स्पंज शहर : आज के दौर में बढ़ता इनका महत्त्व
punjabkesari.in Friday, Sep 29, 2023 - 05:22 AM (IST)

वैज्ञानिक उत्साहपूर्वक ‘स्पंज शहरों’ को नए टिकाऊ भविष्यवादी शहर के रूप में प्रस्तावित कर रहे हैं, जहां पानी की लगभग हर बूंद को एकत्र किया जाता है, संग्रहित किया जाता है और पुन: उपयोग किया जाता है। इस प्रकार यह दूरदर्शी ‘चक्रीय अर्थव्यवस्था’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन बाढ़ लाता है और तबाही मचाता है, शहरों की इस तरह से योजना बनाने की आवश्यकता बढ़ रही है कि वे विशाल स्पंज की तरह काम करें जो पानी को सुरक्षित रूप से बहने दें।
शब्द ‘स्पंज शहर या स्पंज सिटीज’ का उपयोग पेड़ों, झीलों और पार्कों जैसे व्यापक प्राकृतिक क्षेत्रों वाले शहरी क्षेत्रों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, इससे उन्हें अधिक वर्षा जल को अवशोषित करने और बाढ़ को रोकने की अनुमति मिलेगी। स्पंज शहर नवाचार के इस सिद्धांत का पालन करता है कि एक शहर अपने पानी की समस्याओं को स्वयं हल कर सकता है। वर्षा के पानी को दूर फैंकने की बजाय, एक स्पंज शहर इसे अपनी सीमाओं के भीतर उपयोग के लिए बचा कर रखता है। कुछ पानी का उपयोग घटते पानी के स्रोतों को रिचार्ज करने या बगीचों और शहरी खेतों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है। कुछ पानी का उपयोग हम अपने शौचालयों को फ्लश करने और अपने घरों को साफ करने के लिए भी कर सकते हैं।
इसे पीने लायक स्वच्छ बनाने के लिए साफ या संसाधित भी किया जा सकता है। स्पंज शहर का बहुत महत्व है। वर्तमान परिदृश्य में स्मार्ट तरीकों, मुख्य रूप से प्रकृति-आधारित समाधान ने व्यापक लोकप्रियता हासिल की है, स्थिरता और सामथ्र्य दोनों को देखते हुए, यह जलवायु परिवर्तन से कुशलता से निपट सकता है। इस तरह के कई अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण भी हमें देखने को मिलते हैं। दुनिया के प्रमुख शहर जैसे न्यूयॉर्क, शंघाई, टोक्यो और कार्डिफ उद्यान बनाकर, नदी जल निकासी और सिटीवॉक का विस्तार करके अपनी स्पंजनैस को अपना रहे हैं। स्पंज शहर हमारे देश भारत के लिए भी मायने रखते हैं।
शहरी क्षेत्रों की बढ़ती संख्या विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रही है। भारी वर्षा और बाढ़ के खतरे के साथ जलवायु परिवर्तन ने अपना प्रभाव डाला है। हाल ही में प्रकाशित ‘इंटरगवर्नमैंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आई.पी.सी.सी.) के अनुसार 700 मिलियन लोग पहले से ही अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में रहते हैं, वैश्विक तापमान बढऩे के साथ यह संख्या अधिक होने की उम्मीद है। भारत लगभग हर प्रकार की स्थलाकृति वाला एक विविधतापूर्ण देश है, इसलिए जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हर जगह एक जैसा नहीं है, और न ही वह योजना पद्धति जो हम अपना रहे हैं।
वर्ष 2013 के बाद से उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य लगातार बाढ़ का सामना कर रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं, सड़कें जलमग्न हो गई हैं, पेड़ उखड़ गए हैं और इमारतों का ढेर लग गया है। 2021 की ‘चमोली आपदा’ औऱ 2023 की हिमाचल आपदा ने गंभीर क्षति पहुंचाई। इसके अलावा, भारतीय महानगरों में शहरी बाढ़ बार-बार आने वाली एक समस्या बन गई है। शहर बड़े हो रहे हैं, और जलवायु परिवर्तन का खतरा भी बढ़ रहा है। ऐसी जलवायु चुनौतियों से कैसे निपटा जाए, इस पर कोई दीर्घकालिक दृष्टिकोण नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में मुंबई, अहमदाबाद, चंडीगढ़ और चेन्नई जैसे बड़े शहरों को भी इस चुनौती का सामना करना पड़ा है।
जब हम शहर बनाते हैं, तो हम आर्द्रभूमि और तालाबों पर निर्माण करते हैं, जिनमें वास्तव में अतिरिक्त पानी सोखने की क्षमता होती है, इसलिए किसी तरह का प्राकृतिक निकास का विकल्प अवरुद्ध हो जाता है। इन घटनाओं ने आजीविका को बाधित किया और सैंकड़ों लोगों की जान ले ली, लेकिन यह इस बात का भी संकेत है कि चीजों को कैसे सही करने की जरूरत है। न केवल स्मार्ट तरीके से, बल्कि टिकाऊ ढंग से भी योजना बनाई जानी चाहिए। अब प्रश्न यह है कि स्पंज शहर वास्तव में समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं ? इसके लिए हमें यह जान लेना होगा कि स्पंज शहरों का एक लाभ यह है कि वे नदियों में अधिक पानी रोक सकते हैं, इस प्रकार हरियाली बढ़ा सकते हैं। पानी को वाष्पीकरण में खोने की बजाय, इस पानी को पौधों में लाया जाता है, जिसका अर्थ है कि यह वास्तव में सूखा प्रतिरोधी पद्धति है।
विश्व आर्थिक मंच के एक शोध के अनुसार, शहरी पानी को अवशोषित करने के प्राकृतिक तरीके मानव निर्मित समाधानों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक कुशल हैं, और 28 प्रतिशत अधिक प्रभावी हैं। स्पंज शहर उन्नत हरित स्थान प्रदान करके कई गुना सामाजिक लाभ भी साथ लेकर आते हैं। पानी का उपयोग कई स्थानों को हरा-भरा रखने, यहां तक कि खेतीबाड़ी करने के लिए भी किया जा सकता है। हरित स्थान जैसी संबद्ध रणनीतियां जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकती हैं, वायु की गुणवत्ता में सुधार कर सकती हैं और शहरी ताप वाले द्वीपों को कम कर सकती हैं।-प्रत्यूष शर्मा