कराची में चीनियों पर आतंकी हमलों ने बढ़ाईं चीन की चिंताएं

Friday, Feb 16, 2018 - 12:49 AM (IST)

चेन झू ने गत सप्ताह पाकिस्तान की वित्तीय राजधानी कराची के एक सम्भ्रांत इलाके में जमजमा पार्क के सामने करियाना खरीदने के लिए जाने से पूर्व चाइना टाऊन रेस्तरां में अपना लंच समाप्त किया ही था कि एक बंदूकधारी ने शंघाई स्थित कॉसको शिपिंग लाइंस कम्पनी की स्थानीय इकाई के इस 46 वर्षीय चीनी मैनेजिंग डायरैक्टर पर फायरिंग कर दी, उसने कम से कम 9 गोलियां चलाईं। 

इस इलाके के ऐन समीप विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावासों के साथ-साथ पाकिस्तानी नौसेना की किसी किले जैसे आकार वाली हाऊसिंग एस्टेट भी स्थित है। चेन झू की कम्पनी यहां 1994 से कार्यरत है। चेन झू के सिर में गोलियां लगी थीं और वे अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ गए। वैसे तो उन्हें अन्य चीनी अधिकारियों की तरह सामान्य पुलिस एस्कोर्ट मिली हुई थी लेकिन 5 फरवरी के राष्ट्रीय अवकाश दिवस के मौके पर उन्होंने इसका परित्याग कर दिया था। पाकिस्तान पुलिस ने इस हत्या के कारण का खुलासा तो नहीं किया लेकिन इसकी जांच-पड़ताल का काम अपनी आतंक निरोधी ईकाई को सौंप दिया। 

डेढ़ करोड़ आबादी वाले कराची शहर के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले इलाकों में से एक में हुई इस हत्या ने एक बार फिर यह स्मरण करवा दिया है कि पाकिस्तान में किस हद तक असुरक्षा की भावना व्याप्त है। इस घटना से चीन की चिंताएं भी बढ़ गई हैं जोकि अपने इस दक्षिण-एशियाई पड़ोसी देश में से गुजरने वाली राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘बैल्ट एंड रोड’ योजना के अनुसार 50 अरब डालर से भी अधिक की लागत से आधारभूत ढांचे का निर्माण कर रहा है। इस हमले के बाद पेइङ्क्षचग ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करवाने के लिए पाकिस्तान को अतिरिक्त कदम उठाने को कहा है। 

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य अधिकारी तथा उसकी सबसे बड़ी प्राइवेट सिक्योरिटी कम्पनी ‘पाथ फाइंडर’ के चेयरमैन इकराम सहगल ने कहा : ‘‘जहां तक चीन का संबंध है सुरक्षा खतरे का स्तर उल्लेखनीय रूप में बढ़ गया है।’’ उन्होंने कहा ‘‘यह हमला निश्चय ही सुनियोजित एवं लक्षित था’’ और इससे पाकिस्तान आने वाले चीनी कारोबारियों का भरोसा डगमगाएगा। चीन सरकार द्वारा अगस्त माह में जारी किए गए अनुमानों के अनुसार पाकिस्तान भर में पैदा हो रहे कारोबार के नए अवसरों का लाभ लेने के लिए कम से कम 20,000 चीनी नागरिक पाकिस्तान में आ चुके हैं। यह संख्या 2015 की तुलना में दोगुनी है। 

पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के लिए इन सभी, और खास तौर पर चेन झू जैसे उन व्यक्तियों को जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से संबंधित नहीं, सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। पाकिस्तानी सेना ने इस गलियारे से संबंधित परियोजनाओं के लिए विशेष रूप में 15,000 जवानों वाला सुरक्षा दल सृजित किया है और कार्य स्थलों पर काम करने वाले चीनियों के खुलेआम घूमने को कुछ हद तक प्रतिबंधित कर दिया है। 

पाकिस्तान में चीनियों को ढूंढना कोई मुश्किल नहीं। पाकिस्तानी होटलों में ठहरे हुए चीनियों की काफी भरमार है और सप्ताहांत पर लगने वाले बाजारों अथवा पश्चिमी तर्ज के शॉपिंग माल्ज में उनकी अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। हाल ही में इस्लामाबाद के एक आव्रजन विभाग का दौरा करने के दौरान हमने देखा कि पाकिस्तानी अधिकारी किस प्रकार लाल रंग के दर्जनों चीनी पासपोर्टों पर मोहरें लगाने के लिए भाग-दौड़ कर रहे थे। बहुत से चीनी लोग पाकिस्तान में तब आए जब वहां की सेना ने हाल ही के वर्षों में घरेलू आतंकी गुटों के विरुद्ध अनेक सफल अभियान चलाकर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान की थी।

पाकिस्तान में दरपेश जोखिमों के मुद्दे पर चीन लगातार अधिक मुखर होकर चिंता व्यक्त करने लगा है। दिसम्बर में इस्लामाबाद स्थित चीनी दूतावास ने अपने नागरिकों को यह चेतावनी जारी की थी कि उन पर शीघ्र ही हमले शुरू हो सकते हैं। इस चेतावनी से पहले ही आई.एस.आई.एस. ने जून 2017 में दो चीनी अध्यापकों को मार गिराने का दावा किया था जोकि पाकिस्तान के उपद्रवग्रस्त ब्लोचिस्तान प्रांत में एक बंदरगाह का निर्माण कर रहे चीनी श्रमिकों के साथ कार्यरत थे। जैसे-जैसे अमरीका के साथ पाकिस्तान के संबंधों की गर्माहट कम होती जा रही है उसी अनुपात में चीन पर इसकी निर्भरता बढ़ती जा रही है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गत माह पाकिस्तान को दी जाने वाली लगभग 2 अरब डालर की अमरीकी सहायता रोक ली थी। यह कदम उन्होंने ऐसे समय उठाया जब पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार बिल्कुल समाप्त होने पर आए हुए हैं। ट्रम्प ने दोष लगाया था कि परमाणु शक्ति सम्पन्न पाकिस्तान एक ओर तो अमरीका से अरबों डालर की सहायता ले रहा है तथा दूसरी ओर आतंकी गुटों को सहायता दे रहा है। कराची का कारोबारी समुदाय चीनियों को भयभीत नहीं करना चाहता लेकिन वह चीनियों को काफी आशंका की दृष्टि से देखता है। गत सप्ताह पाकिस्तान के मुख्य वित्तीय दैनिक समाचार पत्र ‘बिजनैस रिकार्डर’ ने अपने सम्पादकीय में लिखा था कि चीन वाले हमें जो समर्थन दे रहे हैं, पाकिस्तान को उसकी भारी कीमत अदा करनी पड़ सकती है। यानी कि चीन की मंशा के पीछे कोई परोपकार की भावना नहीं है।-एंड्रयू रॉस सोर्किन

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