सुषमा स्वराज हो सकती हैं देश की अगली राष्ट्रपति

Sunday, Jun 18, 2017 - 12:42 AM (IST)

सब कुछ अगर यूं ही योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ा तो केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस दफे रायसिना हिल्स पर काबिज हो सकती हैं। एक ओर वह प्रधानमंत्री मोदी की निजी पसंद बताई जाती हैं, तो संघ भी उनके नाम की पुरकश वकालत करता नजर आ रहा है, संघ में नंबर दो की हैसियत रखने वाले भैया जी जोशी पिछले काफी समय से सुषमा का नाम आगे बढ़ाते रहे हैं। 

विश्वस्त सूत्र खुलासा करते हैं कि इस शुक्रवार को जब वेंकैया नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की तो राष्ट्रपति पद के एक सर्वमान्य उम्मीदवार के तौर पर सुषमा का नाम उभर कर सामने आया। हालांकि आधिकारिक तौर पर कांग्रेस इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रही है, पर 10 जनपथ से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि वेंकैया जितने नामों की फेहरिस्त लेकर गए थे, उनमें बस सुषमा के नाम पर ही सोनिया को किंचित कोई आपत्ति नहीं थी। हालांकि भाजपा के अंदर रायसिना हिल्स पर नजर गड़ाए रखने वाले नेताओं व नेत्रियों की एक लंबी फौज है। 

इस सूची में भाजपा के बिसरा दिए गए भीष्म पितामह लाल कृष्ण अडवानी के अलावा मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू, राजनाथ सिंह, सुमित्रा महाजन, अरुण जेतली जैसे नेतागण भी शुमार हैं। इसके अलावा भाजपा के ही कुछ सीनियर नेता मैट्रोमैन ई. श्रीधरन का नाम भी चला रहे हैं। नाम तो गवर्नर विद्यासागर राव और द्रौपदी मुर्मू के भी चल रहे हैं। शिवसेना ने तो संघ प्रमुख मोहन भागवत और एम.एस. स्वामीनाथन के नाम का भी शगूफा उछाला, पर मौजूदा वक्त में सुषमा इस रेस में सबसे आगे दिखाई दे रही हैं। 

सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर प्रधानमंत्री, अमित शाह और राम माधव के बीच एक लंबी मुलाकात चली, इस बैठक में भी सुषमा स्वराज के नाम पर चर्चा हुई और यह माना गया कि सुषमा की न केवल एक निॢववाद छवि है अपितु अन्य दलों में भी उनकी स्वीकार्यता सबसे ज्यादा है। शायद यही वजह है कि राष्ट्रपति पद की दौड़ में फिलवक्त सुषमा सबसे आगे दिखाई दे रही हैं। 

ऐसे कटा वेंकैया का पत्ता
यह पिछले हफ्ते की बात है वेंकैया नायडू पी.एम. मोदी से मिलने पहुंचे। सूत्र बताते हैं कि चतुर सुजान वेंकैया ने मोदी से अर्ज किया कि-‘मैं आपका’ ब्लाइंड फॉलोअर’ रहा हूं, इन दिनों मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं चल रहा है, अगर ऐसे में आप मुझे कोई बड़ी जिम्मेदारी (राष्ट्रपति) देते हैं तो सेवादार की तरह अपना कत्र्तव्य निभाऊंगा।’ प्रधानमंत्री ने इस पर एक सुविचारित चुप्पी साध ली, कहते हैं कि तब तक वहां मुरली मनोहर जोशी का भी पदार्पण हो जाता है, पी.एम. ने उन्हें भी मिलने का वक्त दे रखा था। 

जोशी और वेंकैया एक-दूसरे को वहां देखकर एकदम से चौंक गए। सूत्रों की मानें तो फिर जोशी ने पी.एम. से कहा-‘आपसे अकेले में 2 मिनट बात करनी है’। कहते हैं इस पर पी.एम. ने कहा कि’ वेंकैया जी भी अपने हैं, आप अपनी बात यहां भी कह सकते हैं’। जोशी ने खुद को ठगा-सा महसूस किया और बस इतना ही कह पाए मैंने अपना पूरा जीवन पार्टी की सेवा में लगाया है, मेरे साथ न्याय होना चाहिए।’ पी.एम. के अधरों पर मुस्कुराहट की एक रेखा कौंध गई और उनकी उसी मुस्कान में उनका राजनीतिक संदेश निहित था। एक संदेश वेंकैया के लिए भी था, सो उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने वाली कमेटी में डाल दिया गया, राजनाथ व जेतली का भी यही हश्र हुआ।  शनै:शनै: रायसिना हिल्स के रहस्यों से धुंध छंटने लगी है। 

राहुल तो बच्चा है जी!
पर राहुल गांधी के लिए अध्यक्ष पद का ताज कांटों का ताज साबित हो सकता है। अपनी तमाम नेकनीयती व मेहनत के बाद भी वह अपने लिए राजनीतिक जगह नहीं बना पाए हैं। सहयोगी दलों में भी उनको लेकर कोई बहुत अच्छी समझ नहीं बन पाई है। जैसे पिछले दिनों जब तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी नई दिल्ली आईं तो राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर रणनीतियां बुनने के लिहाज से राहुल ने दीदी को अपने तुगलक लेन स्थित सरकारी निवास पर भोजन हेतु आमंत्रित किया।

हालांकि ममता ने राहुल का यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया पर उन्होंने अपनी ओर से एक शर्त भी रख दी कि इस दावत का आयोजन 10 जनपथ पर हो ताकि उसमें सोनिया भी उपस्थित रह सकें। सूत्रों की मानें तो ममता ने राहुल के समक्ष यह दलील भी रखी कि उनके पिता यानी स्व. राजीव गांधी की वह सबसे ज्यादा इज्जत करती हैं, इस नाते 10 जनपथ से उनका एक बेहद भावनात्मक रिश्ता जुड़ा है, इसीलिए वह वहीं आना चाहती हैं। शायद राहुल निकट भविष्य में ऐसे राजनीतिक संदेशों को पढऩे व समझने की आदत डाल लें। 

...और अंत में
पार्टी के अंदर व बाहर चौतरफा हमलों से घिरी आम आदमी पार्टी को एक नया आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ है। यह आत्म ज्ञान डिप्टी सी.एम. मनीष सिसौदिया से सी.बी.आई. की पूछताछ के बाद और प्रखर हुआ है। पार्टी ने अपने कोर ग्रुप में आत्ममंथन के बाद यह फैसला लिया है कि इस बार के गुजरात व हिमाचल विधानसभा चुनाव में पार्टी अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। खासकर गुजरात को लेकर ‘आप’ ने काफी पहले से तैयारियां की थीं, स्वयं केजरीवाल गुजरात को लेकर काफी उत्साहित थे। 

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