सोनिया का राज्यसभा में जाने का फैसला कांग्रेस के लिए अहम

Monday, Feb 19, 2024 - 05:20 AM (IST)

सोनिया गांधी ने इस सप्ताह राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ा और कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने 25 वर्षों तक लोकसभा में कार्य किया है और रायबरेली का प्रतिनिधित्व करती हैं। कुछ लोगों को आश्चर्य है कि क्या गांधी परिवार ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की कमजोर स्थिति के कारण अपना गढ़ छोड़ दिया। सोनिया का राज्यसभा में जाने का फैसला कांग्रेस पार्टी के लिए एक अहम पल है। ऐसा करने वाली वह नेहरू-गांधी परिवार की दूसरी सदस्य हैं। उनकी सास इंदिरा गांधी ने भी रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीतने से पहले कुछ समय के लिए पद संभाला था। नेहरू, राजीव गांधी और संजय गांधी पहले संसद में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

नेहरू-गांधी परिवार भारत में एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति है। वे उत्तर प्रदेश से आते हैं, लेकिन हाल की घटनाओं से पता चलता है कि वे राज्य से दूर जा रहे हैं, जिससे ङ्क्षचता बढ़ गई है। 
यह राजवंश लगभग 50 वर्षों तक भारतीय राजनीति पर हावी रहा है, जिससे  3 प्रधानमंत्री बने हैं। हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व में पार्टी आखिरी बार 1989 में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई थी। एक भावुक पत्र में सोनिया ने अपने रायबरेली के मतदाताओं से कहा, ‘‘स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के कारण मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं  लड़ूंगी। इस फैसले के बाद मुझे सीधे तौर पर आपकी सेवा करने का मौका तो नहीं मिलेगा, लेकिन मेरे दिल की बात जरूर है और आत्मा हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी।’’

कई वर्षों से रायबरेली और अमेठी को गांधी परिवार के गढ़ के रूप में जाना जाता है। 1952 के बाद से, रायबरेली ने लगातार कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार का समर्थन किया है। फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी के पति पहली बार 1952 में इस निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे। इसी तरह 1967 में अपने गठन के बाद से ही अमेठी नेहरू-गांधी राजवंश का गढ़ रहा है। 1970 और 1990 के दशक के कुछ वर्षों को छोड़कर, हर कार्यकाल में इस  निर्वाचन क्षेत्र ने परिवार को प्राथमिकता दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि उनमें चुनाव में भाग लेने का साहस नहीं है। उन्होंने व्यंग्यात्मक ढंग से उल्लेख किया कि कुछ राजनेता अपनी सीटें बदलने पर विचार कर रहे हैं, कुछ लोग लोकसभा से राज्यसभा में जाने पर भी विचार कर रहे हैं। सोनिया गांधी ने 1998 में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। 1999 में अमेठी और बेल्लारी से लोकसभा सीटें जीतीं। वह 2004, 2009, 2014 और 2019 में रायबरेली से चुनाव जीतती रहीं। विभिन्न राज्यों से राज्यसभा के लिए दौडऩे का अवसर मिलने के बावजूद , सोनिया ने राजस्थान से चुनाव लडऩे का फैसला किया, जहां उन्हें निर्विरोध जीतने की उम्मीद थी।

77 साल की उम्र में सोनिया गांधी की सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने की कोई योजना नहीं है और वह खुद को फिर से स्थापित करना चाहती हैं। दक्षिण भारत ने लंबे समय तक गांधी परिवार का समर्थन किया है, यहां तक कि आपातकाल के दौरान भी। विशेष रूप से, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्य इंदिरा गांधी के प्रति वफादार रहे। उन्होंने कर्नाटक के चिक्कमगलुरु से उपचुनाव में जनता पार्टी के वीरेंद्र पाटिल को हराया। 

1999 में सोनिया ने बेल्लारी और अमेठी की सीटें जीतीं लेकिन बाद में उन्होंने अमेठी सीट से इस्तीफा दे दिया। 2019 के चुनाव में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो सीटों - उत्तर प्रदेश की अमेठी और केरल की वायनाड - से चुनाव लड़ा था। राहुल ने 2004 से अमेठी सीट का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन 2019 में हार गए। हालांकि, वह वायनाड सीट पर विजयी हुए, जिसके परिणामस्वरूप गांधी परिवार का राजनीतिक आधार दक्षिण की ओर स्थानांतरित हो गया।

सोनिया गांधी ने यह दिखाने के लिए राजस्थान को चुना कि कांग्रेस पार्टी हिंदी हार्टलैंड को महत्व देती है, जो चुनावों में पार्टी की सफलता के लिए आवश्यक है। सोनिया के राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने के साथ, पार्टी उत्तर भारत में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है और उत्तर और दक्षिण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को संतुलित करना चाहती है। यह निर्णय इस धारणा को संबोधित करता है कि भाजपा और अन्य क्षेत्रीय दलों से प्रतिस्पर्धा के कारण हिंदी भाषी राज्यों की उपेक्षा की जा रही है। सोनिया का निर्णय राष्ट्रीय राजनीति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और व्यापक शासन से निपटने के साथ-साथ क्षेत्रीय मुद्दों को संभालने की क्षमता को दर्शाता है।

सोनिया ने क्यों लिया रायबरेली से बाहर जाने का फैसला? : उनका एक विचार यह भी था कि वह अपना सुप्रसिद्ध पता 10 जनपथ बंगला बरकरार रखें। वह 1989 से वहां रह रही हैं, जब राजीव गांधी ने सरकार खो दी थी। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हाऊस ऑफ एल्डर्स (राज्यसभा) में जाना एक सही निर्णय होगा, क्योंकि उनका राजनीति छोडऩे का कोई इरादा नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पार्टी पर सोनिया गांधी को उच्च सदन के लिए नामांकित करके आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी संभावित हार स्वीकार करने का आरोप लगाया है। ऐसी अटकलें हैं कि अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में राहुल गांधी की हार के बाद, रायबरेली इसी तरह के परिणाम का सामना करने वाला अगला राज्य हो सकता है।

सोनिया गांधी का खराब स्वास्थ्य भी एक कारण हो सकता है, जिसके बारे में उन्होंने अपने रायबरेली के मतदाताओं को सूचित किया है। वह सामान्य से कम प्रचार भी कर रही हैं। गांधी परिवार का मानना है कि उन्हें संसद में रहना चाहिए, भले ही वे किसी भी सदन का प्रतिनिधित्व करते हों। क्या राहुल गांधी फिर से अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या प्रियंका गांधी चुनाव लडऩे के लिए रायबरेली को चुनेंगी या नहीं, यह अभी तय नहीं हो पाया है। ओपिनियन पोल का अनुमान है कि दक्षिणपंथी भाजपा 2024 का चुनाव जीत सकती है, जिससे अनिश्चितता पैदा हो रही है। कांग्रेस को हर कदम पर सतर्क रहने की जरूरत है। सोनिया का राज्यसभा जाना एक ऐसा कदम है जिस पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। -कल्याणी शंकर

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