चीन के मुस्लिम शिविरों के अंदर की ‘दर्दनाक’ दास्तां

Sunday, Jan 05, 2020 - 04:04 AM (IST)

सब्जी बेचने वाले कैरात समरखान को नहीं पता था कि उसे पुलिस स्टेशन क्यों बुलाया गया था। उसे अपनी जेब खाली करनी थी तथा अपनी बैल्ट को पुलिस को सौंपना था। उसके बाद उन्होंने सवाल पूछने शुरू कर दिए। खान का कहना है कि जांच करने के दिनों के दौरान उसे सोने की इजाजत नहीं थी। अधिकारियों ने उसके सिर पर एक बोरी रख दी और उसे अलताई शहर के निकट एक कैम्प में ले गए। एक मुस्लिम कजाख समरखान ने कैम्प में अपने अनुभव को सांझा किया। उसका कहना था कि हर दिन हमें मुस्लिम विश्वास को त्यागना था और यह पुष्टि करनी होती थी कि हम चीन के कानूनों का सम्मान करते हैं। हर भोजन से पहले हमें ‘लांग लिव शी जिनपिंग’ की आवाज लगानी पड़ती थी। 

पिछले दो वर्षों में चीन में जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया वह यह बात है कि उसने दुनिया में सबसे बड़े आंतरिक शिविरों का नैटवर्क बना रखा है। शिनजिआंग के पश्चिम क्षेत्र में इनकी गिनती हजार से अधिक है, जिसमें लगभग एक मिलियन मुसलमानों को हिरासत में रखा गया है, जिसका मकसद उनकी सोच में वायरस के उन्मूलन के आधिकारिक उद्देश्य के साथ उनको हिरासत में रखना है। चीनी सरकार का दावा है कि कैम्पों में क्रूरता नहीं है वे तो बस शैक्षिक हैं। मगर समरखान पर अत्याचार किया गया और अंतत: उसने स्वयं को मारने की कोशिश की। वह दीवार की तरफ भागा और अपना सिर वहां पटकता रहा और बोलता रहा कि वह जीना नहीं चाहता। फिर उसके बाद उसे एक अस्पताल में ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया। इसके तुरंत बाद समरखान कजाख्स्तान भाग गया। 

जब तक आप राज्य द्वारा स्वीकृत प्रैस यात्रा का हिस्सा नहीं होते, तब तक वास्तविक शिविर का दौरा करना असम्भव है। मगर झिझियांग के लिए अंडर कवर यात्रा करने में मैं कामयाब रहा। मैंने कैम्पों के बाहर ऐसे पुलिस और निगरानी रखने वाले अधिकारी देखे, जो माओ त्से तुंग की सांस्कृतिक क्रांति की तरह एक हाईटैक संस्करण जैसे लग रहे थे। हर गली और नुक्कड़, यहां तक कि एक छोटे-से गांव में भी निगरानी कैमरों द्वारा सब पर निगाहें रखी जा रही थीं। सभी कैमरे चेहरों की पहचान तकनीक से लैस हैं। डिपार्टमैंटल स्टोर, रेस्तरां तथा अधिकांश अन्य सार्वजनिक इमारतें सुरक्षा गार्डों द्वारा सुरक्षित हैं। हर 100 गज की दूरी पर पुलिस स्टेशन है। कुछ शहरों में तो बख्तरबंद सैन्य वाहन सड़कों पर गश्त करते हैं। इमारतों के आगे कंटीली तारें लगाई गई हैं। टैंकों का जाल बिछा हुआ है। अपनी यात्रा के दौरान मैंने जिन मस्जिदों का दौरा किया उनमें से लगभग सभी बंद हो चुकी थीं और उनमें किसी ने भी नमाज अदा करने की हिम्मत नहीं की। 

उइगर और कजाख लोगों का दैनिक जीवन पुलिस नियंत्रण और सुरक्षा जांच का एक रूटीन हिस्सा बन चुका है। राजमार्गों के साथ शहरों के प्रवेश द्वारों पर और गलियों में हर जगह चौकियां ही चौकियां हैं, जहां पर केवल मुसलमानों की ही जांच की जाती है। कइयों को अपने फोन पर जिंगवांग(क्लीन वैब) नामक एक निगरानी एप इंस्टाल करना होता है जो सभी संचार पर नजर रखता है। पैट्रोल पम्प पर पैट्रोल भरने के लिए लोगों को अपने आई.डी. कार्ड और चेहरे की पहचान के साथ पंजीकरण करना होता है। ऐसा करने से यह डाटा निगरानी कैम्प कैमरों के पास चला जाता है। लोगों का खरीदारी व्यवहार भी जाना जाता है और स्वास्थ्य दस्तावेजों को भी एकत्रित किया जाता है। यदि एक परिवार अपने पड़ोसियों की तुलना में अधिक पानी का उपयोग करता है तो यह घर पर अपंजीकृत मेहमान होने का संकेत देता है। इसलिए पुलिस को एक स्वचलित संदेश भेजा जाता है और संदिग्धों को एक शिविर में भेजा जाता है। मैंने हिरासत में लिए गए एक दर्जन से भी अधिक मुस्लिम परिवारों का साक्षात्कार किया, जिन्होंने मुझे सुन्न करने वाली डिटेल्स बताईं। 

चूंकि चीन ने विदेशों में लीक हुए शिविरों के अंदर से बिना सैंसर किए वीडियो और तस्वीरों को रोका है इसलिए उनकी गवाही इस बात का सबसे मजबूत प्रमाण है कि भीतर क्या हो रहा है। कइयों ने मुझे हिरासत में लिए गए परिजनों की तस्वीरें दिखाईं। अन्य लोग अपने नामों को सार्वजनिक करने के लिए काफी अनिच्छुक थे। मैंने डोलकन टुरसन जोकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य तथा पूर्व सरकारी अधिकारी है, के बारे में सुना है, जिसे व्हाटसएप को अपने फोन पर चलाने के जुर्म में एक वर्ष तक हिरासत में रखा गया। उसके परिवार को उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वहीं कपड़ों के व्यापारी अर्बोल्ट सैवूत को बहुत ज्यादा पैट्रोल खरीदने के आरोप में डेढ़ साल हिरासत में रखा गया। 

चीनी सरकार के आंतरिक दस्तावेजों के गुप्त स्थान जो पिछले महीने लीक हुए थे, समरखान जैसे पूर्व कैदियों की दास्तां की पुष्टि करते हैं। कागजात में एक विस्तृत टैलीग्राम या सरकार द्वारा दिए गए आदेश शामिल हैं कि कैसे-कैसे कैम्पों का निर्माण और संचालन किया जाना चाहिए, जिसमें कंटीली बाड़ तथा दीवारें भी शामिल हैं। 24 घंटे वीडियो सर्विलांस सिस्टम ‘नो ब्लाइंड स्पॉट’ से कैदियों की निगरानी की जाती है। दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि चीनी सरकार विदेशों में भी जनमत के बारे में चिंतित थी। एक दस्तावेज में कहा गया है कि शिविर अति संवेदनशील हैं। गुप्त, गम्भीर राजनीतिक अनुशासन और गोपनीयता के बारे में कर्मचारियों की जागरूकता को मजबूत करना आवश्यक है। चीन शिनजिआंग में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के तहत अपनी नीति का बचाव करता है। दशकों से चीन ने उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर अंकुश लगाया है। स्कूलों में उइगर भाषा के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है। महिलाओं को पर्दा करने और पुरुषों को लंबी दाढ़ी रखने के अधिकार से वंचित किया गया है। माता-पिता को अपने बच्चों को पारम्परिक मुस्लिम नाम देने से भी मना किया जाता है। 

चीन झिझियांग से बहने वाली जानकारी के प्रवाह को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। पूरा क्षेत्र रेगिस्तानों और पहाड़ों से भरा पड़ा है जोकि यू.के. के आकार से 6 गुणा अधिक है। यह क्षेत्र 11 मिलियन उइगर, 1.6 मिलियन जातीय कजाख और अन्य जातीय समूहों का घर है। यह व्यावहारिक रूप से बंद पड़ा है। लीक हुए दस्तावेजों से पता चलता है कि शी जिनपिंग ने मुस्लिम आबादी को नियंत्रण में करने के लिए तानाशाही के अंगों का इस्तेमाल करने का आदेश दे रखा है। इस मामले में शी कोई भी दया नहीं दिखाना चाहते। कम्युनिस्ट चीन के इतिहास में एक धार्मिक अल्पसंख्यक पर यह दरार अद्वितीय है।-हेरॉल्ड मास

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