पंजाब के सुनहरे भविष्य का प्रतीक ‘शाहपुरकंडी डैम’

Friday, Jun 28, 2019 - 04:31 AM (IST)

भाखड़ा डैम का उद्घाटन करते हुए बड़े भावुक अंदाज में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि सिंचाई और बिजली उत्पादन करने वाली ये परियोजनाएं हमारे तीर्थस्थल हैं। बिल्कुल सही है कि देश में बन रहे डैम हमारे विकास के मील पत्थर हैं। 

2003 में जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने थीन डैम देश को समर्पित किया तो इलाका निवासियों, पंजाब और देश के लिए शुभ दिन शुरू हो गए। कर्मचारियों के क्वार्टर, कर्मचारी, थीन डैम की बची मशीनरी सब बेकार हो गए। उसी इंफ्रास्ट्रक्चर से 2003 में थीन डैम से 11 किलोमीटर पश्चिम की ओर शाहपुर गांव के नीचे बहने वाले रावी दरिया पर शाहपुर कंडी डैम का निर्माण शुरू किया जाना चाहिए था। 1993 में शाहपुर कंडी डैम की लागत 895.5 करोड़ रुपए आंकी गई थी। 

काम लटकता रहा
दुर्भाग्य से कभी कर्मचारियों के विवाद, कभी वित्तीय संकट से तो कभी पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकारों के आपसी मतभेदों से ‘शाहपुर कंडी डैम प्रोजैक्ट’ का काम लटकता चला गया। रावी दरिया का पानी व्यर्थ पाकिस्तान को जाता रहा। मशीनरी और कर्मचारी बेकार बैठे रहे। सरकार को प्रतिदिन दो करोड़ रुपए का नुक्सान होने लगा। इस दर्द को थीन डैम के सेवामुक्त कर्मचारी पंडित अनंत राम ने समझा। वह रणजीत सागर डैम वैल्फेयर सोसायटी, शाहपुर कंडी जुगियाल के प्रधान हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तथ्यों सहित 2003 से 2018 तक प्रतिदिन दो करोड़ रुपए के हिसाब से देश को 10,950 करोड़ रुपए का नुक्सान शाहपुर कंडी डैम के न बनने से होने संबंधी अवगत करवाया। 

पंडित अनंत राम के पत्र व्यवहार का नरेंद्र मोदी और नितिन गडकरी ने तुरंत संज्ञान लिया। पंजाब सरकार और थीन डैम अधिकारियों को तुरंत शाहपुर कंडी डैम को शुरू करने के आदेश दिए। 2838 करोड़ रुपयों का प्रावधान नरेंद्र मोदी ने किया और काम शुरू करवाया। मार्च, 2013 में शाहपुर कंडी डैम को बनाने का ठेका मैसर्ज सोमा एंड कम्पनी को दे दिया गया था। पैसा न मिलने से काम ठप्प पड़ा था। मशीनरी खराब हो रही थी, क्वार्टर खंडरात बन रहे थे और कर्मचारी बिना काम तनख्वाह ले रहे थे। ऐसे हालात में पैसे का आना, डैम के काम का धड़ाधड़ शुरू हो जाना एक चमत्कार से कम नहीं। इसका श्रेय पंडित अनंत राम को दिया जाना चाहिए। 

शाहपुर कंडी डैम पठानकोट से उत्तर दिशा में 11 किलोमीटर की दूरी पर है। लगभग इतनी ही दूरी इस निर्माणाधीन शाहपुर कंडी डैम की रणजीत सागर डैम से है। शाहपुर कंडी एक ऐतिहासिक गांव है जिसका प्राचीन वैदिक साहित्य में नाम शारदापुरम था। इसी गांव के बिल्कुल नीचे रावी दरिया बहता है। इसी स्थान पर पठानिया, राजपूत राजाओं का प्राचीन किला और शारदा मां का ऐतिहासिक मंदिर है। इस किले से फर्लांग भर की दूरी पर डैम का काम दिन-रात चल रहा है। कम्पनी को यह डैम 36 महीनों में तैयार करके देश को देना है ताकि रावी दरिया का पानी पाकिस्तान को न जा सके। 2838 करोड़ की इस बहुमुखी परियोजना से पंजाब और पड़ोसी राज्यों का  भाग्य बदलने वाला है। सौभाग्य से शाहपुर कंडी डैम के काम को देखने का मौका यहां के एस.ई. सुधीर गुप्ता और एक्सियन जनक राज डोगरा के माध्यम से प्राप्त हुआ। 

डैम की विशेषताएं
शाहपुरकंडी डैम की कुछेक विशेषताएं आपकी सेवा में रखना चाहूंगा:-
(1) एक नहर निकाली जाएगी, जो माधोपुर के मुकाम पर अपर बारी दोआब में जाकर मिल जाएगी। दूसरी नहर जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में निकाली जाएगी।
(2) शाहपुरकंडी डैम के निर्माण में लगभग 11,00,000 क्यूबिक मीटर कंकरीट काम आएगा। सीमैंट के लगभग 55,00,000 बोरों का प्रयोग होगा।
(3) 20,000 मीट्रिक टन लोहा इसके निर्माण में प्रयोग होगा।
(4) यह बांध 55.5 मीटर ऊंचा होगा। इसकी लंबाई 133 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर होगी।
(5) 36 महीने दिन-रात 700 कर्मचारी कार्यरत रहेंगे।
(6) जम्मू-कश्मीर को पंजाब से जोडऩे वाला एक आधुनिक पुल बनाया जाएगा जिसका एक सिरा जम्मू-कश्मीर के गांव वसंतपुर और दूसरा पंजाब के अछबाल गांव को छुएगा।
(7) बांध के ऊपरी हिस्से की चौड़ाई 10 मीटर और पुल की चौड़ाई 15 मीटर होगी। इस डैम के 22 स्पैन होंगे।
(8) इस डैम के पूरा होने पर 206 मैगावाट बिजली का उत्पादन होगा, जिससे पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बिजली की कमी को पूरा किया जाएगा। दोनों राज्यों की ओर दो-दो बिजली घरों का निर्माण किया जाएगा।
(9) इस परियोजना के पूरा होने से पंजाब की 3.48 लाख हैक्टेयर भूमि और जम्मू-कश्मीर की 32173 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई योग्य बनाया जाएगा। 

खेत लहलहाने लगेंगे
पंजाब के लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि माधोपुर से दुनेरा तक का यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है और सिंचाई की तमाम सुविधाओं से वंचित है। इसे कंडी का मारू इलावन कहते हैं। पंजाब के दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर का सारा क्षेत्र अद्र्ध-पहाड़ी और कंडी क्षेत्र कहलाता है। जब दोनों ओर सिंचाई के लिए नहरें निकलेंगी तो दोनों तरफ की खेती लहलहाने लगेगी। पंजाब से जम्मू, कठुआ, मानपुर और बसोहली जाने वालों के लिए मीलों की दूरी घटेगी। मुझे याद है जब मैं इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता था तो अटल सेतु बनवाने के लिए वाजपेयी सरकार से 649 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध करवाई थी। अटल सेतु जो बसोहली के मुकाम पर बना है, उसने उस क्षेत्र का रूप ही बदल दिया है।

जब इस प्रकार के डैम बन जाते हैं तो इन बहुमुखी परियोजनाओं से क्षेत्र की नुहार बदल जाती है। टूरिज्म के नए-नए दायरे खुल जाते हैं। बिजली और सिंचाई की सुविधाएं तो मिलती ही हैं, नौका विहार, मत्स्य पालन और रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होने लगते हैं। शर्त अब सिर्फ इतनी है पंजाब के मुख्यमंत्री शाहपुरकंडी डैम के निर्माण को निरंतर चलाए रखने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाए रखें।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

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