कुचले जाने पर पैदा होती है ‘मिठास’

punjabkesari.in Sunday, Jun 28, 2020 - 04:08 AM (IST)

जैसे ही मैंने अपनी कार को रोका, वह इमारत के पास एक छाया की तरह आकर खड़ा हो गया। उसने मेरे नीचे उतरने का इंतजार किया। हालांकि वह मेरी पत्नी तथा बच्चों को देख नहीं सकता था। फिर भी उसने उनकी तरफ झुकने की कोशिश की। वह अंधा है और कुवैत में रहता था। कुछ वर्ष पूर्व उसकी पत्नी उसे एक दिन उसके घर ले आई तथा उसके बाद अपनी मां की दहलीज पर उसे छोड़ आई और आप कुवैत लौट गई। 

मैं उसके दुख को जानता हूं। वह अपने प्यार के बारे में सोचता है जिसने उसे त्याग दिया था। उसका कसूर इतना ही था कि उसने अपनी आंखें खो दीं। वह अपनी बेटी को मिलने की चाह में हजारों मील का फासला तय कर आया। उसने सकारात्मक सोच रखी और मिलने की सभी आशाएं भी कायम रखीं। उसने मुझसे कहा बॉब आपको लगता है कि मैं परामर्श देने का कार्य कर सकता हूं और संकट की घड़ी में दूसरों की मदद कर सकता हूं। कुछ लोग वास्तव में ही गन्ने की तरह होते हैं। कुचले जाने पर उनसे मिठास पैदा होती है। इसके बाद मैं अपने बचपन के दोस्त की पत्नी के बारे में सोचने लग गया। वह एक सुंदर साथी था। जब मैंने उसकी दुल्हन को देखा तो मैंने सोचा कि दोनों की जोड़ी बेहद आकर्षक है। वह सुंदर थी क्योंकि वह खुद भी सुंदर था। 

एक दिन मैंने उनके घर की यात्रा के दौरान उनसे पूछा कि क्या गलत हुआ। जो ट्रे लेकर वह आ रही थी, वह उसके हाथों से छूट गई और चाय तथा बिस्कुट फर्श पर बिखर कर रह गए। गठिया! वह फुसफुसाई। सालों के बाद यह रोग बदत्तर हो गया और सुंदर दिखने वाली वह महिला अब झुक गई थी और उसकी उंगलियां शायद ही खुल पा रही थीं। एक दिन उसने मुझसे कहा, ‘‘क्या आप मेरे द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स देखना चाहोगे?’’ मैंने उसकी मुड़ी हुई उंगलियों को देखते हुए पूछा, ‘‘क्या यह तुमने पेंट की?’’ वह बोली, ‘‘मैंने इसे अपने पैरों की उंगलियां से पेंट किया है!’’

जब वह पेंट करने के लिए बैठी तो उसने बाएं पैर के पंजों के बीच एक ब्रश को समायोजित किया। फिर मैंने देखा कि कैनवस पर उसने चमकते रंगों को रूपांतरित किया। मैं हैरानी से बोला कि ‘‘यह वाकई अद्भुत है।’’ उसका पति बोला, ‘‘कोई भी उसकी आत्मा को कुचल  नहीं सकता।’’ मैं बड़बड़ाया, ‘‘गन्ना, जितना ज्यादा इसे कुचला जाएगा, उतनी ही मिठास यह पैदा करता जाएगा।’’ 

इसके बाद मैंने चहचहाती और शर्मीली हंसी सुनी। मैं ऐसे कमरे में प्रवेश कर गया, जहां पर एड्स रोगियों की पत्नियां प्रत्येक शनिवार दोपहर को आपस में मिलती हैं। सभी हंस रही थीं और शिल्पा नामक एक महिला ने उन्हें एक जोक सुनाया। वह इस ग्रुप की प्रभारी है। हताश, उदास महिलाओं के एक समूह का शनिवार मस्ती के दिनों में बदल जाता है। इतने में मैंने देखा कि उसने उठने की कोशिश की मगर उसके पैर पोलियो से जकड़े हुए थे और वह अपने अंगों को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी।

वह बोली, ‘‘हाय बॉब।’’ वह चिल्लाई और उसके बाद कमरे से बाहर आ गई। उसका पति शराब का सेवन करता है। मैंने अपनी आंखें बंद कीं और पूछा इन कुचले हुए फलों में आखिर इतनी मिठास कैसे होती है? दर्द ने कैसे उनके बीच में से चीनी को उत्पन्न किया है। मैंने परमात्मा से भी यही बात पूछी। एक आवाज ने मुझे जवाब दिया कि मेरे पुत्र! भयानक नुक्सान के उस समय में इन लोगों ने मुझे पाया, जो अस्वीकार्य हो चुके थे। वह जिस मिठास को ब्रश और पीड़ा से उत्पन्न करते हैं, वह वाक्य अद्भुत है। जितना मैं इन्हें पकड़ कर निचोड़ता हूं, उतनी ही यह खुशी महसूस करते हैं।-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
 


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