कभी-कभी हार न मानना ही उपदेश बन जाता है
punjabkesari.in Monday, Oct 20, 2025 - 05:00 AM (IST)
कुछ साल पहले, मेरा एक करीबी दोस्त शराब की लत में बुरी तरह फंस गया था। एक होनहार, काबिल नौजवान को शराब की लत में गिरते देखना दिल दहला देने वाला था। एक रात वह अपनी कार लेकर, पूरी तरह नशे में, लोनावला (मुम्बई) तक चला गया। मैं उसे बार-बार फोन करता रहा, उससे रुकने, वापस मुडऩे और किसी सुरक्षित जगह पर गाड़ी रोकने की विनती करता रहा। उसने मेरे ज्यादातर फोन का जवाब नहीं दिया। आखिरकार जब उसने फोन उठाया तो उसकी आवाज लडख़ड़ा रही थी और वह गुस्से में था। मुझे लगा कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहा है।
महीनों बाद, जब वह किसी तरह शराब पीना छोड़ पाया तो वह मुझसे कॉफी हाऊस पर मिला और कुछ ऐसा कहा जो मैं कभी नहीं भूलूंगा। उसने कहा, ‘‘बॉब, तुम्हें याद है वह रात जब मैं नशे में गाड़ी चला रहा था और तुम मुझे बार-बार फोन कर रहे थे। तुम्हें लगा था कि मैं तुम्हें सुन नहीं पा रहा हूं लेकिन मैं सुन रहा था और उस धुंध में, एक ही बात मेरे दिमाग से नहीं निकल रही थी, कि क्या मैं इतना काबिल हूं कि बॉब मुझे फोन करता रहे? क्योंकि यही वह वक्त था जब मैं खुद को सबसे ज्यादा नाकाबिल महसूस कर रहा था। मैं पीना बंद नहीं कर पा रहा था। मैंने सबको निराश किया था, खुद को भी। लेकिन तुम्हारे फोन मुझे कुछ और बता रहे थे कि कोई अब भी मुझे बचाने लायक समझता है।’’
मैं काफी देर तक चुप रहा। उसके शब्दों ने मुझे बरसों में सुनी किसी भी बात से ज्यादा गहरा धक्का पहुंचाया। हम अक्सर सोचते हैं कि लोगों को उपदेश देने, उन्हें डांटने या उन्हें लंबा-चौड़ा उपदेश देने से वे वापस आ जाएंगे। लेकिन कभी-कभी, बस हार न मानने का काम ही उपदेश बन जाता है। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां लोगों को आसानी से नजरअंदाज कर दिया जाता है। एक बार असफल हो जाओ और तुम्हें नकार दिया जाता है। किसी कमजोरी से जूझो और तुम्हें निराशाजनक करार दे दिया जाता है। अपना रास्ता भटक जाओ और अचानक हर कोई यह दिखावा करने लगता है कि वे तुम्हें जानते ही नहीं थे। हम इसे व्यावहारिक होना कहते हैं। लेकिन असल में इससे यही पता चलता है कि हम भूल गए हैं कि अनुग्रह कैसे काम करता है।
मेरा दोस्त इसलिए संयम में नहीं लौटा क्योंकि किसी ने उसे पाप के बारे में उपदेश दिया था। वह कई कारणों से लौटा लेकिन उनमें से एक यह था कि किसी को विश्वास था कि वह अभी भी योग्य है। उस विश्वास ने उसके अंदर एक ङ्क्षचगारी जलाई जब उसके अंदर खुद की कोई रोशनी नहीं बची थी। इस समय हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जो चुपचाप अपने ही राक्षसों से लड़ रहे हैं। जैसे नशे की लत, अवसाद, असफलता और शर्म। आपको शायद पता न हो लेकिन आपका धैर्य, आपका फोन कॉल, उनका साथ न छोडऩा ही शायद उन्हें बचा सकता है। जब हम किसी को उसके सबसे बुरे समय में देखते हैं और फिर भी उसे प्यार के लायक समझते हैं तो हम वही दोहराते हैं जो परमेश्वर हर दिन हमारे साथ करता है। वह पुकारना कभी बंद नहीं करता। जब हम पूरी गति से गलत दिशा में गाड़ी चला रहे होते हैं, तब भी वह फोन करता रहता है, फुसफुसाता रहता है और कहता है, ‘तुम अब भी मेरे हो।’
तो अगली बार जब कोई आपको निराश करे तो जल्दी से वहां से न जाएं। यह न सोचें कि उनकी मदद नहीं की जा सकती। याद रखें कि आपकी दृढ़ता एक दिन उन्हें यह कहने पर मजबूर कर सकती है, ‘‘क्या मैं सचमुच इतना योग्य हूं’’। और हो सकता है कि आंसुओं और जागृति के माध्यम से पूछा गया यह प्रश्न, उनके घर वापसी के सफर की शुरूआत हो!-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
