1952 के बाद से 17वीं लोकसभा का कार्यकाल सबसे छोटा होने की संभावना

punjabkesari.in Wednesday, Apr 19, 2023 - 06:11 AM (IST)

अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में प्रवेश कर रही 17वीं लोकसभा ने अब तक 230 बैठकें कीं। पूरे 5 साल का कार्यकाल करने वाली सभी लोकसभाओं में से 16वीं लोकसभा की बैठक के दिन सबसे कम (331) थे। कार्यकाल में एक और वर्ष शेष है और वर्ष में औसतन 58 बैठकें होने के कारण 17वीं लोकसभा के 331 दिनों से अधिक बैठने की संभावना नहीं है। यह 1952 के बाद से सबसे कम पूर्ण अवधि वाली लोकसभा बन सकती है। 

इस सत्र में लोकसभा ने अपने निर्धारित समय के 33 प्रतिशत (46 घंटे) और राज्यसभा ने 24 प्रतिशत (32 घंटे) कार्य किया। सत्र के दूसरे भाग के 15 दिनों में लोकसभा ने 5 प्रतिशत और राज्यसभा ने निर्धारित समय के 6 प्रतिशत के लिए काम किया, जिसमें अधिकांश समय पेपर टेबलिंग के प्रक्रियात्मक कार्य में व्यतीत हुआ। 

एक बिल बिना चर्चा के पास हो गया : प्रतियोगिता (संशोधन) विधेयक, 2022 इस सत्र के दौरान पारित एकमात्र विधेयक था (वित्त और विनियोग विधेयकों को छोड़कर)। यह विधेयक और साथ ही वित्त विधेयक किसी भी सदन द्वारा बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया। 3 विधेयक पेश किए गए जिनमें से वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। इस लोकसभा में अब तक 150 विधेयक पेश किए जा चुके हैं और 131 पारित किए जा चुके हैं (वित्त और विनियोग विधेयकों को छोड़कर)। पहले सत्र में 38 विधेयक पेश किए गए और 28 पारित हुए। तब से पेश और पारित किए विधेयकों की संख्या में गिरावट आई है। पिछले 4 लगातार सत्रों में से प्रत्येक में 10 से कम विधेयक पेश किए गए। 

सभी प्रस्तावित व्यय बिना बहस के पारित हो गए : 1952 के बाद से यह छठा सबसे छोटा बजट सत्र रहा है। लोकसभा ने वित्तीय कामकाज पर 18 घंटे बिताए, जिनमें से 16 घंटे बजट की सामान्य चर्चा पर खर्च किए गए। 17वीं लोकसभा के पिछले बजट सत्रों में वित्तीय कारोबार पर औसतन 55 घंटे चर्चा हुई थी। लोकसभा में चर्चा के लिए 5 मंत्रालयों (11 लाख करोड़ रुपए की राशि के व्यय को सूचीबद्ध किया गया था हालांकि किसी पर चर्चा नहीं की गई थी।) सभी मंत्रालयों के 42 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित खर्च को बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया। पिछले 7 सालों में औसतन 79 प्रतिशत बजट बिना चर्चा के पारित हो गया है। 

राज्यसभा बजट सत्र के दौरान चुनिंदा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा करती है। इस सत्र में रेल, कौशल विकास, ग्रामीण विकास,सहकारिता और संस्कृति मंत्रालय सहित 7 मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा होनी थी, इनमें से किसी पर चर्चा नहीं हुई। 

संसद में बहस कम हो रही है : राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव इस सत्र में चर्चा की गई एकमात्र वस्तु थी दोनों सदनों में करीब 28 घंटे तक इस पर चर्चा की गई जिसमें कुल 150 सदस्य शामिल हुए। संसद के दोनों सदनों की प्रक्रिया के नियम विभिन्न उपकरणों का प्रावधान करते हैं जिनका उपयोग सार्वजनिक महत्व के मामलों पर ध्यान  आकॢषत करने और सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए किया जा सकता है। इनमें आधे घंटे की चर्चा, छोटी अवधि की चर्चा और स्थगन प्रस्ताव शामिल है। 17वीं लोकसभा में अब तक केवल 11 छोटी अवधि की चर्चा और आधे घंटे की एक चर्चा हुई। इस सत्र में कोई भी चर्चा आयोजित नहीं की गई। राज्यसभा में, नियम 267 के तहत सदन की कार्रवाई अध्यक्ष की अनुमति से किसी महत्वपूर्ण मामले पर चर्चा करने के लिए निलंबित की जा सकती है (लोकसभा में स्थगन प्रस्तावों के अनुरूप) इस सत्र में इस नियम के तहत 150 से अधिक नोटिस दाखिल किए गए। एक भी स्वीकार नहीं किया गया। 

प्रश्रकाल का खराब कामकाज : इस सत्र में वर्तमान लोकसभा में प्रश्रों पर सबसे कम समय खर्च किया गया। प्रश्रकाल लोकसभा में निर्धारित समय का 19 प्रतिशतऔर राज्यसभा में 9 प्रतिशत चला। प्रत्येक सदन में करीब 7 प्रतिशत तारांकित प्रश्रों के उत्तर दिए गए। कोई निजी सदस्य बिल पेश या उस पर चर्चा नहीं की गई। प्रत्येक सदन ने एक निजी सदस्य संकल्प पर चर्चा की। लोकसभा में रेलवे स्टेशनों के सौंदर्यीकरण और आधुनिकीकरण पर चर्चा हुई जबकि राज्यसभा की सच्चर समिति की रिपोर्ट को लागू करने पर चर्चा हुई। 

अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में प्रवेश करते हुए लोकसभा में अभी भी एक उपाध्यक्ष नहीं है : संविधान के अनुच्छेद-93 में कहा गया है कि लोकसभा जल्द से जल्द सदन के 2 सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी। 17वीं लोकसभा ने अपने 5 साल के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में प्रवेश करने के बाद भी उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं किया। ऐसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी 2023 में डिप्टी स्पीकर के चुनाव में देरी के संबंध में एक जनहित याचिका का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने के बावजूद हुआ है।


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