सोशल मीडिया समस्या या समाधान, यह आप पर निर्भर
punjabkesari.in Wednesday, Oct 06, 2021 - 04:47 AM (IST)

आधुनिक युग तकनीक का है। प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक हो चाहे न हो लेकिन सोशल होना चाहता है। अन्य शब्दों में कहें तो व्यक्ति खुद को सोशल मीडिया के बिना अधूरा समझता है। आज सोशल मीडिया दुनिया भर के लोगों से जुडऩे का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है और इसने विश्व में संचार को एक नया आयाम दिया है। सोशल मीडिया आज लोगों के लिए सकारात्मक व नकारात्मक दोनों दृष्टियों से हथियार का काम कर रहा है। सोशल मीडिया उन लोगों की आवाज बना है जो समाज की मुख्यधारा से अलग हैं और जिनकी आवाज को दबाया जाता रहा है। जहां सोशल मीडिया कई व्यवसायियों के लिए व्यवसाय के एक अच्छे साधन के रूप में कार्य कर रहा है तो वहीं इससे कई प्रकार के रोजगारों के अवसर भी पैदा हुए हैं, जिनका लाभ उठाकर कई लोगों को अपनी रोजी-रोटी कमाने का अवसर प्राप्त हुआ है।
वर्तमान समय में आम नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग काफी व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। यहां तक कि सरकारी संस्थाओं व विभागों ने भी अपने सोशल मीडिया खाते बनाए हैं, जहां से सम्बन्धित जानकारियों को प्रसारित कर लोगों को समय-समय पर जागरूक किया जाता है। इससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि प्रशासन व जनता के बीच जो अप्रत्यक्ष दूरी बनी रहती थी, उसमें कड़ी का कार्य सोशल मीडिया से सम्भव हो पाया है। आज सोशल मीडिया सूचनाओं का केन्द्र बन गया है।
कई शोधों में सामने आया है कि दुनिया भर में अधिकांश लोग रोजमर्रा की सूचनाएं वे सुबह उठते ही सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त करते हैं। भारत जैसे राष्ट्र की बात करें तो सोशल मीडिया एक वरदान भी है और कई मायनों में यह समस्याओं का उत्पादक भी बन गया है। देश में सोशल मीडिया ने समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने और खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया है। आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारत में तकरीबन 350 मिलियन सोशल मीडिया यूजर हैं और एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023 तक यह संख्या लगभग 447 मिलियन तक पहुंच जाएगी।
वर्ष 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उपयोगकत्र्ता औसतन 2.4 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक फिलीपींस के उपयोगकत्र्ता सोशल मीडिया का सबसे अधिक (औसतन 4 घंटे) प्रयोग करते हैं, जबकि इस आधार पर जापान में सोशल मीडिया का प्रयोग सबसे कम (45 मिनट) होता है। इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया विवादों के जन्मदाता के रूप में अपनी आलोचनाओं के कारण भी चर्चा में रहता है। दरअसल सोशल मीडिया की भूमिका कई बार सामाजिक समरसता को बिगाडऩे और सकारात्मक सोच की जगह समाज को बांटने वाली सोच को बढ़ावा देने वाले की बन जाती है।
भारत में नीति निर्माताओं के समक्ष सोशल मीडिया के दुरुपयोग को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है एवं लोगों द्वारा इस ओर गंभीरता से विचार भी किया जा रहा है। इसके द्वारा विवादों को जन्म देने के पीछे सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया के प्रयोग के लिए किसी ठोस नियम का न होना है। कोई भी व्यक्ति किसी भी नाम व पहचान से खाता बना कर जो इच्छा हो वह सांझा कर सकता है। इससे जन्म मिलता है भ्रामकता और अपराधों को। कई शोध बताते हैं कि यदि सोशल मीडिया का आवश्यकता से अधिक प्रयोग किया जाए तो उससे हमारा मस्तिष्क नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है और हमें यह डिप्रैशन की ओर भी ले जा सकता है। सोशल मीडिया कहीं न कहीं साइबर-अपराधों के मामले में भी आग में घी डालने का कार्य करता है। यह फेक न्यूज और हेट स्पीच फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया पर गोपनीयता की कमी होती है और कई बार आपका निजी डाटा चोरी होने का खतरा रहता है।
जहां तकनीक है, वहां अपराधियों के पास भी हाई लैवल तकनीक होगी, जिससे साइबर अपराधों-जैसे हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है। आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से धोखाधड़ी का चलन भी काफी बढ़ गया है। अपराधी प्रवृत्ति के लोग ऐसे सोशल मीडिया उपयोगकत्र्ताओं की तलाश में रहते हैं जिन्हें आसानी से फंसाया जा सकता है। सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। अत: सोशल मीडिया समाज के लिए एक समस्या भी है और एक अवसर भी, मगर यह व्यक्ति के प्रयोग पर निर्भर करता है कि वह इसे अवसर के रूप में अपनाता है या अपने अथवा दूसरों के लिए समस्या का कारण बनता है।-प्रो. मनोज डोगरा