पाकिस्तान पर इतना ध्यान हमें ही नुक्सान पहुंचाएगा

Monday, Mar 04, 2019 - 03:29 AM (IST)

मैं जाहिरा तौर पर उन कुछ भारतीयों में से एक हूं, जो गत सप्ताह के घटनाक्रमों से उत्तेजित अथवा भावुक नहीं हैं। मैं पाकिस्तान पर हमारे हमले और फिर अगले दिन उनकी प्रतिक्रिया तथा फिर भारतीय वायुसेना के पायलट को लेकर उसके दो दिन बाद तक चले नाटक का हवाला दे रहा हूं, जिसका अंत शुक्रवार रात को उसकी रिहाई के साथ हुआ। इसके कई कारण हैं और आप में से कुछ सम्भवत: इनसे असहमत होंगे।

पहला, मैं पाकिस्तान से नफरत नहीं करता। मैं कई बार उस देश में गया हूं और मैं वहां के बहुत से लोगों को जानता हूं। मेरा मानना है कि उनकी सरकारों ने कुछ भयावह चीजें की हैं लेकिन उनके लिए मैं वहां की जनता को दोष नहीं देता। यदि हम मिलकर अपने घर में अपना काम करने में सक्षम होते, विशेषकर कश्मीर में, उनकी सरकार जो कुछ भी हमारे साथ करती, वह हमारे देश को उस तरह से प्रभावित नहीं करता जैसा किया है। 

कश्मीर में मौतों की संख्या बढ़ी
यह मुझे दूसरे कारण पर ले आता है। नरेन्द्र मोदी के कश्मीर में कड़े शासन के अंतर्गत होने वाली मौतों की संख्या 2014 में 189 से बढ़ कर 2016 में 267, 2017 में 357 और फिर गत वर्ष 451 तक पहुंच गई।

वहां मारे गए हमारे सैनिकों की संख्या 47 से बढ़कर 91 हो गई। क्या यह अच्छा रिकार्ड है और क्या यह भारत के लिए अच्छा है कि किसी विशेष कारण के बिना इतनी बड़ी संख्या में हमारे योद्धाओं को बलिदान कर दिया जाए? मेरा उत्तर नहीं है और यदि मैं अपनी सरकार की कारगुजारी तथा नीतियों पर नजर डालता हूं तो फिर मैं आंकड़ों तथा संख्याओं से परे नहीं देख सकता। हम कश्मीर में असफल हो रहे हैं और कारगुजारी को नाटक तथा तमाशे से बदल रहे हैं।

तीसरा कारण यह है कि मुझे भारत सरकार की पाकिस्तान में हमले की कार्रवाई से कोई लाभ दिखाई नहीं देता। स्पष्ट कहूं तो मैं समझ सकता हूं कि मोदी सरकार का तर्क क्या है लेकिन मेरा मानना है वह गलत है। जिस तरह की सैन्य कार्रवाई हमने पिछले सप्ताह देखी उसके पक्ष में तर्क इस तरह से हैं। (क) पाकिस्तान हमें नुक्सान पहुंचाता है इसलिए हमें उसी तरह से उसे नुक्सान पहुंचाना है; (ख) यदि हम उन पर जोरदार हमला करते हैं तो वे भविष्य में ऐसा करने बारे दो बार सोचेंगे; (ग) यह हमला पाकिस्तान पर अपने आतंकी ढांचे को बंद करने के लिए दबाव बनाने हेतु मदद करेगा। मुझे इनमें से किसी भी बिंदू पर कोई विशेष आपत्ति नहीं है। मैं बस यह नहीं मानता कि वे प्रभावशाली हैं और मुझे लगता है कि उनसे पैदा होने वाली नकारात्मकता और अधिक भारतीयों की जान को खतरे में डालेगी तथा सकारात्मकताओं पर भारी पड़ेगी।

सेना व सैन्य उपकरणों पर अधिक खर्च
चौथा, ऐसी कार्रवाइयां पहले से ही मजबूत उस तर्क को मजबूती प्रदान करेंगी कि हमें अपनी सेना तथा लड़ाकू विमानों जैसे उपकरणों पर अधिक धन खर्च करना चाहिए। सुरक्षा पर हमारा कुल खर्च प्रति वर्ष 4 लाख करोड़ रुपए है। यह वह धन है जो विश्व के सर्वाधिक गरीब देशों में से एक में स्वास्थ्य तथा शिक्षा से परे इस्तेमाल किया जा रहा है। जब सेना पर इतना अधिक ध्यान केन्द्रित है तो राजनीति में लोगों के लिए सेना पर और अधिक खर्च का विरोध करना कठिन बन जाता है।

पांचवां कारण यह है कि सरकारें इसका इस्तेमाल ध्यान हटाने के लिए करती हैं। गत सप्ताह भी यह समाचार आया कि अर्थव्यवस्था धीमी पड़ गई है और विकास में गिरावट आई है। बेरोजगारी की दर 7 प्रतिशत से अधिक है जो गत 40 वर्षों में सर्वाधिक उच्च स्तर है। ऐसी चीजों पर बहुत कम अथवा बिल्कुल ही ध्यान नहीं है क्योंकि हमें अन्य चीजों पर ध्यान देने के लिए बाध्य किया जा रहा है। छठा कारण पत्रकारिता के मेरे अपने व्यवसाय से मेरी घृणा है। जिस तरह से हमें जोशपूर्ण ढंग से युद्ध की ओर ले जाया जा रहा है, घिनौना है। पाठकों को पता होना चाहिए कि समाचार चैनल जो भी रुख अख्तियार करते हैं वह धन द्वारा निर्धारित होता है। धन के लिए जानबूझ कर हमारे देश को नुक्सान पहुंचाना देशद्रोह है और उन्हें यह बंद करना चाहिए। 

छोटे देश के विरोध में हमें छोटा बनाया
सातवां एवं अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि मैं भारत को एक राष्ट्र तथा एक संस्कृति मानता हूं जिसे मानव जाति तथा पूरे गृह के लिए योगदान देना है। हमने खुद को तथा अपने देश को गत कुछ वर्षों के दौरान मुख्य रूप से एक अन्य छोटे दक्षिण एशियाई देश के विरोध में छोटा कर लिया है। जब तक हम किसी न किसी तरीके से पाकिस्तान को सबक सिखाते रहते हैं, हम खुश रहते हैं। हमने वास्तव में उन्हें सबक नहीं सिखाया मगर यह एक अलग मुद्दा है।

हमारी महत्वाकांक्षा तथा हमारी दूरदॢशता बहुत छोटी हो गई है। हमारे पास कोई ऐसी चीज नहीं है जिससे हम अमरीका, पश्चिमी यूरोप तथा चीन के साथ स्पर्धा कर सकें। यहां तक कि हम उनके साथ किसी वास्तविक दुश्मनी के बारे में सोच तक नहीं सकते। हमारा सबसे बड़ा उद्देश्य खुद को पाकिस्तान से बेहतर साबित करना है। इस महान देश के लिए यह बहुत छोटी तथा बहुत नकारात्मक महत्वाकांक्षा है। हम इससे बड़े हैं और विश्व के लिए अपनी सोच से कहीं अधिक महत्वपूर्ण तथा अर्थपूर्ण तरीके से योगदान देने में सक्षम हैं। जिस आवृत्ति के साथ हमने पाकिस्तान पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है, विशेष कर हमारी सरकार तथा हमारे मीडिया ने, अंतत: हमें नुक्सान पहुंचाएगा तथा हमारी महानता को कम करेगा।-आकार पटेल

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