संकट से उबरने के लिए श्रीलंका ‘शेख हसीना मॉडल’ अपनाए

punjabkesari.in Monday, Aug 01, 2022 - 06:06 AM (IST)

अपना पदभार संभालने के बाद अपने पहले टी.वी. संबोधन में श्रीलंकाई राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने अपने समक्ष खड़ी गंभीर चुनौतियों को दर्शाया। मगर ऐसी चुनौतियों को दूर करने के लिए अपने देशवासियों को अपने दृढ़ संकल्प होने के लिए भी दोहराया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसी समाधान के लिए सभी पार्टियों द्वारा गठित नैशनल असैंबली का गठन हो। श्रीलंका के समक्ष उपजे आर्थिक संकट को दूर करने के लिए बंगलादेश की ‘प्रधानमंत्री शेख हसीना माडल’ का अनुसरण किया जाए। 

दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र श्रीलंका वर्तमान में एक गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व इतने गिर गए हैं कि कुछ स्कूल की परीक्षाओं को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ा क्योंकि उनके पास आयात किया हुआ कागज नहीं है। कुकिंग गैस के अतिरिक्त वहां पर कैरोसीन तथा पैट्रोल की भी भारी किल्लत हो गई है। स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि मुद्रास्फीति, ऊंची बेरोजगारी दर तथा जीवनोपयोगी सभी जरूरतों की कमी के चलते कई श्रीलंकाई नागरिक विदेशों में बेहतर जीवन की आस में अपना ही देश छोडऩे को मजबूर हैं। 

इस स्थिति से निपटने के लिए श्रीलंकाई सरकार ने अपने पड़ोसी देश भारत से 1.5 बिलियन अमरीकी डालर के नए ऋण के लिए आग्रह किया है।  जब श्रीलंका ने मुश्किलें झेलीं तो बंगलादेश ने पहली मर्तबा 250 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण मुहैया करवाया। श्रीलंका ने फिर से एक बार बंगलादेश से ऋण की मांग की है। श्रीलंका एक ऐसा राष्ट्र है जो मानवीय संसाधनों और अंदरुनी खुशहाली के लिए सक्षम है। मगर सोचने वाली बात यह है कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई?  करीब एक शताब्दी से ज्यादा समय के लिए श्रीलंका ने अपने देश के लिए कई मैगा प्रोजैक्टों को शुरू किया। इनमें सी पोर्ट्स, एयरपोट्स, सड़कें तथा अन्य परियोजनाएं शामिल हैं। वर्तमान में ऐसी परियोजनाओं को गैर-जरूरी तथा फालतू बताया जा रहा है। 

श्रीलंका की अलग-अलग सरकारों ने घरेलू तथा विदेशी ऋण विभिन्न स्रोतों से ले रखा है जिसके नतीजन उनका फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व आहिस्ता-आहिस्ता खत्म होने लगा। विदेशी निवेश के बावजूद विभिन्न सरकारों ने ऋण लेने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया। धन को बढ़ाने के लिए 2007 से देश की सरकार ने सोवरन बांड्स जारी किए। इस तरह के बांड्स तभी बेचे जाते हैं जब देश की आय से ज्यादा खर्च अधिक हो जाए। धन की उगाही के लिए अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार में ऐसे बांड्स बेचे जाते हैं। ऐसा ही कुछ श्रीलंका ने किया। 

किसी समय आत्मनिर्भर रहे इस देश ने करों में कटौती के चलते भी मुश्किलें झेली हैं। कृषि में बिना किसी योजना के निर्णय लेने तथा पर्यटन प्रेषण से आय को कम किया गया है। बंगलादेश सहित अन्य देशों ने ऐसी स्थितियों से बहुत सबक लिए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक आर्थिक स्थिति में तेजी से बदलाव हुआ है। ऐसी स्थिति में कैसा भी देश हो वह नए संकटों में घिरा है। 

दूसरी तरफ बंगलादेश में वर्तमान समय में विकास के अजूबे देखे गए हैं। यह प्रधानमंत्री हसीना का योगदान है कि एक अविकसित देश से उन्होंने अपने देश को विकासशील देश बना डाला। आर्थिक संकेतों को देखते हुए शेख हसीना ने अपने देश को मध्यम आय वाला देश बना डाला। ‘बंगलादेश माडल’ के पीछे एक सशक्त नेतृत्व जिम्मेदार है। नई-नई परियोजनाएं समय के साथ-साथ चल रही हैं। गांवों में शहर जैसी सहूलियतें दी जा रही हैं। कुछ ही दिनों में मैट्रो रेल भी लांच होने वाली है। लम्बा पद्मा ब्रिज अब एक सपना नहीं रहा जोकि वास्तविकता में बदल चुका है। सरकारी कोष से ऐसी एक परियोजना को लागू करना बहुत बड़ी बात है। मानवीय विकास के विभिन्न संकेतों को देखते हुए बंगलादेश ने महत्वपूर्ण तरक्की दर्शाई है।

हसीना ने कहा कि, ‘‘2019 में एक व्यक्ति का जीवन 72.6 वर्ष का था। इसमें 2000 से 7 सालों की वृद्धि हुई है। स्कूलों का प्रतिशत 4.1 से 6.2 प्रतिशत तथा देश का मानवीय विकास सूचकांक 0.478 (वर्ष 2000 में) से बढ़कर 2019 में 0.632 हो गया है। बंगलादेश के सूचकांक की रैकिंग 189 देशों में अब 133वें स्थान पर है।’’ बंगलादेश के उच्चायुक्त के अनुसार बंगलादेश की वृद्धि मुख्य तौर पर रैडीमेड गार्मैंट्स के निर्यात से सफल हुई है। यह बंगलादेश के कुल निर्यात का 83 प्रतिशत है और जी.डी.पी. का 7 प्रतिशत है। 

हालांकि वृद्धि का मुख्य कारण निवेश है जो वर्ष 2000 में जी.डी.पी. का 24 प्रतिशत था अब बढ़कर 2019 में 32 प्रतिशत हो चला है। जब बंगलादेश की आर्थिक तरक्की और उसके अद्भुत उत्थान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन सबके पीछे ‘शेख हसीना फैक्टर है।’ कोविड-19 महामारी के दौरान बंगलादेशी सरकार ने अपने नागरिकों के लिए 2 प्रतिशत का इंसैंटिव बोनस देने की घोषणा की। कार्यबल में भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ौतरी हुई है। पद्मा ब्रिज के बनने के उपरांत देश की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव होगा। शेख हसीना सरकार की आर्थिक उपलब्धियों का कोई जवाब नहीं। एशियन डिवैल्पमैंट बैंक (ए.डी.बी.) भी बंगलादेश की आर्थिक सफलता पर अपनी मोहर लगा रहा है। उसके अनुसार बंगलादेश एशिया प्रशांत क्षेत्र में तेजी से उभरने वाली अर्थव्यवस्था है। 

जब देश में ऊर्जा की कमी महसूस हुई तो शेख हसीना ने निजी कम्पनियों को मध्यम रेंज के पावर प्लांटों के निर्माण के लिए अनुमति प्रदान की। सत्ता में रह कर शेख हसीना ने स्वास्थ्य, बैंकिंग, उच्च शिक्षा, टी.वी. तथा निर्यात और आर्थिक क्षेत्रों को निजी क्षेत्रों को सौंपा। बंगलादेश ने 2041 तक एक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान सरकार ने दूरदॢशता दिखाई है। देश में राजनीतिक स्थिरता को भी यकीनी बनाया गया है। आतंकवाद, गैर-कानूनी नशे के व्यापार, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए देश में ‘जीरो टोलरैंस पॉलिसी’ को अपनाया जा रहा है। ये सब कुछ देश के मेहनतकश लोगों के कारण संभव हुआ है। इसके साथ-साथ सशक्त नेतृत्व भी जिम्मेदार है।-जॉन रोजेरियो


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