन अमरीकी डालर बनता है। लागत और समय दोनों के संबंध में हिटलर ने सभी ङ्क्षचताओं को नकार दिया। यहां तक कि उसने इसके लिए चलते हुए युद्ध पर भी ध्यान नहीं दिया।  प्रचार के इस्तेमाल में नाजी पार्टी अग्रदूत बनी थी। रैह के प्रचार मंत्री जोसेफ गोबल्स थे। जिनके अनुसार प्रचार उस क्षण निष्क्रय हो जाता है जब हम इसके बारे में जागरूक हो जाते हैं। नाजी पार्टी ने अपने सुप्रीम लीडर को एक मसीहा के तौर पर पेश किया। इस प्रयास में नाजी अकेले नहीं थे। इटली के फासीवादी तानाशाह मुसोलिनी ने भी एक महत्वाकांक्षी इमारत को बनाने की मुहिम चलाई। 

यह हाऊस ऑफ द फासिस्ट पार्टी था जिसने सभी इतालवी कल्पना को अपनी ओर आकॢषत किया। शुरू में यह फासिस्ट पार्टी का मु यालय था। इटालियन प्रायद्वीप के आसपास इस इमारत का निर्माण हुआ। इटली के सामाजिक जीवन में चर्च की प्रभावी भूमिका को छोटा करने के लिए इन ऊंचे ढांचों का निर्माण किया गया। फासीवादी शस्त्रागार में पुरातनता समान रूप से एक महत्वपूर्ण हथियार था।

बयानों, सत्याओं  और उसके मूल्यों की अभिव्यक्ति और उपलब्धियों के रूप में बयान एक ऐसे आवेग हैं जो पिं्रटिंग प्रैस के आविष्कार से फीके पडऩे लगे। स यता की जटिलता और आत्मा को प्रगटाने वाली विशाल किताब मार्कीट एक प्रतिनिधि कला कृति बन गई। लोगों के विचारों, अवधारणाओं और आकांक्षाओं को बड़ी और महंगी इमारतों की जरूरत नहीं। लिखित शब्द, सस्ते और सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध शब्द सब कुछ सिद्ध कर सकते हैं। 

यही कारण है कि आधुनिक भारत के संस्थापकों ने 1947 में नई सुबह की घोषणा करने के लिए इमारतों को तोडऩे और इमारतों को ऊपर उठाने के अलावा सभी भारतीयों के लिए समानता, बंधुत्व और न्याय की एक नई वाचा के लिए कदम नहीं उठाए। उन्होंने बैठने का विकल्प चुना और समकालीन भारत की सबसे महत्वपूर्ण किताब ‘संविधान’ को बनाने, उस पर बहस और विच्छेद करने पर करीब 3 साल का ल बा समय व्यतीत किया।

लोकतांत्रिक विचारों के उत्सव, न्याय और समानता के लिए धर्मयुद्ध और रचनात्मकता की झांकियों का सृजन करते हैं जिसमें सभी लोग शामिल होते हैं और कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। यह केवल 

तानाशाह,फासीवादी, सम्राट तथा महापापी लोग होते हैं जो मूॢतयों और स्मारकों को अपने घुटनों पर लाने के लिए उनकी तलाश करते हैं। स्वतंत्रता और कारण के लिए अपनी सभी प्रतिबद्धताओं के साथ आधुनिकता की मांग की जाती है। यह वही है जो हम नई दिल्ली में सैंट्रल विस्टा का अशिष्ट पुनॢवकास (महामारी और विशाल वित्तीय लागत के मध्य) देख रहे हैं। पिछले 7 वर्षों के दौरान देश ने सरकार और एक नेता की बड़ी भूल के कारण दुख झेला है।-मनीष तिवारी

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