घाटी में इतना बड़ा बदलाव नए सूर्योदय जैसा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 08, 2021 - 04:44 AM (IST)

दुनिया में कश्मीर को उसकी खूबसूरती के कारण धरती का स्वर्ग कहा जाता है। इसी स्वर्ग को हथियाने की नीयत से पाकिस्तान 1947 से आज तक तरह-तरह की साजिशें रचता रहा है। इसके लिए उसने साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हर प्रकार की नीति अपनाई है। सीधी जंग में बार-बार कामयाबी न मिलती देख उसने भारत से छद्म युद्ध छेड़ रखा है। इसलिए वह घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद को हवा देने का हरसंभव प्रयास करता रहा है। इस काम में पाकिस्तान की फौज, आई.एस.आई., वहां के आतंकवादी संगठन आदि का संलिप्त होना कोई हैरानी की बात नहीं, पर हैरानी तो इस बात की है कि उसने भारत के बड़े-बड़े राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के नेताओं से सांठ-गांठ कर भारत की राजनीति में ही नहीं सरकार में भी अच्छी घुसपैठ कर रखी थी। 

इसका सब से बड़ा उदाहरण हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के रूप में हमारे सामने है। घाटी में आतंकवाद के जन्मदाता कहे जाने वाले और हजारों ङ्क्षहदुओं के नरसंहार और लाखों हिंदुओं के पलायन की साजिश रचने वाले गिलानी के निधन से घाटी में अलगाववाद का एक युग समाप्त हो गया, परन्तु कुछ सवाल खड़े कर गया। गिलानी के निधन पर परिवार द्वारा उनके पार्थिव शरीर पर पाकिस्तान का झण्डा ओढ़ाया गया। उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती तथा पाकिस्तान में बैठे कई अंतर्राष्ट्रीय घोषित आतंकवादियों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी गई । सबसे अहम बात, पाकिस्तान सरकार द्वारा एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर वहां देश का झण्डा आधा झुका कर रखना सबसे बड़ा सवाल है। भारत के राजनीतिक तन्त्र में यह पाकिस्तानी एजैंटो की घुसपैठ का बड़ा सबूत है। 

करीब सात दशक तक हमारे देश की सरकार इन देश के दुश्मनों का पोषण करती रही। कांग्रेस की सरकार अपने कार्यकाल में इन घुसपैठियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, गाडिय़ों, उनके रहने आदि पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाती थी, वहीं कांग्रेस तथा उनकी साथी पार्टियों के दिग्गज नेता मणिशंकर अय्यर, गुलाम नबी आजाद, सीता राम येचुरी, असदुद्दीन ओवैसी,  टी.आर. बालू आदि गिलानी के आगे नतमस्तक रहते थे तथा उनके एक इशारे पर घाटी में उनकी हाजिरी भरते थे। उनके साथ बैठकें आयोजित होती थीं और देश की योजनाओं में उनसे मशविरा लिया जाता था। 

कौन नहीं जानता कि गिलानी पाकिस्तान की योजना के मुताबिक, उसके इशारे पर सरेआम दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन की बैठकों में जाते थे। इनका संगठन घाटी में सक्रिय सभी आतंकवादी गुटों का सरेआम हर प्रकार से पालन-पोषण करता था। गिलानी के अपने तथा पारिवारिक सदस्यों के बच्चे देश-विदेशों में बड़ी-बड़ी सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं में कार्यरत हैं, परन्तु घाटी के बच्चों को किताब की जगह पत्थर और बन्दूक पकड़ाने की साजिश का काम गिलानी करते थे। 

घाटी के नौजवानों को इन हुॢरयत नेता की सिफारिश पर पाकिस्तानी मैडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिलता था और उन नौजवानों से इकट्ठे किए गए धन का प्रयोग घाटी में नौजवानों का ब्रेनवाश करके देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए किया जाता था और ये सब वे खुलेआम और डंके की चोट पर करते थे। घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति को खराब करने की रणनीति के तहत बार-बार बंद की कॉल देने के कारण उन्हें घाटी में ‘हड़ताल मैन’ का खिताब मिला था। एक लेखक द्वारा लिखित किताब में घाटी में गिलानी को ‘जिहाद का जन्मदाता’ बताया गया है। भारत की सरजमीं पर ‘हम पाकिस्तानी हैं, पाकिस्तान हमारा है’ के नारों का जयघोष करने वाले इन सफेदपोश ‘डॉन’ का कैसे, क्यों और कौन पालन-पोषण करता रहा, आज कांग्रेस सरकार की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह है? 

इसका सीधा मतलब है कि या तो कांग्रेस और उनके सहयोगी दल भारत में सत्ता पाने के लिए पाकिस्तान से हर संभव मदद लेते थे, देश के हर कोने में आतंकवाद फैला कर जनता को डरा-धमका कर, उनकी लाशों पर राजनीति करते हुए सरकारें बनाते थे, अगर नहीं तो दूसरा पहलू यह है कि ये इतने अक्षम और नालायक थे कि इनका सूचना, इंटैलीजैंस ब्यूरो या सरकार का तन्त्र, सात-सात दशकों तक इन पाकिस्तानी एजैंटों का पता ही न कर पाया, न ही उन पर कोई कार्रवाई कर पाया। दोनों स्थितियों में कांग्रेस की भेदभरी नीतियों, उसकी अक्षमता ने देश को दशकों तक हानि पहुंचाई है। 

आज वही देश है, वही देश की जनता है, पर हालात बदले हैं। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सत्ता में आते ही गिलानी और उनके बाकी साथियों जैसे देशद्रोही तत्वों की पहचान कर उन्हें जेल में भेजने का काम किया। उनकी सुरक्षा आदि सुविधाएं वापिस ली गईं, उनके काले कारनामों की जांच करके कार्रवाई शुरू की, उनकी काली कमाई को रोकने का काम इस सरकार ने किया। घाटी में खून की नदियां बहाने की धमकियों की परवाह न करते हुए एक झटके में धारा 370 तोड़ कर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा सदा के लिए समाप्त कर दिया। 

जीरो टॉलरैंस की नीति पर कार्य करते हुए हमारी सुरक्षा एजैंसियां आतंकवाद और आतंकवादियों के सफाए की ओर बढ़ रही हैं। इसी का नतीजा है कि कश्मीर के जिस लाल चौक में देश की सरकार तिरंगा फहराने से कतराती थी, आज उसी लाल चौक में भगवान कृष्ण के जन्माष्टमी महोत्सव पर योगेश्वर भगवान कृष्ण की झांकियों के साथ शोभा यात्रा निकाली जा रही है। घाटी में इतना बड़ा बदलाव, भारत भू के लिए नए सूर्योदय जैसा है।-प्रवीण बांसल(पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर, लुधियाना)


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