सिख भारत की खड्ग, भुजा और अन्नदाता

punjabkesari.in Friday, Apr 21, 2023 - 05:04 AM (IST)

महान दार्शनिक मैक्समूलर के अनुसार सिख धर्म उतना ही पुराना है जितने कि सिख। सिख धर्म अंधविश्वास नहीं, मिथक भी नहीं। यह मानवीय जीवन के भीतर सदैव रहने वाले इंकलाब जीवन का ऊंचा सजीव मार्ग है। यह सरल, अमल और समझ में आने वाला फलसफा है। इसका आधार सत्य है। सिख धर्म सत्य, इंसाफ, मानवीय एकता, ईश्वरीय एकता, मानवीय समानता, आपसी विश्वास, शांति और खुशहाली का प्रतीक है। 

इस धर्म के लिए समस्त विश्व परिवार जैसा है। गुरबाणी का प्रभु तथा उसकी प्राकृतिक, समस्त कायनात के साथ सीधा संवाद है। यह जीवन जांच है? फिर पुरातन और समकालीन शासकों-प्रशासकों और यहां तक कि वर्तमान कार्यकारी जत्थेदार साहब श्री अकाल तख्त साहब, श्री अमृतसर और तख्त श्री दमदमा साहिब, तलवंडी साबो को संशय क्यों पड़ते रहे हैं या पड़ रहे हैं कि सिख अपने पावन पर्व, गुरु के आशीर्वाद, संगतों के दर्शन दीदार, सिख मर्यादाओं, रस्मों-रिवाजों को स्थापित करने के लिए कहीं डर जाएंगे। 

श्री गुरु तेग बहादुर जी तथा उनके 3 सिख भाई मतिदास जी, भाई सति दास जी और भाई दयाला जी की शहादत के बाद क्या जालिम मुगल सम्राट औरंगजेब ने हिन्दुओं के मंदिर ध्वस्त करने बंद कर दिए थे? हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण करवाना बंद कर दिया था? हिंदू मां-बेटियों और बहुओं की आबरू से खिलवाड़ करना बंद कर दिया था। हिन्दुओं पर जुल्म ढहाना क्या बंद कर दिया था? क्या उसके पिट्ठू हिन्दू राजे, रानियों और जागीरदारों ने उसकी हिमायत करनी बंद कर दी थी? कदापि  नहीं। बल्कि उसकी दमनकारी नीतियां अपने चरम पर थीं। 

इन्हें चुनौती देने के लिए और भविष्य में जुल्म-जबर के शासन-प्रशासन को बर्बाद करने के लिए सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोङ्क्षबद राय ने1699 की बैसाखी के पर्व को मनाने के लिए अपने सिख अनुयायियों को, हिन्दुस्तानियों, मानवता की रक्षा करने का दृढ़ संकल्प रखने वाले लोगों को देश-विदेश से पूरे हर्षोल्लास से आने का निमंत्रण दिया था। 

इतिहास गवाह है कि औरंगजेब की सेना, हिन्दू पहाड़ी राजे, जागीरदारों, मंसंबदारों इत्यादि के खौफ के बावजूद 80 हजार से अधिक अनुयायी, समर्थक और जुल्म के सताए लोग श्री आनंदपुर साहिब की पवित्र धरती पर पहुंचे। सिख राज की स्थापना की कामना करते हुए खालसा पंथ की सृजना के लिए नंगी तलवार हाथ में पकड़ते श्री गुरु गोबिंद राय ने बारी-बारी से 5 सिरों की मांग की। अमृत की दात प्राप्त कर गोबिंद सिंह के रूप में सजे। यह 5 कौन थे और कहां से संबंध रखते थे? पहला था लाहौर का बनिया दयाराम, दूसरा मेरठ का जाट धर्मदास, तीसरा जगन्नाथपुरी उड़ीसा का हिम्मत राय, चौथा द्वारिका (गुजरात), छिंबा मोहक्कम चंद और पांचवां कर्नाटक के बीदर का नाई साहिब चंद जाति को समाप्त कर सभी को सिख बना डाला। 

यहां यह उल्लेखनीय है कि खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह तथा उसके साथियों को पकडऩे के लिए पंजाब पुलिस, 35 केंद्रीय सुरक्षा बलों की कम्पनियां, 8 रैपिड एक्शन दस्ते तैनात करने की जरूरत नहीं थी। सिर्फ अमृतसर जिले का पुलिस कमिश्रर ही काफी था यदि पीछे ताकतवर राजनीतिक इच्छा शक्ति होती। अमृतपाल के साथी पपलप्रीत सिंह के पकड़े जाने के बावजूद चोर सिपाही का खेल जारी है। पर बैसाखी का पर्व शांतमयी ढंग से समापन करने के लिए सख्त पुलिस प्रबंध ऐतिहासिक गुरुद्वारों के इर्द-गिर्द विशेषकर तख्त श्री दमदमा साहिब, तलवंडी साबो में जारी रहा। 

इस दौरान 7 अप्रैल को इंटरनैट तथा मीडिया संबंधी प्रतिबंधों से पीड़ित सिख तथा मीडिया शख्सियतों के साथ श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से भाईचारे को प्रकट करने के लिए ज्ञानी हरप्रीत सिंह की ओर से तलवंडी साबो में एक सभा बुलाई गई जिसमें कुछ जत्थेबंदियों को निमंत्रण न देने के कारण यह स्पष्टता का संदेश न दे सकी। जिस जत्थेदार के आदेश से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्री दरबार साहिब अमृतसर अपना आजाद चैनल नहीं लगवाती, विरोध प्रदर्शनों तथा जलूसों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की अगुवाई से संबंधित गठित कमेटी या 328 सरूपों के बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं करती तब उनसे पीड़ित मीडिया क्या उम्मीद लगा सकता है? 

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है इसे दबाया नहीं जा सकता। भटिंडा जेल में वीडियोग्राफी जारी है? गोइंदवाल जेल में कत्लोगारत, रोजाना पंजाब की गलियों, बाजारों में, लूट-खसूट, हत्या, चोरी-डकैती तथा फिरौती मांगना जारी है। पाकिस्तान की ओर से निरंतर ड्रोनों के माध्यम से नशीले पदार्थ तथा हथियार गिराना जारी है। 

पुलिस कहती है कि यहां पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता तो ऐसी बातों का क्या महत्व रह जाता है? करनी और कथनी में इतना फर्क क्यों? 90 प्रतिशत सिखों ने भारत की आजादी के लिए कुर्बानियां दीं और कालापानी गए। सिख भारत के खड्ग, भुजा और अन्नदाता हैं। समस्त भारत इनका देश है, सरकारें या राजनीतिक पार्टियां आती जाती रहती हैं लेकिन याद रहे यदि भारत में सिख सुरक्षित नहीं तो भारत सुरक्षित नहीं रह सकता। भारत की सुरक्षा, खुशहाली और तरक्की में इनका कोई सानी नहीं।-दरबारा सिंह काहलों
 


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