आदित्य ठाकरे को चुनाव में उतारना शिवसेना का सत्ता हासिल करना उद्देश्य

punjabkesari.in Friday, Oct 04, 2019 - 12:29 AM (IST)

21 अक्तूबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों को लेकर भाजपा और शिवसेना में प्रारंभिक तनातनी के बाद सहमति बन गई है। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि 2014 के चुनावों में पहली बार भाजपा से नाता तोडऩे के बाद से शिवसेना और भाजपा के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं जिस पर शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे का कहना है कि : 

‘‘लोग कहते हैं कि मैंने 2014 के चुनावों के बाद यू-टर्न लिया है लेकिन मैं चाहे यू-टर्न लूं या पी-टर्न लूं या जैड टर्न लूं, लोग इस पर सवाल उठाने वाले कौन होते हैं? मेरे शिव सैनिक ही मेरी शक्ति हैं।’’ 1966 में स्व. बाल ठाकरे द्वारा ‘शिवसेना’ के गठन के बाद से अब तक ठाकरे परिवार के किसी सदस्य ने न ही कोई चुनाव लड़ा और न ही सरकार में कोई पद लिया परंतु उद्धव ठाकरे का कहना है कि उन्होंने अपने पिता से वायदा किया था कि वह एक दिन किसी शिव सैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाएंगे। 

संभवत: इसीलिए चुनाव न लडऩे की ठाकरे परिवार की 53 वर्ष पुरानी परम्परा तोड़ते हुए इन चुनावों में उद्धव ठाकरे ने अपने बड़े बेटे आदित्य ठाकरे को चुनावों में वर्ली से उम्मीदवार बनाया है और ‘शिवसेना’ की विजय की स्थिति में उन्हें सी.एम. फेस के रूप में पेश किया जा रहा है। इस बारे शिवसेना के वरिष्ठï नेता संजय राऊत का कहना है कि ‘‘भले ही चंद्रयान-2 तकनीकी कारणों से चांद पर नहीं उतर पाया पर आदित्य (ठाकरे) एक उगते सूर्य के समान हैं जो मंत्रालय की छठी मंजिल (मुख्यमंत्री का कार्यालय) पर चमकेंगे और हम यकीनी बनाएंगे कि 24 अक्तूबर को आदित्य वहां पहुंच जाएं।’’ राऊत के उक्त बयान से स्पष्टï है कि ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी रिमोट कंट्रोल द्वारा नहीं बल्कि सरकार पर प्रत्यक्ष नियंत्रण चाहती है। 

उल्लेखनीय है कि हाल ही में आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र में अपने जनसंपर्क अभियान के रूप में ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ निकाली जो अत्यंत सफल रही थी तथा 3 अक्तूबर को शिवसेना के गढ़ वर्ली से नामांकन पत्र भरते हुए उन्होंने कह भी दिया कि ‘‘जल्दी ही महाराष्ट्र को शिवसेना से मुख्यमंत्री मिलेगा।’’ दूसरी ओर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि ‘‘ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। पहले चुनाव हो जाएं।’’

कुछ शिवसेना नेताओं द्वारा पहली बार ठाकरे परिवार के किसी सदस्य को मुख्यमंत्री देखने की इच्छा बारे उन्होंने कहा, ‘‘अपने नेता के उच्च पद पर पहुंचने की इच्छा रखना कुदरती ही है।’’ बेशक दोनों दलों में समझौते व आदित्य को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनाने बारे अटकलें जोरों पर हैं पर इस बारे असली तस्वीर तो नतीजों के बाद ही साफ होगी। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार ठाकरे परिवार द्वारा आदित्य को चुनाव लड़वाने का उद्देश्य यह भी हो सकता है कि शिवसेना चुनावों के बाद भाजपा के साथ अधिक बेहतर स्थिति में सौदेबाजी कर सके।—विजय कुमार


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