‘सॉरी’ मात्र 2 शब्द, जिन्हें कहने में हर्ज ही क्या

Sunday, Aug 30, 2020 - 01:29 AM (IST)

कुछ वर्ष पूर्व एक व्यक्ति ने, जोकि देश से बाहर किसी धार्मिक स्थल की यात्रा पर जा रहा था, ने मुझसे बुदबुदाते हुए कहा, ‘‘गलती के लिए मुझे क्षमा करें, जो मैंने आपके साथ की है। कृपया मुझे उसके लिए क्षमा करें।’’ मैंने कहा, ‘‘श्योर।’’ माफी मांगने से वह खुश हो गए। कुछ महीनों बाद उसने फिर से वही गलती दोहराई। मैंने उसकी इस कार्रवाई के लिए उससे पूछा, ‘‘क्या आपने पिछली बार सॉरी नहीं कहा था?’’ उसने मुझसे पूछा, ‘‘क्या मैंने ऐसे कहा था?’’ उसके चेहरे पर अचम्भा देखा। वह बोला, ‘‘क्योंकि मैं धार्मिक यात्रा पर जा रहा था इसलिए प्रत्येक से क्षमा-याचना कर रहा था और यह जरूरत भी थी।’’ 

देश में किसी अन्य जगह 3 सम्मानित तथा आदरणीय भद्रपुरुष जिसमें से एक के बाल मोटरबाइक चलाने के बाद पीछे को मुड़े हुए थे। वह अन्य 2 व्यक्तियों के समक्ष खड़े होकर कठोरतापूर्वक बोला, ‘‘सॉरी कहो।’’ वह बोले, ‘‘ऐसा नहीं कहेंगे। हम तो आपको दंडित करेंगे। वह फिर बोला कि क्षमा मांगो, वह बोले नहीं।’’यह मात्र 2 शब्द हैं या यूं कहें यह इससे भी ज्यादा है जिसके लिए मैं अपने पूरे जीवनकाल के लिए अपने आप से नफरत करूंगा। दो शब्दों के लिए और मेरी अंतरात्मा के लिए मैं विश्वासघाती कहलाऊंगा। आपको सॉरी शब्द बेहद ऊंची आवाज में नहीं बोलना होता सिर्फ होंठ बंद कर इसका उच्चारण करें। मगर मेरी आत्मा तो इसे सुनती है। 

लोगों की भीड़ में से कुछ ने कहा, ‘‘बात खत्म करने ही है तो क्यों नहीं सॉरी कह देते। दो शब्द कह देने से अगर सजा से बचा जा सकता है तो क्यों नहीं कह देते। मुझे उस व्यक्ति की याद आ गई जो यात्रा से पूर्व मुझे सॉरी बोल रहा था। उसका कहना था कि सॉरी बोल कर आप क्या खो देते हो? इससे कुछ भी तो फर्क नहीं पड़ता’’ 

तीन भद्र पुरुषों के समक्ष खड़ा एक व्यक्ति मेरी तरफ मुड़ा और बोला, ‘‘सॉरी एक या फिर दो शब्द नहीं। इसको बोलने का मतलब है मैंने गलती को स्वीकार कर लिया है जोकि बेईमानी से की गई।’’ मैंने बोला, ‘‘जो व्याप्त है वह मौजूद नहीं होता।’’ तालीम के लिहाज से मैंने अपनी बातों को वापस ले लिया। तीनों में एक व्यक्ति मुझसे बोला, ‘‘कितना मूर्खतापूर्वक है सिर्फ दो शब्दों को कहना।’’ एक व्यक्ति मेरी तरफ मुड़ा और हंसते हुए बोला, ‘‘कृप्या सॉरी बोल दें इससे हम अपने चेहरे बचा पाएंगे।’’ वह व्यक्ति बोला, ‘‘मुझे क्षमा करें क्योंकि पूरा देश संभावना में चमक रहा था।’’-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स

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