चीन में हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी
punjabkesari.in Wednesday, Sep 20, 2023 - 05:52 AM (IST)

चीन के विनिर्माण सैक्टर की इन दिनों हालत खस्ता है, जिससे फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूरों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। कई फैक्टरियों में मजदूरों के वेतन को घटाकर आधे से भी कम कर दिया गया है तो कई फैक्टरियों में उनका वेतन पिछले कुछ महीनों से रोक दिया गया है। इस वजह से कई फैक्टरियों में मजदूरों ने काम रोककर हड़ताल शुरू कर दी है और फैक्टरी गेट के बाहर खड़े होकर नारेबाजी के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। सबकी एक ही मांग है कि उनका वेतन बढ़ाया जाए और समय पर दिया जाए। ये मजदूर अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर अपने वीडियो पोस्ट कर निकाल रहे हैं। चीन का टिकटॉक जिसे वहां पर तुओयिन कहते हैं, पर ऐसे ढेरों वीडियो देखे जा सकते हैं, जहां पर मज़दूर अपने वेतन की मांग करते हुए नारेबाजी कर रहे हैं।
चीन में कई महीनों से मांग और आपूर्ति शृंखला बाधित होने से फैक्टरियों पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर हुआ है। इन सैंकड़ों वीडियो में से एक वीडिया च्यांगयिन शहर की टैक्सटाइल फैक्टरी हुईचूछांग का है, जहां पर एक मजदूर यह बोलते हुए देखा जा सकता है कि पिछले 20 वर्षों से वह इस फैक्टरी में काम कर रहा है और एक दिन अचानक यहां पर काम बंद हो गया, जिसकी वजह से वह बेरोजगार हो गया है। अब उसके पास सामाजिक सुरक्षा और पैसे दोनों ही नहीं बचे। एक चीनी गैर सरकारी संस्था चाइना लेबर बुलेटिन, जो फैक्टरी के मजदूरों के हितों के लिए काम करती है, के अनुसार, इस समय पूरे चीन की फैक्टरियों में एक जैसा हाल है, हर जगह काम कम हो गया है और इसकी वजह से इन मजदूरों के वेतन आधे कर दिए गए हैं, जिसकी वजह से ये मजदूर पूरा वेतन पाने के लिए हड़ताल कर रहे हैं। हर फैक्टरी में विरोध प्रदर्शन और हड़ताल देखी जा रही है।
चाइना लेबर बुलेटिन की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद चीन में मजदूरों की हालत पहले से ज्यादा खराब हो चुकी है। इसका बड़ा कारण विदेशों से मांग में कमी होना बताया जा रहा है, जिस वजह से चीन का अंतर्राष्ट्रीय बाजार भी कमजोर पड़ता जा रहा है। कभी चीन में फैक्टरियों में मजदूर रात-दिन काम करते थे लेकिन अब मांग बहुत कम हो चुकी है, जिसकी वजह से चीन के फैक्टरी मालिक कर्मचारियों को काम से निकाल रहे हैं। इस समय चीन में सोशल मीडिया पर हुईचूछांग टैक्सटाइल फैक्टरी के बाहर कई कर्मचारी हाथों में बैनर लिए अपने वेतन और पिछले बकाए की मांग करते नजर आ रहे हैं। वहीं फैक्टरी मालिक अपने कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के पैसे नहीं दे रहे, जिसकी मांग ये कर्मचारी कर रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने के साथ ही नीचे कमैंट्स में ढेर सारे मजदूरों ने लिखा है कि उनके फैक्टरी मालिकों ने भी उनके साथ ऐसा ही किया है, जिससे अब वे बेरोजगार हो चुके हैं।
कई वीडियो में लोग चीन के लेबर बुलेटिन परियोजनाओं के असफल होने और उनके निकम्मेपन के लिए उन्हें बुरा-भला भी बोल रहे हैं। वर्ष 2023 में हड़ताल और धरना प्रदर्शन बढ़ चुके हैं। चाइना लेबर बुलेटिन के अनुसार इस वर्ष की पहली छमाही में 741 हड़तालें देखी गईं जो वर्ष 2022 में कुल 830 हड़तालों की तुलना में बहुत अधिक हैं। सी.एल.बी. का अनुमान है कि वर्ष 2023 में कुल 1300 से भी अधिक प्रदर्शन और हड़तालें देखने को मिल सकती हैं। चाइना लेबर बुलेटिन की रिपोर्ट के अनुसार फैक्टरियों के बंद होने और उनके चीन से बाहर जाने की वजह से विनिर्माण क्षेत्र में जहां वर्ष 2023 की जनवरी में 10 विरोध प्रदर्शन हुए थे, तो वहीं ये मई में बढ़कर 59 हो गए। इनमें से अधिकतर फैक्टरियां क्वांगतुंग प्रांत में मौजूद थीं। इस वर्ष की पहली छमाही में इलैक्ट्रॉनिक्स और कपड़े बनाने वाली फैक्टरियों के बंद होने की संख्या सबसे अधिक थी, जिनमें 66 इलैक्ट्रॉनिक्स फैक्टरियां और 38 कपड़े बनाने की फैक्टरियां शामिल हैं।
चीन के आधिकारिक कस्टम विभाग के आंकड़ों के अनुसार फैक्टरियों के बंद होने और दूसरी जगह स्थानांतरित होने से चीन के निर्यात में जुलाई के महीने में 14.5 फीसदी की गिरावट देखी गई, वहीं आयात में 12.4 फीसदी की गिरावट हुई।अमरीका के सैन डिएगो में कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के वित्तीय नीति विभाग के प्रोफैसर विक्टर शिह के अनुसार, कोरोना महामारी और उसके बाद लगे सख्त लॉकडाऊन की वजह से चीनी लोगों ने अपना रोजगार खो दिया और अपनी सारी बचत को लॉकडाऊन में गंवा बैठे। इस समय वैश्विक बाजार में मांग बहुत कमजोर है, जिससे चीन का विनिर्माण सैक्टर बुरी तरह चरमरा गया है। वर्तमान वैश्विक आर्थिक हालत को देखकर आर्थिक विशेषज्ञों को ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे, जिससे उन्हें चीन के लिए आशा की कोई किरण दिखाई दे। इस वजह से चीन की फैक्टरियों के बाहर कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का दौर जारी रहने वाला है।